नोएडा। यूपी पुलिस ने कार्यालयों और संस्थानों को आदेश दिया है कि वे अपने कर्मचारियों को खुले इलाकों जैसे पार्कों आदि में नमाज पढ़ने से रोकें। इस संबंध में नोएडा के पुलिस थानों में पिछले हफ्ते नोटिस जारी किया गया। इस नोटिस के मुताबिक, अगर नोएडा सेक्टर-58 स्थित इंडस्ट्रियल हब स्थित कार्यालयों के कर्मचारी नियमों का उल्लंघन करते पाए तो इसके लिए संस्थान को ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा। बताया जा रहा है कि नोएडा की कंपनियों ने इस मामले में पुलिस के आला अधिकारियों से बातचीत की मांग की है। वे खासकर कर्मचारियों के उल्लंघन पर उन्हें जिम्मेदार ठहराए जाने के मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं। पुलिस का नोटिस पाने वाली कुछ कंपनियों के एग्जिक्यूटिव ने बताया कि इस आदेश के बाद इंडस्ट्री में चिंता का माहौल है।
नोएडा पुलिस का कहना है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द न बिगड़े, इसके चलते यह फैसला लिया गया है। सेक्टर-58 थाने के प्रभारी पंकज राय ने बताया, ‘‘हमने अपने इलाके की कुछ कंपनियों को नोटिस भेजे हैं, क्योंकि दोपहर के वक्त खासतौर पर पार्कों में नमाज पढ़े जाने की शिकायत मिल रही थी। नमाज पढ़ने वालों में अधिकतर आसपास स्थित कंपनियों के कर्मचारी हैं। ऐसे में हमने कंपनियों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को मस्जिद या ऑफिस कम्पाउंड में छत पर नमाज पढ़ने के निर्देश दें।’’
इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में नोएडा के एसएसपी अजय पाल शर्मा को भी मैसेज भेजा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस के नोटिस में लिखा है, ‘‘हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि प्रशासन सेक्टर-58 स्थित अथॉरिटी पार्क में शुक्रवार को नमाज समेत किसी भी धार्मिक गतिविधि करने की इजाजत नहीं देता है। अक्सर देखा जा रहा है कि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में नमाज पढ़ते हैं। इलाके के थाना प्रभारी ने ऐसे ग्रुप को पार्क में नमाज नहीं पढ़ने के निर्देश दिए हैं। वहीं, उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट की तरफ से भी इस तरह की कोई अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने कर्मचारियों को पार्क में नमाज पढ़ने के लिए मना करेंगे। अगर कोई कर्मचारी पार्क में नमाज पढ़ता है और यह पता चलता है कि कंपनी ने इस आदेश की जानकारी उसे नहीं दी है तो इसके लिए कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’’
एसएचओ राय के मुताबिक, नमाज पढ़ने वालों की बढ़ती संख्या देखकर नोटिस जारी किया गया है। पहले 10-15 लोग शुक्रवार के दिन पार्क में नमाज पढ़ने जाते थे। ऐसे में कोई शिकायत नहीं मिल रही थी। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से इनकी संख्या तेजी से बढ़ गई। करीब दो हफ्ते पहले शुक्रवार दोपहर को 500-600 लोगों ने पार्क में नमाज पढ़ी। इसके बाद सार्वजनिक पार्क में नमाज पढ़ने से संबंधित काफी शिकायतें आईं। राय ने बताया, ‘‘हमने पार्क में मौजूद लोगों से बात की तो पता चला कि नमाज पढ़ने वालों में शामिल काफी लोग किसी कंपनी के कर्मचारी नहीं थे। 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके लिए कंपनियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।’’
