देश में पिछले कुछ महीनों से धर्म के नाम पर मासूमों को प्रताड़ित करना आम बात हो गई है। परंतु अब मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं से आम जनता परेशान हो चुकी है। हाल ही में झारखंड के खरसावां जिले के धातकीडीह गांव में पुलिस की लापरवाही और लोगों की नफ़रत की कीमत मासूम तबरेज़ को अपनी जान से चुकानी पड़ी। जिसके बाद देश भर के लोगों में "जय श्री राम" के नाम पर फैले विष के खिलाफ आक्रोश दिखाई दे रहा है। दिल्ली से बनारस, लखनऊ से अहमदाबाद -सभी तरफ लोगों की एक ही मांग है#JusticeForTabrez
बता दें कि, यह घटना 18 जून की बताई जा रही है। तबरेज़ छुट्टी मानाने के लिए अपने घर आ रहा था, अपनी पत्नी को उसने फोन कर कहा था कि उसे आने में देर हो जाएगी। घटना के दिन वह मोटर साइकिल से अपने दो दोस्तों के साथ घर जा रहा था। तभी अचानक भीड़ ने सरायकेला-खरसावां के बीच उसे घेर लिया और गाडी के दस्तावेज न होने के कारण उसपर चोरी का आरोप लगाया। वायरल वीडियो में से पता चलता है कि, हमलावरों ने उसे बिजली के खम्बे से बांधकर पहले उसका नाम पूछा। जिस पर उसने अपना नाम 'सोनू' बताया, लेकिन हमलावरों ने इस पर उसे गालियां दी और उसका असली नाम जानने के लिए दबाव डाला। जैसे ही उसने अपना नाम 'तबरेज़' बताया, भीड़ उसे बेरहमी से मारने लगी और "जय श्री राम", "जय हनुमान" का नारा लगाने लगी। हमलावरों ने तबरेज़ को भी "जय श्री राम" का नैरा लगाने के लिए मज़बूर किया। हमलावरों ने बेरहमी से मारने के बाद, उसे रात भर बिजली के खम्बे से बांध कर रखा। इस घटना में सबसे शर्मनाक यह था कि, अगले दिन सूचना पर पहुंची पुलिस ने तबरेज़ को उसी हालत में "चोरी के आरोप में" जेल में डाल दिया। इन सबके दौरान उसे काफी चोट आ गई थी। जिसके बावजूद सरायकेला पुलिस ने उसे चार दिन बाद सरायकेला सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां शनिवार, यानी 22 जून, तरबेज़ की मौत हो गई।
तबरेज़ की मौत के बाद चारों ओर इस घटना की कड़ी आलोचना हो रही है। साथ ही पीएम मोदी जी के "सबका साथ, सबका विश्वास" के शब्दों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। घटना पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, युवा नेता उमर खालिद ने अपने फेसबुक पोस्ट पर डाला कि, "क्या हम तबरेज़ अंसारी की क्रूर हत्या और मॉब लिंचिंग की लगातार घटनाओं के खिलाफ इस बुधवार को देश भर में एक साथ विरोध प्रदर्शन आयोजित कर सकते हैं? कोई भी मंच, कोई भी बैनर, कोई भी संगठन, कोई भी जगह - बस मांग सिर्फ एक #JusticeForTabrez ?" उमर खालिद के इस पोस्ट के बाद इस विरोध प्रदर्शन का देश भर के कई संगठन समर्थन कर रहे हैं। दिल्ली, बनारस, अहमदाबाद के साथ कई अन्य शहरों में आज विरोध प्रदर्शन होने जा रहा है।
मामले की कड़ी आलोचना के बाद सरकार हरकत में आई है। घटना के मुख्य आरोपी समेत ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही थाना प्रभारी और दारोगा को लिंचिंग का केस दायर न करने पर, एसपी ने लापरवाही के आरोप में किया निलंबित कर दिया है। साथ ही, पुलिस द्वारा लापरवाही की बात स्वीकारते हुए, मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी टीम के प्रमुख को बुधवार तक गृह सचिव और मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। बता दें कि घटना के दिन से तबरेज़ के दोनों साथी लापता हैं। वहीं तबरेज की पत्नी ने जीवन के एकमात्र साथी की हत्या करने वालों के लिए सज़ा की मांग करते हुए, इन्साफ़ की गुहार लगाई है। परिवार वालों का कहना है कि, पुलिस ने जेल में उन्हें तबरेज़ से मिलाने तक नहीं दिया था।
झारखंड में मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि '' मॉब लिंचिंग का राजनीतिकरण करना गलत था। साथ ही आग कल इन घटनाओं को बीजेपी, RSS, विहिप और बजरंग दल से जोड़ना ट्रेंड हो गया है।" इस पर अन्य नेताओं ने घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
PDP नेता मेहबूबा मुफ़्ती ने सोशल मीडिया पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की कि, "बीजेपी शासित राज्य झारखंड में मुस्लिम युवक को बेरहमी से मारा गया, क्योंकि उसने 'जय श्री राम' कहने से मना कर दिया। क्या यह NDA 2.0 का नया भारत है? यह कौन सा तरीका है लोगों का विश्वास जितने का?"
