लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आवारा गोवंश किसानों के लिए मुसीबत बने हुए हैं। किसानों की कोई भी फसल आवारा गाय और सांडों के चलते सुरक्षित नहीं रह गई है। इसके अलावा खुद गायों की भी बेकद्री हो रही है। आवारा गोवंश के लिए सरकार द्वारा अस्थाई पशु आश्रय स्थल बनाने के आदेश दिए गए हैं जिनमें लगातार गायों की मौत की खबरें आ रही हैं। चारा-पानी के अभाव में गोवंश दम तोड़ जाते हैं।
खाली पड़ी गोशाला, फोटो क्रेडिट- अमर उजाला
यूपी के कन्नौज जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा जानवरों के लिए बने अस्थायी पशु आश्रय स्थल उनके लिए मौत के बाडे़ साबित हो रहे हैं। रोहली की सरस हाट अस्थायी गोशाला में भूख से छह गोवंशों की मौत की खबर सामने आई है। तहसील प्रशासन ने इनके चारे-पानी की व्यवस्था नहीं की। मौत के बाद इनके शवों को दफनाया तक नहीं गया। कुत्ते-पक्षी इनके शरीर को नोच कर खा रहे हैं। कंकाल और हड्डियां अभी भी अस्थायी गोशाला में पड़ी हैं।
एक सप्ताह में अस्थायी गोशाला में छह गोवंशों की मौत हो चुकी है। इनके कंकाल आश्रय स्थल में पड़े हैं। व्यवस्थाएं न होने से ग्राम प्रधान ने पशुओं को छुट्टा छोड़ दिया है। रोहली के ग्रामीण अभय प्रताप सिंह, अनिल सिंह, देशराज, रामनाथ, बदन सिंह, राम निवास, लाखन सिंह, रामनरेश ने बताया कि गांव के सरस हाट बाजार में बनाई गई अस्थायी गोशाला में लगभग 30 गोवंश बंद थे।
उनके लिए पंचायत की तरफ से चारे पानी का इंतजाम नहीं किया गया। इससे मवेशी भूख प्यास से व्याकुल हो गए। कुछ आपस में भिड़ कर चुटहिल हो गए। इनके इलाज की व्यवस्था नहीं की गई। करीब सात दिनों में छह गोवंशों की मौत हो चुकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि अब प्रधान व सचिव ने शेष जानवरों को छोड़ दिया है। यह फसलों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं। ग्राम प्रधान आत्माराम का कहना है कि वह चारे पानी की व्यवस्था अपने निजी खर्च पर कर रहे थे। पांच आवारा जानवर आपस में लड़ कर घायल हुए थे। डॉक्टर ने इलाज भी किया था। कुछ मर भी गए हैं। अराजक लोगों ने गोशाला का ताला तोड़ इन्हें भगा दिया है। यह छोड़े नहीं गए हैं। ग्रामीणों का आरोप गलत है।
खाली पड़ी गोशाला, फोटो क्रेडिट- अमर उजाला
यूपी के कन्नौज जिले में ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा जानवरों के लिए बने अस्थायी पशु आश्रय स्थल उनके लिए मौत के बाडे़ साबित हो रहे हैं। रोहली की सरस हाट अस्थायी गोशाला में भूख से छह गोवंशों की मौत की खबर सामने आई है। तहसील प्रशासन ने इनके चारे-पानी की व्यवस्था नहीं की। मौत के बाद इनके शवों को दफनाया तक नहीं गया। कुत्ते-पक्षी इनके शरीर को नोच कर खा रहे हैं। कंकाल और हड्डियां अभी भी अस्थायी गोशाला में पड़ी हैं।
एक सप्ताह में अस्थायी गोशाला में छह गोवंशों की मौत हो चुकी है। इनके कंकाल आश्रय स्थल में पड़े हैं। व्यवस्थाएं न होने से ग्राम प्रधान ने पशुओं को छुट्टा छोड़ दिया है। रोहली के ग्रामीण अभय प्रताप सिंह, अनिल सिंह, देशराज, रामनाथ, बदन सिंह, राम निवास, लाखन सिंह, रामनरेश ने बताया कि गांव के सरस हाट बाजार में बनाई गई अस्थायी गोशाला में लगभग 30 गोवंश बंद थे।
उनके लिए पंचायत की तरफ से चारे पानी का इंतजाम नहीं किया गया। इससे मवेशी भूख प्यास से व्याकुल हो गए। कुछ आपस में भिड़ कर चुटहिल हो गए। इनके इलाज की व्यवस्था नहीं की गई। करीब सात दिनों में छह गोवंशों की मौत हो चुकी है।
ग्रामीणों का कहना है कि अब प्रधान व सचिव ने शेष जानवरों को छोड़ दिया है। यह फसलों को नुकसान पहुंचाने लगे हैं। ग्राम प्रधान आत्माराम का कहना है कि वह चारे पानी की व्यवस्था अपने निजी खर्च पर कर रहे थे। पांच आवारा जानवर आपस में लड़ कर घायल हुए थे। डॉक्टर ने इलाज भी किया था। कुछ मर भी गए हैं। अराजक लोगों ने गोशाला का ताला तोड़ इन्हें भगा दिया है। यह छोड़े नहीं गए हैं। ग्रामीणों का आरोप गलत है।