नई दिल्ली। रफाल मामले में अटॉर्नी जनरल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में की गई टिप्पणियों की एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बृहस्पतिवार को निंदा की। साथ ही, गिल्ड ने सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की हर कोशिश को भी निंदनीय करार दिया।
गिल्ड ने कहा कि सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की हर कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना निंदनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए कहना है।
उसने इस मामले में मीडिया के प्रति उत्पन्न ‘खतरे’ की भी निंदा की और सरकार से अपील की कि वह ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचे जिससे मीडिया की स्वतंत्रता कमजोर हो।
बयान में कहा गया, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया उच्चतम न्यायालय के सामने की गई अटॉर्नी जनरल की उन टिप्पणियों की स्पष्ट निंदा करता है जो उन्होंने उन दस्तावेजों के संबंध में की थीं जिनके आधार पर ‘द हिंदू’ समेत मीडिया ने रफाल सौदे पर खबर दी थी।’
मालूम हो कि बुधवार को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत द्वारा रफाल मामले पर दिए गए फैसले की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज करने की मांग की थी।
साथ ही उन्होंने कहा था कि ताजा याचिका उन दस्तावेजों पर आधारित है जो रक्षा मंत्रालय से ‘चुराए’ गए थे और यह पता करने के लिए जांच जारी है कि क्या यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन और अपराध है या नहीं।
गिल्ड के बयान में कहा गया है, ‘हालांकि अटॉर्नी जनरल ने बाद में स्पष्ट किया कि इन दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वाले पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ जांच और कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन गिल्ड इस प्रकार के खतरों के लिए चिंतित है।’
गिल्ड ने कहा कि इससे मीडिया में भय पैदा होगा और खासकर रफाल सौदे पर खबर देने एवं टिप्पणी करने की उसकी स्वतंत्रता का हनन होगा।
उसने कहा, ‘मीडिया के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून का इस्तेमाल करने की हर कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना निंदनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने को कहना है।’
बयान में कहा गया, ‘गिल्ड इस प्रकार के खतरों की निंदा करता है और सरकार से अपील करता है कि वह ऐसे हर कदम को उठाने से बचे जिससे मीडिया की स्वतंत्रता कमजोर होने की आशंका है।’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष राहुल गांधी रफाल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है।
गोपनीयता कानून की समीक्षा की ज़रूरत: प्रेस संगठन
रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्तावेजों के आधार पर रफाल सौदे पर लेख प्रकाशित करने के लिए ‘द हिंदू’ अखबार पर सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई करने की सरकार की धमकी पर प्रेस निकायों के एक समूह ने बृहस्पतिवार को चिंता जताई और कहा कि इस कानून की ‘समीक्षा’ की जरूरत है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वीमंस प्रेस कोर और प्रेस एसोसिएशन ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘हम मानते हैं कि समय आ गया है कि सरकारी गोपनीयता कानून के साथ मानहानि कानून की चौथे स्तंभ के खिलाफ संभावित दुरुपयोग के मद्देनजर समीक्षा की जाए।’
सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि रफाल विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए और उसने रफाल पर पुनर्विचार याचिका तथा गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित हैं।
संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘हम पत्रकार संगठन भारत के अटॉर्नी जनरल द्वारा दिए गए बयानों पर चिंता जताते हैं कि द हिंदू अखबार में प्रकाशित रफाल सौदे पर खबरें रक्षा मंत्रालय से चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित हैं।’
इसमें कहा गया है, ‘चौथा स्तंभ दोहरी जिम्मेदारी से बंधा हुआ है। उसका काम सवाल उठाने के साथ-साथ जनता के हित में क्या है इसकी रिपोर्टिंग करना है चाहे कोई भी सरकार सत्ता में हो। यह इसकी नैतिक जिम्मेदारी है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के शीर्ष अधिकारी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने से रोक रहे हैं।’