घटना की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि, 'मॉब लिंचिंग की घटनाएँ नहीं रुक सकतीं क्योंकि बीजेपी और आरएसएस ने लोगों के दिमाग में मुस्लिमों के प्रति नफरत की भावना बढ़ा दी है। लोगों के दिमाग में यह बात सफलतापूर्वक बैठा दी गई है कि मुस्लिम आतंकी, देशद्रोही और गो-हत्यारे होते हैं।'
एआईपीडबलूए की सचिव कविता कृष्णन ने ट्वीट कर घटना को लेकर विपक्ष की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि "मुस्लिम व्यक्ति का भीड़ द्वारा पीटे जाने पर विपक्ष के राहुल गाँधी, मायावती, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, ममता बैनर्जी और अरविंद केजरीवाल चुप हैं- ये असल में विपक्ष है ही नहीं।
मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने ट्वीट कर मॉब लिंचिंग के मुद्दों पर चर्चा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि "क्या बार बार हो रही इन घटनाओं को लेकर टीवी पर कोई चर्चा हो सकती है?"
मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं पर फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट (FactChecker.in) के डेटा से पता चलता है कि तबरेज़ अंसारी पर हुआ यह हमला इस साल की ग्यारहवीं घटना थी। वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, 59 फीसदी मामलों में पीड़ित मुस्लिम रहे हैं, जबकि 28 फीसदी घटनाएं गाय से जुड़े मुद्दों पर हुई हैं।
वर्ष 2016 के बाद से, झारखंड में मॉब लिंचिंग की विभिन्न घटनाओं के कारण 13 लोगों की हत्या हुई है। ऐसी ही एक घटना में ,10 अप्रैल को एक आदिवासी व्यक्ति (प्रकाश लाकड़ा) की मृत सांड का मांस निकालने के कथित आरोप में मार-मार कर हत्या कर दी गई थी।
व्हाट्सएप्प पर गोमांस खाने और गाय तस्करी की कथित घटनाओं से जुड़ी अपवाहें जंगल की आग की तरह फैलती हैं, जो कई मौतों कारण बनी है। वहीं, पीड़ित परिवार ऐसे आरोपों का विरोध करते हैं। वर्ष 2015 से, भाजपा शासित राज्यों में, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और झारखंड, इस प्रकार की घटनाओं की संख्या में इज़ाफा हुआ है।
मार्च 2016 में एक ऐसी ही दुखद घटना सामने आई थी। जहाँ कुछ गौ रक्षकों ने मवेशी व्यापारी मजलूम अंसारी और उनके बेटे इम्तियाज खान का लातेहार जिले में अपहरण कर लिया था, जब वे पास के जिले के पशु मेले में भाग लेने जा रहे थे। गौ रक्षकों ने उन दोनों की हत्या कर, उन्हें एक पेड़ से लटका दिया। दिसंबर 2018 में, एक स्थानीय अदालत ने इस घटना के आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
लिंचिंग के मामलों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी किए हैं, लेकिन घटनाएं अब भी जारी हैं। हिंसा के इस नए रूप को रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की आवश्यकता है।
फिलहाल, तबरेज़ के साथ हुए इस अन्याय के बाद जनता के सब्र का बाँध टूटता नज़र आ रहा है। तबरेज़ की मृत्यु के बाद एक ओर परिवार ने आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है। वहीं, दूसरी ओर इन घटनाओं में इज़ाफा होना प्रधानमंत्री मोदी जी की 'सबका साथ, सबका विश्वास' बात पर अल्पसंख्यकों को विश्वास करने से रोक रहा है। सबरंग इंडिया ने मोदी जी के शपथ समारोह से बाद से इस प्रकार की घटनाओं पर नज़र रखनी शुरू कर दी है, जिसमें कहीं भी सरकार की ओर से आरोपियों के खिलाफ सख्ती नहीं दिख रही है।
