छत्तीसगढ़ में किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक तो किसानों को फसल बीमा का कोई फायदा नहीं मिला, दूसरी ओर कई किसानों के खातों से गलत तरीके से रकम निकाल ली गई।
ये नवागढ़ ब्लॉक के संबलपुर गांव में हुआ है जहां करीब 25 किसानों के खातों से बैंक मैनेजर ने ही रकम निकाल ली और कह दिया कि किसानों ने जो उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज किए हैं, उसका खर्चा किसानों के खातों से ही वसूला जा रहा है। किसान ये सब जानकर हैरान हैं।
(Courtesy:Patrika)
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत संबलपुर में ग्रामीण बैंक शाखा से ग्राम तेंदुवा के किसानों ने 2016-17 के दौरान फसल बीमा कराया था, लेकिन बैंक प्रबंधक एसके प्रसाद ने किसानों के बीमा प्रीमियम की रकम ही जमा नहीं की थी। किसानों ने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से की थी, और जांच में बैंक प्रबंधक दोषी पाया गया था।
बैंक प्रबंधक के दोषी पाए जाने के बाद प्रभावित किसानों ने उसके खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर दिया तो शाखा प्रबंधक ने किसानों के केसीसी खाते से एक-एक हजार रुपए फोटोकॉपी पर खर्च होने के नाम पर निकाल लिए।
इतना ही नहीं, जुलाई में भी 20 से ज्यादा किसानों के खातों से 5400-5400 रुपए निकाल लिए। इस तरह से करीब एक लाख रुपए से अधिक की रकम निकाल ली गई। फसल बर्बाद होने से परेशान किसानों पर ये दोहरी मार पड़ी है। कहां तो किसान सोच रहे थे कि फसल बीमा कराने से उन्हें मुआवज़ा मिल जाएगा, वहीं उन्हें दोहरा नुकसान झेलना पड़ गया।
कई किसानों का कहना है कि उनके खातों से प्रीमियम राशि की कटौती के बाद भी उन्हें बीमा क्लेम नहीं मिला है। किसानों ने उपभोक्ता फोरम में केस किया है जिसका फैसला आना बाकी है, लेकिन फैसला आने के पहले ही शाखा प्रबंधक ने किसी कार्यालयीन आदेश का हवाला देते हुए प्रति खातेदार के खाते से 54 सौ रुपए का आहरण कर लिया है।
ये नवागढ़ ब्लॉक के संबलपुर गांव में हुआ है जहां करीब 25 किसानों के खातों से बैंक मैनेजर ने ही रकम निकाल ली और कह दिया कि किसानों ने जो उपभोक्ता फोरम में केस दर्ज किए हैं, उसका खर्चा किसानों के खातों से ही वसूला जा रहा है। किसान ये सब जानकर हैरान हैं।
(Courtesy:Patrika)
पत्रिका की रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत संबलपुर में ग्रामीण बैंक शाखा से ग्राम तेंदुवा के किसानों ने 2016-17 के दौरान फसल बीमा कराया था, लेकिन बैंक प्रबंधक एसके प्रसाद ने किसानों के बीमा प्रीमियम की रकम ही जमा नहीं की थी। किसानों ने इसकी शिकायत जिला कलेक्टर से की थी, और जांच में बैंक प्रबंधक दोषी पाया गया था।
बैंक प्रबंधक के दोषी पाए जाने के बाद प्रभावित किसानों ने उसके खिलाफ जिला उपभोक्ता फोरम में केस दायर कर दिया तो शाखा प्रबंधक ने किसानों के केसीसी खाते से एक-एक हजार रुपए फोटोकॉपी पर खर्च होने के नाम पर निकाल लिए।
इतना ही नहीं, जुलाई में भी 20 से ज्यादा किसानों के खातों से 5400-5400 रुपए निकाल लिए। इस तरह से करीब एक लाख रुपए से अधिक की रकम निकाल ली गई। फसल बर्बाद होने से परेशान किसानों पर ये दोहरी मार पड़ी है। कहां तो किसान सोच रहे थे कि फसल बीमा कराने से उन्हें मुआवज़ा मिल जाएगा, वहीं उन्हें दोहरा नुकसान झेलना पड़ गया।
कई किसानों का कहना है कि उनके खातों से प्रीमियम राशि की कटौती के बाद भी उन्हें बीमा क्लेम नहीं मिला है। किसानों ने उपभोक्ता फोरम में केस किया है जिसका फैसला आना बाकी है, लेकिन फैसला आने के पहले ही शाखा प्रबंधक ने किसी कार्यालयीन आदेश का हवाला देते हुए प्रति खातेदार के खाते से 54 सौ रुपए का आहरण कर लिया है।