असम NRC के विरोध में 70 लोगों के संगठन का प्रदर्शन शुरू

Written by Sabrangindia Staff | Published on: December 10, 2018
असम के विभिन्न लोकतांत्रिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने एनआरसी के विरोध में 9 दिसंबर से दिल्ली के जंतर मंतर पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है। इसमें केएमएसएस और किसान नेता अखिल गोगोई, एजेवाईसीपी, ताई अहोम सतरा सोथा, असम मोरन सभा, ऑल असम मोमोक सोनिमिल, ऑल असम अल्पसंख्यक छात्र संघ और असम के 70 अन्य संगठन, जो नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2016 के खिलाफ हैं एक ही मंच पर आकर इसका विरोध कर रहे हैं। इन संगठनों का कहना है कि यह विधेयक देश के नागरिकों की परिभाषा को बदलना चाहता है और इसमें एक धार्मिक आयाम शामिल है जो आरएसएस की वैचारिक परियोजना का हिस्सा है। इस विधेयक के जरिए जातीय और धार्मिक चिंताओं और संघर्ष को बढ़ावा देने का काम किया गया है। 

15 वीं लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को पेश किया गया था। [2016 के बिल संख्या 172] ने लोकतांत्रिक भारत को गहरी चोट पहुंचाई है। इस विधेयक की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति भी गठित की गई है। विधेयक के खिलाफ असम में व्यापक रूप से फैले विरोध प्रदर्शन के बावजूद, बीजेपी ने आक्रामक रूप से संसद के आने वाले शीतकालीन सत्र में विधेयक पारित करने का लक्ष्य रखा है।

*नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 क्यों असंवैधानिक, अवैध और अनैतिक है?*
नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 धर्म के आधार पर भारत के नागरिकता और आप्रवासन मानदंडों में मौलिक परिवर्तन करना चाहता है। विधेयक 'अवैध प्रवासियों' होने की परिभाषा के दायरे से - अल्पसंख्यक समुदायों, अर्थात् हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसी और अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के ईसाईयों को बाहर करने का प्रस्ताव करता है। विधेयक इस तरह के आप्रवासियों के लिए केवल छह साल के सामान्य निवास के लिए "प्राकृतिककरण द्वारा नागरिकता" हासिल करने के लिए 11 वर्षों की आवश्यकता को कम कर देता है। नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 के 'वस्तुओं और कारणों का बयान' यह भी स्पष्ट करता है कि विधेयक भारतीय नागरिकों के रूप में 'अवैध प्रवासियों' घोषित करना चाहता है। भारतीय सरकार की कई अधिसूचनाओं और आदेशों ने पहले से ही इन समुदायों के व्यक्तियों को सक्षम कर दिया है जिन्होंने वैध दस्तावेजों के बिना आश्रय प्राप्त करने के लिए 31 दिसंबर, 2014 तक भारत में प्रवेश किया था।
 
मोदी सरकार धर्म के नाम पर 40 लाख लोगों को विदेशी करार देने का काम कर रही है। इससे वहां कई दशकों से रह रहे लोग अपने ही देश में विदेशी हो गए हैं। अमित शाह ने इसे बीजेपी सरकार की सफलता मानते हुए कहा था कि अभी औऱ भी विदेशी घुसपैठिए जद में आएंगे। 

बाकी ख़बरें