बता दें कि, यह घटना 18 जून की बताई जा रही है। तबरेज़ छुट्टी मानाने के लिए अपने घर आ रहा था, अपनी पत्नी को उसने फोन कर कहा था कि उसे आने में देर हो जाएगी। घटना के दिन वह मोटर साइकिल से अपने दो दोस्तों के साथ घर जा रहा था। तभी अचानक भीड़ ने सरायकेला-खरसावां के बीच उसे घेर लिया और गाडी के दस्तावेज न होने के कारण उसपर चोरी का आरोप लगाया। वायरल वीडियो में से पता चलता है कि, हमलावरों ने उसे बिजली के खम्बे से बांधकर पहले उसका नाम पूछा। जिस पर उसने अपना नाम 'सोनू' बताया, लेकिन हमलावरों ने इस पर उसे गालियां दी और उसका असली नाम जानने के लिए दबाव डाला। जैसे ही उसने अपना नाम 'तबरेज़' बताया, भीड़ उसे बेरहमी से मारने लगी और "जय श्री राम", "जय हनुमान" का नारा लगाने लगी। हमलावरों ने तबरेज़ को भी "जय श्री राम" का नैरा लगाने के लिए मज़बूर किया। हमलावरों ने बेरहमी से मारने के बाद, उसे रात भर बिजली के खम्बे से बांध कर रखा। इस घटना में सबसे शर्मनाक यह था कि, अगले दिन सूचना पर पहुंची पुलिस ने तबरेज़ को उसी हालत में "चोरी के आरोप में" जेल में डाल दिया। इन सबके दौरान उसे काफी चोट आ गई थी। जिसके बावजूद सरायकेला पुलिस ने उसे चार दिन बाद सरायकेला सदर अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया, जहां शनिवार, यानी 22 जून, तरबेज़ की मौत हो गई।
तबरेज़ की मौत के बाद चारों ओर इस घटना की कड़ी आलोचना हो रही है। साथ ही पीएम मोदी जी के "सबका साथ, सबका विश्वास" के शब्दों पर सवाल खड़े हो रहे हैं। घटना पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, युवा नेता उमर खालिद ने अपने फेसबुक पोस्ट पर डाला कि, "क्या हम तबरेज़ अंसारी की क्रूर हत्या और मॉब लिंचिंग की लगातार घटनाओं के खिलाफ इस बुधवार को देश भर में एक साथ विरोध प्रदर्शन आयोजित कर सकते हैं? कोई भी मंच, कोई भी बैनर, कोई भी संगठन, कोई भी जगह - बस मांग सिर्फ एक #JusticeForTabrez ?" उमर खालिद के इस पोस्ट के बाद इस विरोध प्रदर्शन का देश भर के कई संगठन समर्थन कर रहे हैं। दिल्ली, बनारस, अहमदाबाद के साथ कई अन्य शहरों में आज विरोध प्रदर्शन होने जा रहा है।
मामले की कड़ी आलोचना के बाद सरकार हरकत में आई है। घटना के मुख्य आरोपी समेत ग्यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया। साथ ही थाना प्रभारी और दारोगा को लिंचिंग का केस दायर न करने पर, एसपी ने लापरवाही के आरोप में किया निलंबित कर दिया है। साथ ही, पुलिस द्वारा लापरवाही की बात स्वीकारते हुए, मामले की जांच के लिए गठित की गई एसआईटी टीम के प्रमुख को बुधवार तक गृह सचिव और मुख्य सचिव को रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। बता दें कि घटना के दिन से तबरेज़ के दोनों साथी लापता हैं। वहीं तबरेज की पत्नी ने जीवन के एकमात्र साथी की हत्या करने वालों के लिए सज़ा की मांग करते हुए, इन्साफ़ की गुहार लगाई है। परिवार वालों का कहना है कि, पुलिस ने जेल में उन्हें तबरेज़ से मिलाने तक नहीं दिया था।
झारखंड में मंत्री सीपी सिंह ने कहा कि '' मॉब लिंचिंग का राजनीतिकरण करना गलत था। साथ ही आग कल इन घटनाओं को बीजेपी, RSS, विहिप और बजरंग दल से जोड़ना ट्रेंड हो गया है।" इस पर अन्य नेताओं ने घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
PDP नेता मेहबूबा मुफ़्ती ने सोशल मीडिया पर बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा की कि, "बीजेपी शासित राज्य झारखंड में मुस्लिम युवक को बेरहमी से मारा गया, क्योंकि उसने 'जय श्री राम' कहने से मना कर दिया। क्या यह NDA 2.0 का नया भारत है? यह कौन सा तरीका है लोगों का विश्वास जितने का?"