साभार- द वायर
गिल्ड ने कहा कि सरकारी गोपनीयता कानून को मीडिया के खिलाफ इस्तेमाल करने की हर कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना निंदनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने के लिए कहना है।
उसने इस मामले में मीडिया के प्रति उत्पन्न ‘खतरे’ की भी निंदा की और सरकार से अपील की कि वह ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचे जिससे मीडिया की स्वतंत्रता कमजोर हो।
बयान में कहा गया, ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया उच्चतम न्यायालय के सामने की गई अटॉर्नी जनरल की उन टिप्पणियों की स्पष्ट निंदा करता है जो उन्होंने उन दस्तावेजों के संबंध में की थीं जिनके आधार पर ‘द हिंदू’ समेत मीडिया ने रफाल सौदे पर खबर दी थी।’
मालूम हो कि बुधवार को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने शीर्ष अदालत द्वारा रफाल मामले पर दिए गए फैसले की पुनर्विचार याचिका ख़ारिज करने की मांग की थी।
साथ ही उन्होंने कहा था कि ताजा याचिका उन दस्तावेजों पर आधारित है जो रक्षा मंत्रालय से ‘चुराए’ गए थे और यह पता करने के लिए जांच जारी है कि क्या यह सरकारी गोपनीयता कानून का उल्लंघन और अपराध है या नहीं।
गिल्ड के बयान में कहा गया है, ‘हालांकि अटॉर्नी जनरल ने बाद में स्पष्ट किया कि इन दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वाले पत्रकारों और वकीलों के खिलाफ जांच और कार्रवाई नहीं की जाएगी, लेकिन गिल्ड इस प्रकार के खतरों के लिए चिंतित है।’
गिल्ड ने कहा कि इससे मीडिया में भय पैदा होगा और खासकर रफाल सौदे पर खबर देने एवं टिप्पणी करने की उसकी स्वतंत्रता का हनन होगा।
उसने कहा, ‘मीडिया के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून का इस्तेमाल करने की हर कोशिश उतनी ही निंदनीय है, जितना निंदनीय पत्रकारों से उनके सूत्रों का खुलासा करने को कहना है।’
बयान में कहा गया, ‘गिल्ड इस प्रकार के खतरों की निंदा करता है और सरकार से अपील करता है कि वह ऐसे हर कदम को उठाने से बचे जिससे मीडिया की स्वतंत्रता कमजोर होने की आशंका है।’
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस अध्यक्ष और विपक्ष राहुल गांधी रफाल सौदे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए भ्रष्टाचार और पक्षपात के आरोप लगा रहे हैं। केंद्र सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है।
गोपनीयता कानून की समीक्षा की ज़रूरत: प्रेस संगठन
रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए दस्तावेजों के आधार पर रफाल सौदे पर लेख प्रकाशित करने के लिए ‘द हिंदू’ अखबार पर सरकारी गोपनीयता कानून के तहत कार्रवाई करने की सरकार की धमकी पर प्रेस निकायों के एक समूह ने बृहस्पतिवार को चिंता जताई और कहा कि इस कानून की ‘समीक्षा’ की जरूरत है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, इंडियन वीमंस प्रेस कोर और प्रेस एसोसिएशन ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘हम मानते हैं कि समय आ गया है कि सरकारी गोपनीयता कानून के साथ मानहानि कानून की चौथे स्तंभ के खिलाफ संभावित दुरुपयोग के मद्देनजर समीक्षा की जाए।’
सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि रफाल विमान सौदे से संबंधित दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हो गए और उसने रफाल पर पुनर्विचार याचिका तथा गलत बयानी संबधी आवेदन खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि ये चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित हैं।
संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘हम पत्रकार संगठन भारत के अटॉर्नी जनरल द्वारा दिए गए बयानों पर चिंता जताते हैं कि द हिंदू अखबार में प्रकाशित रफाल सौदे पर खबरें रक्षा मंत्रालय से चोरी किए गए दस्तावेजों पर आधारित हैं।’
इसमें कहा गया है, ‘चौथा स्तंभ दोहरी जिम्मेदारी से बंधा हुआ है। उसका काम सवाल उठाने के साथ-साथ जनता के हित में क्या है इसकी रिपोर्टिंग करना है चाहे कोई भी सरकार सत्ता में हो। यह इसकी नैतिक जिम्मेदारी है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार के शीर्ष अधिकारी इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने से रोक रहे हैं।’
साभार- द वायर