आज जयपुर में घुमन्तू समुदाय के लोगों ने एनजीओ, सीबीओ, वामपंथ और दक्षिणपंथ को ऐसा घुमाया कि सारी विचारधाराओं का कचूमर निकल गया !
पहले वो आये, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े सभा भवन कुमारानंद हॉल ,जहाँ पर सिविल सोसाइटी धुरंधरों के कार्यक्रम का हिस्सा बने, यहां से सीधे भाजपा दफ्तर चले, बहाना तो घुमन्तुओं के मुद्दे पर ज्ञापन देना था, हारती हुई बीजेपी के मैनिफेस्टो में घुमन्तुओं के मुद्दों को जुड़वाना था।
वामपंथ के गढ़ से निकला कारवां बसों में सवार हो कर, उतरा दक्षिणपंथ की जमीन पर ,जहां पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सैनी और ओंकार सिंह लखावत आदि इत्यादि उनके लिए पलक पांवड़े बिछाए इंतज़ार में थे, मंच सजा था, दुपट्टे तैयार थे, सब कुछ पूर्व नियोजित,सुसज्जित, अचानक कुछ भी नहीं।
खबर है कि भाजपा ने हीरा लाल को घुमंतुओं के प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बना दिया, देने तो ज्ञापन गये थे और अध्यक्ष बना दिया,क्या करते, इसलिए बन गए।
सारा सेकुलरिज्म ज्ञापन में कैद हो कर कराहता रहा और घुमन्तू गलों में पड़ा कमल छाप दुपट्टा मुस्कराता रहा। वामपंथ,दक्षिणपंथ और एनजीओपंथ गड्डमगड्ड हो गए। रामो वामो की सरकार जैसा नजारा था, सभी सयाने एकमत।
पर कहानी यहीं रुकी नहीं,घुमन्तू तो घुमन्तू ठहरे,वे कभी एक जगह रुके है क्या जो आज रुकते,उनका कारवां भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से वापस निकला और फिर से वामपंथ के गढ़ कुमारानंद भवन में प्रवेश कर गया ,क्या ही अद्भुत नजारा रहा होगा जब लाल तारे के नीचे भाजपाई कमल छाप पट्टे गले मे लटकाये घुमन्तू युवा,महिलाएं व अन्य लोग नजर आए।
विचारधाराओं के तटबंध टूट गए,सब एक हुए,अविस्मरणीय बंधुत्व बना, शायद इसी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद कहा होगा।
बरसों की सिविल सोसायटी की मेहनत,घुमन्तू साझा मंच के कार्यानुभव ,प्रगतिशील ताकतों के प्रयास और भारतीय जनता पार्टी की सहृदय स्वीकार्यता से यह लोकतांत्रिक मिलन आज राजस्थान में संभव हो पाया।
जिन जिन साथियों ने वामपंथ व दक्षिणपंथ के मध्य वाया एनजीओ यह मिलन बिन्दु खोजा और इस ऐतिहासिक मिलन के सहभागी बने ,वे सभी साधुवाद के पात्र है,जो आज तक विश्व मे नहीं हुए,वह आखिर जयपुर व राजस्थान केक्रांतिकारी साथियों की बदौलत हो पाया।
और इस तरह घुमन्तुओं के संघीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी हुई,रही बात घुमन्तुओं की तो वे भला कब एक जगह रुकते हैं, वे वामपंथ,दक्षिणपंथ और एनजीओ पंथ को अलविदा कहकर आगे बढ़ गये ,सबके साथ -सबके विकास का नारा लगाते हुए।
पहले वो आये, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया से जुड़े सभा भवन कुमारानंद हॉल ,जहाँ पर सिविल सोसाइटी धुरंधरों के कार्यक्रम का हिस्सा बने, यहां से सीधे भाजपा दफ्तर चले, बहाना तो घुमन्तुओं के मुद्दे पर ज्ञापन देना था, हारती हुई बीजेपी के मैनिफेस्टो में घुमन्तुओं के मुद्दों को जुड़वाना था।
वामपंथ के गढ़ से निकला कारवां बसों में सवार हो कर, उतरा दक्षिणपंथ की जमीन पर ,जहां पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सैनी और ओंकार सिंह लखावत आदि इत्यादि उनके लिए पलक पांवड़े बिछाए इंतज़ार में थे, मंच सजा था, दुपट्टे तैयार थे, सब कुछ पूर्व नियोजित,सुसज्जित, अचानक कुछ भी नहीं।
खबर है कि भाजपा ने हीरा लाल को घुमंतुओं के प्रकोष्ठ का अध्यक्ष बना दिया, देने तो ज्ञापन गये थे और अध्यक्ष बना दिया,क्या करते, इसलिए बन गए।
सारा सेकुलरिज्म ज्ञापन में कैद हो कर कराहता रहा और घुमन्तू गलों में पड़ा कमल छाप दुपट्टा मुस्कराता रहा। वामपंथ,दक्षिणपंथ और एनजीओपंथ गड्डमगड्ड हो गए। रामो वामो की सरकार जैसा नजारा था, सभी सयाने एकमत।
पर कहानी यहीं रुकी नहीं,घुमन्तू तो घुमन्तू ठहरे,वे कभी एक जगह रुके है क्या जो आज रुकते,उनका कारवां भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से वापस निकला और फिर से वामपंथ के गढ़ कुमारानंद भवन में प्रवेश कर गया ,क्या ही अद्भुत नजारा रहा होगा जब लाल तारे के नीचे भाजपाई कमल छाप पट्टे गले मे लटकाये घुमन्तू युवा,महिलाएं व अन्य लोग नजर आए।
विचारधाराओं के तटबंध टूट गए,सब एक हुए,अविस्मरणीय बंधुत्व बना, शायद इसी को पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद कहा होगा।
बरसों की सिविल सोसायटी की मेहनत,घुमन्तू साझा मंच के कार्यानुभव ,प्रगतिशील ताकतों के प्रयास और भारतीय जनता पार्टी की सहृदय स्वीकार्यता से यह लोकतांत्रिक मिलन आज राजस्थान में संभव हो पाया।
जिन जिन साथियों ने वामपंथ व दक्षिणपंथ के मध्य वाया एनजीओ यह मिलन बिन्दु खोजा और इस ऐतिहासिक मिलन के सहभागी बने ,वे सभी साधुवाद के पात्र है,जो आज तक विश्व मे नहीं हुए,वह आखिर जयपुर व राजस्थान केक्रांतिकारी साथियों की बदौलत हो पाया।
और इस तरह घुमन्तुओं के संघीकरण की महत्वाकांक्षी परियोजना पूरी हुई,रही बात घुमन्तुओं की तो वे भला कब एक जगह रुकते हैं, वे वामपंथ,दक्षिणपंथ और एनजीओ पंथ को अलविदा कहकर आगे बढ़ गये ,सबके साथ -सबके विकास का नारा लगाते हुए।