वाराणसी का हाल बदहाल: मोदी के संसदीय क्षेत्र में अस्पताल और नदियां बीमार, शहर में कूड़े का अंबार

Written by sabrang india | Published on: April 2, 2019
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में हॉस्पिटल की स्थिति और नदियों की स्थिति के सुधार को लेकर भले ही सरकार के नुमाइंदे लाख दावे कर रहे हों लेकिन ईस्टर्न यूपी रियर एंड वाटर रिजर्वायर्स मॉनीटरिंग कमेटी व यूपी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट मॉनीटरिंग कमेटी लखनऊ के चेयरमैन रिटायर्ड न्यायमूर्ति देवी प्रसाद सिंह की जांच में यह फेल साबित हुए हैं। दरअसल, देवी प्रसाद की जांच में सामने आया है कि वाराणसी के  मुख्य बीएचयू ट्रॉमा सेंटर, सर सुन्दर लाल अस्पताल, कबीर चौरा मंडलीय अस्पताल और हेरिटेज हॉस्पिटल की स्थिति बहुत खराब है। 



एनजीटी की जांच में सरकार और अधिकारियों के दावों की खुली पोल
वाराणसी की नदियों पर अतिक्रमण कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वालों पर अब कार्रवाई का चाबुक चलने वाला है। असि नदी खत्म हो चुकी है और वरुणा नदी बर्बादी की कगार पर खड़ी है। बड़े लोगों को बचाने में जुटे अधिकारी भी नदियों की दुर्दशा पर आंख बंद कर अपनी भूमिका के साथ न्याय नहीं कर रहे हैं। एनजीटी ने नदी को नया जीवन देने की पहल शुरू की तो भी अधिकारियों की सेहत पर असर नहीं पड़ा है लेकिन अब कहानी बदल सकती है। 

एनजीटी ने सख्त तेवर अपनाना शुरू कर दिया है। एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी ने सख्त रुख अपनाया है तो अधिकारियों की नींद उड़ गयी है। साफ कह दिया गया है कि अब करोड़ों का जुर्माना लगाने की संस्तुति की जा रही है और काम नहीं किया तो अधिकारियों का वेतन भी रुक जायेगा। 

एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने साफ कर दिया है कि समय भले लगेगा लेकिन शहर की स्थिति को सुधारा जायेगा। अधिकारियों ने चुनाव में व्यस्तता की बात की है हम समय देने के लिए तैयार हैं लेकिन मई अंतिम सप्ताह या जून तक पुराना रिकॉर्ड खोज कर सारी स्थिति स्पष्ट करनी होगी। जस्टिस सिंह ने कहा कि दो माह पहले पुराना पुल के पास गंदगी हटाने का निर्देश दिया था लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। 



जस्टिस डीपी सिंह ने आगे कहा कि पीएम नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के चलते बनारस में पैसे की कमी नहीं है। शहर का स्वरुप बहुत बदल गया है इसके बाद भी गलियों से गंदगी नहीं हट रही है जिससे प्रदूषण फैल रहा है। हम लोग जुर्माने लगाने की संस्तुति करेंगे। जुर्माना भरना होगा और वेतन भी रुक जायेगा। अधिकारियों को शहर के लिए काम करना होगा। उन्होंने भय बिना प्रीत नहीं होने का उदाहरण देते हुए कहा कि मैं बहुत आशावादी हूं। मेरे ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं है इसलिए समय भले लग सकता है लेकिन वरुणा व असि नदी के किनारे का अतिक्रमण हटा कर वहां पर पौधारोपण करना होगा। हम लगातार अपने निर्देशों की समीक्षा कर रहे हैं काम नहीं होने पर आगे की कार्रवाई की जायेगी।

जस्टिस डीपी सिंह ने प्रदूषण को लेकर कहा कि हेरिटेज का बायोमेडिकल वेस्ट सीधे सीवर में गिरता है। बीएचयू अस्पताल, ट्रॉमा सेंटर व राजकीय अस्पताल की स्थिति बेहद खराब है। सीएमओ से कहा गया कि 30 बेड से अधिक क्षमता के अस्पताल में अपना ट्रीटमेंट प्लांट लगवायें। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण बोर्ड की रिपोर्ट भी इन जगहों को लेकर आ चुकी है। शहर में बायोमेडिकल वेस्ट की स्थिति बहुत दयनीय है। रिपोर्ट को एनजीटी को भेजा जा रहा है जहां पर कार्रवाई की संस्तुति की जायेगी।

जस्टिस डीपी सिंह ने कहा कि शहर को हरा-भरा करने से लेकर नदियों को साफ करने व रिचार्ज व्यवस्था को ठीक किया जायेगा। इसके लिए हम लोगों ने कमर कस ली है। एनजीटी की कार्रवाई के बाद सरकार और अधिकारियों के दावों की पोल खुल गई है और एनजीटी के जांच के बाद सौंपे जाने वाली रिपोर्ट को लेकर सरकार की नींद उड़ी हुई है। ऐसे में अब देखना यही है कि सरकार की हवा हवाई रिपोर्ट और अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होती है।

(सबरंग इंडिया के लिए नीरज सिंह की रिपोर्ट)

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