नोएडा पुलिस का यह तर्क लोगों के गले नहीं उतर रहा और इसे सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की कारस्तानी माना जा रहा है। लोगों का कहना है कि सप्ताह में एक दिन मुस्लिम कर्मचारी कार्यालयों के नजदीक पार्कों में नमाज के लिए जमा हो जाते हैं। ऐसे में उनके पास ना तो कोई लाठी डंडा होता है और ना ही किसी तरह का हथियार। इससे किसी को खतरा कैसे हो सकता है। इस बीच सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि जगराता और अन्य कार्यक्रमों के लिए पाबंदी क्यों नहीं लगाई गई जबकि उनमें माइक पर जमकर शोर होता है।
नोएडा पुलिस का कहना है कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द न बिगड़े, इसके चलते यह फैसला लिया गया है। सेक्टर-58 थाने के प्रभारी पंकज राय ने बताया, ‘‘हमने अपने इलाके की कुछ कंपनियों को नोटिस भेजे हैं, क्योंकि दोपहर के वक्त खासतौर पर पार्कों में नमाज पढ़े जाने की शिकायत मिल रही थी। नमाज पढ़ने वालों में अधिकतर आसपास स्थित कंपनियों के कर्मचारी हैं। ऐसे में हमने कंपनियों से कहा है कि वे अपने कर्मचारियों को मस्जिद या ऑफिस कम्पाउंड में छत पर नमाज पढ़ने के निर्देश दें।’’
इंडियन एक्सप्रेस ने इस संबंध में नोएडा के एसएसपी अजय पाल शर्मा को भी मैसेज भेजा, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस के नोटिस में लिखा है, ‘‘हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि प्रशासन सेक्टर-58 स्थित अथॉरिटी पार्क में शुक्रवार को नमाज समेत किसी भी धार्मिक गतिविधि करने की इजाजत नहीं देता है। अक्सर देखा जा रहा है कि आपकी कंपनी के कर्मचारी पार्क में नमाज पढ़ते हैं। इलाके के थाना प्रभारी ने ऐसे ग्रुप को पार्क में नमाज नहीं पढ़ने के निर्देश दिए हैं। वहीं, उन्हें सिटी मजिस्ट्रेट की तरफ से भी इस तरह की कोई अनुमति नहीं दी गई है। ऐसे में कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे अपने कर्मचारियों को पार्क में नमाज पढ़ने के लिए मना करेंगे। अगर कोई कर्मचारी पार्क में नमाज पढ़ता है और यह पता चलता है कि कंपनी ने इस आदेश की जानकारी उसे नहीं दी है तो इसके लिए कंपनी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’’
एसएचओ राय के मुताबिक, नमाज पढ़ने वालों की बढ़ती संख्या देखकर नोटिस जारी किया गया है। पहले 10-15 लोग शुक्रवार के दिन पार्क में नमाज पढ़ने जाते थे। ऐसे में कोई शिकायत नहीं मिल रही थी। हालांकि, पिछले कुछ हफ्तों से इनकी संख्या तेजी से बढ़ गई। करीब दो हफ्ते पहले शुक्रवार दोपहर को 500-600 लोगों ने पार्क में नमाज पढ़ी। इसके बाद सार्वजनिक पार्क में नमाज पढ़ने से संबंधित काफी शिकायतें आईं। राय ने बताया, ‘‘हमने पार्क में मौजूद लोगों से बात की तो पता चला कि नमाज पढ़ने वालों में शामिल काफी लोग किसी कंपनी के कर्मचारी नहीं थे। 2019 में लोकसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है। इसके लिए कंपनियों को चिंता करने की जरूरत नहीं है।’’
नोएडा पुलिस का यह तर्क लोगों के गले नहीं उतर रहा और इसे सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की कारस्तानी माना जा रहा है। लोगों का कहना है कि सप्ताह में एक दिन मुस्लिम कर्मचारी कार्यालयों के नजदीक पार्कों में नमाज के लिए जमा हो जाते हैं। ऐसे में उनके पास ना तो कोई लाठी डंडा होता है और ना ही किसी तरह का हथियार। इससे किसी को खतरा कैसे हो सकता है। इस बीच सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि जगराता और अन्य कार्यक्रमों के लिए पाबंदी क्यों नहीं लगाई गई जबकि उनमें माइक पर जमकर शोर होता है।