छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री रमन सिंह आलाकमान को लगातार चौथी बार जीत का भरोसा दिला रहे हैं, लेकिन उनके संभावित उम्मीदवारों की सूची में दागी उम्मीदवारों की संख्या काफी ज्यादा देखते हुए उनके दावे पर सवाल उठ रहे हैं।
पिछले 15 सालों में तरह-तरह के समझौते करने वाले और भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे होने के कारण रमन सिंह की मजबूरी हो सकती है कि वो कई दबंग और सशक्त दागी नेताओं को टिकट से मना न कर पाएं, लेकिन अगर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा के दागियों का मुद्दा चुनावों में उठा लिया तो भाजपा को मुश्किल पड़ सकती है।
(courtesy: newsmobile.com)
अभी तक की जानकारी के मुताबिक 90 सदस्यों की विधानसभा के लिए भाजपा की ओर से करीब 30 उम्मीदवार दागी हैं। इनमें करीब 15 ऐसे हैं जिन्हें घोर दागी या बदनाम तक कहा जा सकता है।
इनमें से अधिकतर तो रमन सिंह के ही करीबी हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अन्य केंद्रीय नेताओं से संबंधों के कारण टिकट पर दावा ठोंक रहे हैं। आमतौर पर रमन सिंह उन नेताओं के टिकट काटने से बचते हैं जो केंद्र के नेताओं के करीबी हों, इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि तकरीबन सारे 30 दागी उम्मीदवार इस बार टिकट पा जाएंगे। इनमें से कई तो अब भी विधायक हैं, इसलिए उनका टिकट कटना तो वैसे भी मुश्किल ही लगता है।
समस्या केवल ये है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश संगठन से साफ कह दिया है कि चुनाव में किसी भी दागी उम्मीदवार को मैदान में न उतारा जाए। हालांकि मुख्यमंत्री के करीबी मानते हैं कि अमित शाह की ये हिदायत केवल औपचारिकता है क्योंकि खुद अमित शाह ही दागी नेता माने जाते हैं।
भाजपा के दागी नेताओं में निगरानीशुदा बदमाश से लेकर जमीन और आर्थिक अपराध के मामलों के आरोपी शामिल हैं। धनबली होने के कारण तो इनका दावा पुख्ता है ही साथ ही जातिगत समीकरण भी इनको टिकट दिलाने में सहायक दिख रहे हैं।
सरगुजा की रामानुजगंज, भटगांव, कोरिया की मनेंद्रगढ़, बस्तर की अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर सीटों पर दागी दावेदार ताल ठोंक रहे हैं। तखतपुर के विधायक राजू क्षत्री भी उपद्रवी नेता की छवि रखते हैं। मंत्री पुन्नूलाल मोहले के परिजन काफी दबंग माने जाते हैं। मंत्री महेश गागड़ा पर केस चल ही रहा है।
पिछले 15 सालों में तरह-तरह के समझौते करने वाले और भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे होने के कारण रमन सिंह की मजबूरी हो सकती है कि वो कई दबंग और सशक्त दागी नेताओं को टिकट से मना न कर पाएं, लेकिन अगर कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने भाजपा के दागियों का मुद्दा चुनावों में उठा लिया तो भाजपा को मुश्किल पड़ सकती है।
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अभी तक की जानकारी के मुताबिक 90 सदस्यों की विधानसभा के लिए भाजपा की ओर से करीब 30 उम्मीदवार दागी हैं। इनमें करीब 15 ऐसे हैं जिन्हें घोर दागी या बदनाम तक कहा जा सकता है।
इनमें से अधिकतर तो रमन सिंह के ही करीबी हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो अन्य केंद्रीय नेताओं से संबंधों के कारण टिकट पर दावा ठोंक रहे हैं। आमतौर पर रमन सिंह उन नेताओं के टिकट काटने से बचते हैं जो केंद्र के नेताओं के करीबी हों, इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि तकरीबन सारे 30 दागी उम्मीदवार इस बार टिकट पा जाएंगे। इनमें से कई तो अब भी विधायक हैं, इसलिए उनका टिकट कटना तो वैसे भी मुश्किल ही लगता है।
समस्या केवल ये है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश संगठन से साफ कह दिया है कि चुनाव में किसी भी दागी उम्मीदवार को मैदान में न उतारा जाए। हालांकि मुख्यमंत्री के करीबी मानते हैं कि अमित शाह की ये हिदायत केवल औपचारिकता है क्योंकि खुद अमित शाह ही दागी नेता माने जाते हैं।
भाजपा के दागी नेताओं में निगरानीशुदा बदमाश से लेकर जमीन और आर्थिक अपराध के मामलों के आरोपी शामिल हैं। धनबली होने के कारण तो इनका दावा पुख्ता है ही साथ ही जातिगत समीकरण भी इनको टिकट दिलाने में सहायक दिख रहे हैं।
सरगुजा की रामानुजगंज, भटगांव, कोरिया की मनेंद्रगढ़, बस्तर की अंतागढ़ और भानुप्रतापपुर सीटों पर दागी दावेदार ताल ठोंक रहे हैं। तखतपुर के विधायक राजू क्षत्री भी उपद्रवी नेता की छवि रखते हैं। मंत्री पुन्नूलाल मोहले के परिजन काफी दबंग माने जाते हैं। मंत्री महेश गागड़ा पर केस चल ही रहा है।