साल 2019 में अर्थव्यवस्था का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता जताई है। एक अमेरिकी समाचार चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत बुरा प्रदर्शन कर रही है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाती स्थिति में है। उन्होंने कहा कि इस समय उपलब्ध आंकड़े यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर आ सकती है।
बनर्जी के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है। वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है। बनर्जी ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में, हमने कम से कम कुछ विकास तो देखा, लेकिन अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और उसके भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि यह बयान भविष्य में क्या होगा, उस बारे में नहीं है, मगर जो हो रहा है उसके बारे में है। मैं इसके बारे में एक राय रखने का हकदार हूं। भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों में औसत खपत के अनुमान बताने वाले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हम जो तथ्य देख रहे हैं, उसके मुताबिक 2014-15 और 2017-18 के बीच आंकड़े थोड़े कम हुए हैं।
बनर्जी ने कहा कि ऐसा कई, कई सालों में पहली बार हुआ है, तो यह एक बहुत ही बड़ी चेतावनी का संकेत है। उन्होंने कहा कि भारत में एक बहस चल रही है कि कौन सा आंकड़ा सही है और सरकार का खासतौर से यह मानना है कि वो सभी आंकड़े गलत हैं, जो असुविधाजनक हैं।
उन्होंने कहा कि मगर मुझे लगता है कि सरकार भी अब यह मानने लगी है कि कुछ समस्या है। अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से धीमी हो रही है। कितनी तेजी से, यह हमें नहीं पता है, आंकड़ों को लेकर विवाद हैं, मगर मुझे लगता है कि ये तेज है।
उन्होंने कहा कि उन्हें ठीक-ठीक नहीं पता है कि क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके विचार में जब अर्थव्यवस्था अनियंत्रित गिरावट की ओर जा रही है, तो ऐसे में आप मौद्रिक स्थिरता के बारे में इतनी चिंता नहीं करते हैं और इसकी जगह मांग के बारे में थोड़ा ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब अर्थव्यवस्था में मांग एक बड़ी समस्या है।
बनर्जी के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति डगमगाती हुई है। वर्तमान (विकास के) आंकड़ों को देखने के बाद निकट भविष्य में अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार को लेकर निश्चिंत नहीं हुआ जा सकता है। बनर्जी ने कहा कि पिछले पांच-छह वर्षों में, हमने कम से कम कुछ विकास तो देखा, लेकिन अब वह आश्वासन भी खत्म हो गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और उसके भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि यह बयान भविष्य में क्या होगा, उस बारे में नहीं है, मगर जो हो रहा है उसके बारे में है। मैं इसके बारे में एक राय रखने का हकदार हूं। भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों में औसत खपत के अनुमान बताने वाले राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हम जो तथ्य देख रहे हैं, उसके मुताबिक 2014-15 और 2017-18 के बीच आंकड़े थोड़े कम हुए हैं।
बनर्जी ने कहा कि ऐसा कई, कई सालों में पहली बार हुआ है, तो यह एक बहुत ही बड़ी चेतावनी का संकेत है। उन्होंने कहा कि भारत में एक बहस चल रही है कि कौन सा आंकड़ा सही है और सरकार का खासतौर से यह मानना है कि वो सभी आंकड़े गलत हैं, जो असुविधाजनक हैं।
उन्होंने कहा कि मगर मुझे लगता है कि सरकार भी अब यह मानने लगी है कि कुछ समस्या है। अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से धीमी हो रही है। कितनी तेजी से, यह हमें नहीं पता है, आंकड़ों को लेकर विवाद हैं, मगर मुझे लगता है कि ये तेज है।
उन्होंने कहा कि उन्हें ठीक-ठीक नहीं पता है कि क्या करना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके विचार में जब अर्थव्यवस्था अनियंत्रित गिरावट की ओर जा रही है, तो ऐसे में आप मौद्रिक स्थिरता के बारे में इतनी चिंता नहीं करते हैं और इसकी जगह मांग के बारे में थोड़ा ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब अर्थव्यवस्था में मांग एक बड़ी समस्या है।