बच्चों के गायब होने के मामले में लापरवाह रही छत्तीसगढ़ सरकार

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: October 12, 2018
छत्तीसगढ़ में नाबालिग बच्चों के गायब  होने और फिर न मिलने की अनेक घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं, लेकिन सरकार ने कभी इन पर ध्यान नहीं दिया। अब हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए ठोस नीति बनाने और 8 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

Chhattisgarh

नईदुनिया की खबर के अनुसार, बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई कि छत्तीसगढ़ सरकार ने एक साल बाद भी नाबालिग बच्चों को गायब होने से रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश से 355 नाबालिग बच्चों के गायब होने के बारे में छपी एक खबर पर संज्ञान लिया और उसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकार करते हुए सुनवाई शुरू की है। इस मामले में पुलिस-प्रशासन से भी जवाब-तलब किया गया।

बिलासपुर हाई कोर्ट ने सुनवाई में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से भी पूछा था कि बच्चे किन कारणों से घर से भागते हैं, इसे कैसे रोका जा सकता है। राज्य विधिक सेवा से सुझाव मिलने के बाद हाईकोर्ट ने 11 अक्टूबर 2017 को राज्य शासन को बच्चों को गायब होने से रोकने के लिए नीति बनाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था, लेकिन राज्य सरकार ने इस बारे में कुछ नहीं किया।

सोमवार को चीफ जस्टिस अजय कुमार त्रिपाठी और जस्टिस पीपी साहू की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान शासन ने जवाब पेश करने के लिए समय दिए जाने की मांग की। 

इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई। कहा कि बार-बार अवसर दिए जाने के बावजूद सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। लगता है कि सरकार इस दिशा में काम करना नहीं चाह रही है।

राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने नाबालिग बच्चों के गायब होने या उनके घर से भाग जाने को रोकने के लिए कई सुझाव दिए। इसके तहत इस कार्य में पुलिस के अलावा सामाजिक संगठन समाज सेवी, स्कूल, कॉलेज के शिक्षक समेत अन्य लोगों को जोड़ने, शिक्षण संस्थानों में जागरूकता लाने के लिए अभियान चलाने और नाबालिगों को समझाने, सार्वजनिक क्षेत्रों में संवेदना केंद्र स्थापित करने समेत अन्य बिंदुओं पर राय दी है। इन सुझावों के आधार पर सरकार को नीति बनानी है।
 
 

बाकी ख़बरें