मध्यप्रदेश के महू से इंसानियत को शर्मसार करने वाली खबर सामने आ रही है. यहां मेंमदी गांव में एक बुजुर्ग व्यक्ति के शव को दाह संस्कार करने से इसलिए रोक दिया गया क्योंकि वह दलित समुदाय से ताल्लुक रखता था। इस जातिगत भेदभाव से गुस्साए ग्रामीणों ने शव को रास्ते पर रखकर प्रदर्शन दिया। इसकी सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने स्थिति को संभाला और बुजुर्ग का अंतिम संस्कार संपन्न करवाया गया। मामले में जांच कर कार्रवाई करने की बात अधिकारियों ने कही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 95 साल के बुजुर्ग व्यक्ति छोगालाल परमार का शनिवार को निधन हो गया था। इसके बाद परिजनों ने छोगालाल का अंतिम संस्कार पंचायत के मुक्तिधाम में करने के लिए सरपंच पति रूपेश वाघमारे और गांव के पटेल गब्बूलाल के पास अनुमति लेने पहुंचे तो इन दोनों ने अनुमति देने से इंकार कर दिया।
सरपंच पति वाघमारे ने मृतक के परिजनों से कहा कि तुम्हारे समाज के लोगों का अंतिम संस्कार तालाब के किनारे होता हैं..वहीं जाकर दाह संस्कार करो, शमशान जाने की जरूरत नहीं है। सरपंच पति ने धमदी देते हुए कहा कि यदि पंचायत के शमशान में अंतिम संस्कार किया तो इसका परिणाम ठीक नहीं होगा। वाघमारे का कहना था कि 6 माह में तुम लोगों के लिए अलग से शमशान बना दिया जाएगा, फिर वहीं करना अंतिम संस्कार।
बुजुर्ग का अंतिम संस्कार शमसान में करने की अनुमति नहीं दिए जाने की जानकारी परिजनों ने बलाई समाज के इंदौर में रहने वाले पदाधिकारियों को दी। जानकारी मिलते ही अखिल भारतीय बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार सहित अन्य समाजजन मेंमदी गांव पहुंच गए। मामले की जानकारी एसडीओपी, सिमरोल थाने के साथ ही तहसीलदार को दी गई। अधिकारी और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गए। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाकर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार श्मशान में कराया।
बुजुर्ग व्यक्ति की शवयात्रा भी पुलिस की मौजूदगी में निकाली गई। जातिगत भेदभाव से नाराज लोगों ने शव को गांव के चौराहे पर रखकर चक्काजाम कर दिया। ग्रामीणों ने भेदभाव करने वाले सरपंच और अन्य पर एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की। तहसीलदार राहुल गायकवाड़ और पुलिस ने मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया इसके बाद चक्काजाम समाप्त हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 95 साल के बुजुर्ग व्यक्ति छोगालाल परमार का शनिवार को निधन हो गया था। इसके बाद परिजनों ने छोगालाल का अंतिम संस्कार पंचायत के मुक्तिधाम में करने के लिए सरपंच पति रूपेश वाघमारे और गांव के पटेल गब्बूलाल के पास अनुमति लेने पहुंचे तो इन दोनों ने अनुमति देने से इंकार कर दिया।
सरपंच पति वाघमारे ने मृतक के परिजनों से कहा कि तुम्हारे समाज के लोगों का अंतिम संस्कार तालाब के किनारे होता हैं..वहीं जाकर दाह संस्कार करो, शमशान जाने की जरूरत नहीं है। सरपंच पति ने धमदी देते हुए कहा कि यदि पंचायत के शमशान में अंतिम संस्कार किया तो इसका परिणाम ठीक नहीं होगा। वाघमारे का कहना था कि 6 माह में तुम लोगों के लिए अलग से शमशान बना दिया जाएगा, फिर वहीं करना अंतिम संस्कार।
बुजुर्ग का अंतिम संस्कार शमसान में करने की अनुमति नहीं दिए जाने की जानकारी परिजनों ने बलाई समाज के इंदौर में रहने वाले पदाधिकारियों को दी। जानकारी मिलते ही अखिल भारतीय बलाई महासंघ के अध्यक्ष मनोज परमार सहित अन्य समाजजन मेंमदी गांव पहुंच गए। मामले की जानकारी एसडीओपी, सिमरोल थाने के साथ ही तहसीलदार को दी गई। अधिकारी और पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गए। पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों को समझाकर बुजुर्ग का अंतिम संस्कार श्मशान में कराया।
बुजुर्ग व्यक्ति की शवयात्रा भी पुलिस की मौजूदगी में निकाली गई। जातिगत भेदभाव से नाराज लोगों ने शव को गांव के चौराहे पर रखकर चक्काजाम कर दिया। ग्रामीणों ने भेदभाव करने वाले सरपंच और अन्य पर एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग की। तहसीलदार राहुल गायकवाड़ और पुलिस ने मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने का आश्वासन ग्रामीणों को दिया इसके बाद चक्काजाम समाप्त हुआ।