परंपरागत वनवासी और आदिवासियों को सामुदायिक वन अधिकार दिए गए: छत्तीसगढ़ सरकार

Written by Sabrangindia Staff | Published on: October 16, 2020
नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ सरकार ने बीते बुधवार को घोषणा की है कि राज्य में 4,41,000 से अधिक व्यक्तिगत और 46,000 से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र अनुसूचित जनजाति समुदाय और अन्य पारंपरिक वनवासियों को वितरित किए गए हैं।



इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राज्य सरकार ने एक बयान में कहा, ‘इस तरह राज्य में स्थानीय समुदायों के 51।06 लाख ग्रामीण भूस्वामित्व का लाभ दिया गया है। राज्य में प्रति व्यक्ति वन अधिकार पत्र धारक को औसतन 1 हेक्टेयर वनभूमि पर मान्यता प्रदान की गई है, जो तुलनात्मक रूप से देश में बेहतर स्थिति है।’

सामुदायिक वन अधिकारों में लघु वन उपज का मालिकाना हक, मछली और जल निकायों के उत्पादों का उपयोग करने का अधिकार, चराई, विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों और पूर्व-कृषि समुदायों का निवास स्थान शामिल हैं।

बीते दो अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा उनके निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र को लगभग 1,300 सामुदायिक वन संसाधन संरक्षण अधिकार पत्रों के जरिये वितरित किया गया।

सरकारी बयान में कहा गया, ‘जनवरी 2019 के बाद सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों के 23 मामलों के तहत 26,000 हेक्टेयर वन भूमि के प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार ने पहली बार ग्राम सभाओं को सहमति और मान्यता प्रदान की है।’

राज्य सरकार ने यह भी कहा कि चिह्नित लाभार्थियों को उनके वन भूमि पर सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के तहत सिंचाई, खाद-बीज जैसी विभिन्न सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य में कुल 1,49,762 लाभार्थियों को भूमि समतल और मेढ़ बंधान लगाने के कार्य के तहत लाभ मिला है।

उन्होंने आगे कहा, ‘वनवासियों को सम्मान का जीवन के साथ-साथ अतिरिक्त आय के संसाधन उपलब्ध कराते हुए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 1,110 व्यक्तिगत न अधिकार लाभार्थियों को 1,150 हेक्टेयर भूमि पर सिंचित फलदार, लघु वनोपज और औषधि रोपण, सब्जी उत्पादन आदि कार्य मनरेगा योजना के अंतर्गत क्रियान्वित किए जा रहे हैं।’

 

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