आदिवासियों को लंबे समय से जल जंगल और जमीन के लिए संघर्ष करना पड़ा है। उन्हें तमाम तरह के षडयंत्र कर आर्थिक उन्नति से दूर रखने के पुरजोर प्रयास किए जाते रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषण रावत ने 2016 में बुंदेलखंड के कुछ आदिवासियों से बात की और इस बातचीत का वीडियो 2017 में अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया। इस वीडियो में बताया गया है कि आदिवासियों के साथ सरकारों और उनके प्रतिधियों ने कैसे धोखाधडी की है।
इस वीडियो में वार्तालाप सुनकर पता चलेगा कि कैसे एक ही समुदाय को राज्य की सीमा से बाहर कर गैर आदिवासी श्रेणी में रखकर उन्हें आदिवासी होने के अधिकार से वंचित किया गया है ताकि वे वन अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार भी जमीन न ले पाएं।
इस वीडियो में आदिवासियों के साथ ज्यादती का भी जिक्र किया गया है। किस तरह से सामंत आदिवासियों की महिलाओं को अपने पास गिरवी रख लेते थे। किस तरह से आदिवासियों ने विद्रोह का बिगुल फूंककर अपनी महिलाओं को गिरवी रखने की प्रथा बंद कराई। अंग्रेजों से आजादी के बाद भी गांवों में सामंतों ने आदिवासियों को बंधुआ बनाकर रखा।
इस वीडियो में वार्तालाप सुनकर पता चलेगा कि कैसे एक ही समुदाय को राज्य की सीमा से बाहर कर गैर आदिवासी श्रेणी में रखकर उन्हें आदिवासी होने के अधिकार से वंचित किया गया है ताकि वे वन अधिकार अधिनियम 2006 के अनुसार भी जमीन न ले पाएं।
इस वीडियो में आदिवासियों के साथ ज्यादती का भी जिक्र किया गया है। किस तरह से सामंत आदिवासियों की महिलाओं को अपने पास गिरवी रख लेते थे। किस तरह से आदिवासियों ने विद्रोह का बिगुल फूंककर अपनी महिलाओं को गिरवी रखने की प्रथा बंद कराई। अंग्रेजों से आजादी के बाद भी गांवों में सामंतों ने आदिवासियों को बंधुआ बनाकर रखा।