घटना की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि, 'मॉब लिंचिंग की घटनाएँ नहीं रुक सकतीं क्योंकि बीजेपी और आरएसएस ने लोगों के दिमाग में मुस्लिमों के प्रति नफरत की भावना बढ़ा दी है। लोगों के दिमाग में यह बात सफलतापूर्वक बैठा दी गई है कि मुस्लिम आतंकी, देशद्रोही और गो-हत्यारे होते हैं।'
एआईपीडबलूए की सचिव कविता कृष्णन ने ट्वीट कर घटना को लेकर विपक्ष की चुप्पी पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि "मुस्लिम व्यक्ति का भीड़ द्वारा पीटे जाने पर विपक्ष के राहुल गाँधी, मायावती, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, ममता बैनर्जी और अरविंद केजरीवाल चुप हैं- ये असल में विपक्ष है ही नहीं।
मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सेतलवाड़ ने ट्वीट कर मॉब लिंचिंग के मुद्दों पर चर्चा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि "क्या बार बार हो रही इन घटनाओं को लेकर टीवी पर कोई चर्चा हो सकती है?"
मॉब लिंचिंग की इन घटनाओं पर फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट (FactChecker.in) के डेटा से पता चलता है कि तबरेज़ अंसारी पर हुआ यह हमला इस साल की ग्यारहवीं घटना थी। वहीं रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि, 59 फीसदी मामलों में पीड़ित मुस्लिम रहे हैं, जबकि 28 फीसदी घटनाएं गाय से जुड़े मुद्दों पर हुई हैं।
वर्ष 2016 के बाद से, झारखंड में मॉब लिंचिंग की विभिन्न घटनाओं के कारण 13 लोगों की हत्या हुई है। ऐसी ही एक घटना में ,10 अप्रैल को एक आदिवासी व्यक्ति (प्रकाश लाकड़ा) की मृत सांड का मांस निकालने के कथित आरोप में मार-मार कर हत्या कर दी गई थी।
व्हाट्सएप्प पर गोमांस खाने और गाय तस्करी की कथित घटनाओं से जुड़ी अपवाहें जंगल की आग की तरह फैलती हैं, जो कई मौतों कारण बनी है। वहीं, पीड़ित परिवार ऐसे आरोपों का विरोध करते हैं। वर्ष 2015 से, भाजपा शासित राज्यों में, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और झारखंड, इस प्रकार की घटनाओं की संख्या में इज़ाफा हुआ है।
मार्च 2016 में एक ऐसी ही दुखद घटना सामने आई थी। जहाँ कुछ गौ रक्षकों ने मवेशी व्यापारी मजलूम अंसारी और उनके बेटे इम्तियाज खान का लातेहार जिले में अपहरण कर लिया था, जब वे पास के जिले के पशु मेले में भाग लेने जा रहे थे। गौ रक्षकों ने उन दोनों की हत्या कर, उन्हें एक पेड़ से लटका दिया। दिसंबर 2018 में, एक स्थानीय अदालत ने इस घटना के आठ दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
लिंचिंग के मामलों को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी आदेश जारी किए हैं, लेकिन घटनाएं अब भी जारी हैं। हिंसा के इस नए रूप को रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की आवश्यकता है।
फिलहाल, तबरेज़ के साथ हुए इस अन्याय के बाद जनता के सब्र का बाँध टूटता नज़र आ रहा है। तबरेज़ की मृत्यु के बाद एक ओर परिवार ने आरोपियों को मृत्युदंड देने की मांग की है। वहीं, दूसरी ओर इन घटनाओं में इज़ाफा होना प्रधानमंत्री मोदी जी की 'सबका साथ, सबका विश्वास' बात पर अल्पसंख्यकों को विश्वास करने से रोक रहा है। सबरंग इंडिया ने मोदी जी के शपथ समारोह से बाद से इस प्रकार की घटनाओं पर नज़र रखनी शुरू कर दी है, जिसमें कहीं भी सरकार की ओर से आरोपियों के खिलाफ सख्ती नहीं दिख रही है।