मध्यप्रदेश में विधानसभा सचिवालय में भर्तियों में भारी गड़बड़ी के आरोप लग रहे हैं। 2013 के बाद से विधानसभा में हर साल भर्तियां हुई हैं लेकिन इनमें गड़बड़ी की आशंका इसलिए जोर पकड़ रही है क्योंकि 2017-18 में जब आरटीआई के तहत इनकी जानकारी मांगी गई तो विधानसभा सचिवालय ने जानकारी देने से मना कर दिया।
ये मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि खुद भाजपा भी 1993-2003 के बीच कांग्रेस के कार्यकाल में विधानसभा में भर्तियों में गड़बड़ी का मामला उठाती रही है जिसके बाद एफआईआर तक की गई थी। अब गड़बड़ियों के आरोप भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हैं तो वह जवाब देने से ही इन्कार कर रही है।

(courtesy: naidunia.jagran.com)
चौदहवीं विधानसभा के कार्यकाल में अब तक जितनी भी भर्तियां हुईं, वे सवालों के घेरे में हैं। आरोप नेता-अफसरों को लाभ पहुंचाने के हैं। हाल ही में जब 41 पदों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे तो उसे स्थगित करना पड़ गया।
नईदुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक चौदहवीं विधानसभा में 2016 तक करीब 36 पदों पर भर्तियां की गईं और इसके बाद दो दर्जन नियुक्तियां और की गईं। अगस्त 2018 में 41 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसे स्थगित करना पड़ा।
आरोप हैं कि विधानसभा की इन नियुक्तियों में होशंगाबाद-इटारसी, और दतिया के अभ्यर्थियों को जरूरत से ज्यादा महत्व मिला है। चयनित उम्मीदवारों में से ज्यादातर प्रत्याशी होशंगाबाद-इटारसी, दतिया क्षेत्र के हैं।
माना जा रहा है भर्ती हुए कर्मचारियों की सिफारिश राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों ने भी की थी।
2017-18 में भर्ती के दौरान एक कर्मचारी नेता ने अपने बेटे और एक अन्य रिश्तेदार को नौकरी दिलाई थी। विधानसभा सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी ने भी अपने बेटे को सचिवालय में नौकरी दिलाई है।
हाल ही में ही विज्ञापित 41 पदों की भर्ती में भी एक मंत्री के रिश्तेदार और कुछ अन्य रसूखदार लोगों के सिफारिश करने का मामला सामने आया था जिसके बाद विवाद होने पर भर्ती को रोक दिया गया है।
ये मामला इसलिए भी अहम है क्योंकि खुद भाजपा भी 1993-2003 के बीच कांग्रेस के कार्यकाल में विधानसभा में भर्तियों में गड़बड़ी का मामला उठाती रही है जिसके बाद एफआईआर तक की गई थी। अब गड़बड़ियों के आरोप भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर हैं तो वह जवाब देने से ही इन्कार कर रही है।

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चौदहवीं विधानसभा के कार्यकाल में अब तक जितनी भी भर्तियां हुईं, वे सवालों के घेरे में हैं। आरोप नेता-अफसरों को लाभ पहुंचाने के हैं। हाल ही में जब 41 पदों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठे तो उसे स्थगित करना पड़ गया।
नईदुनिया की रिपोर्ट के मुताबिक चौदहवीं विधानसभा में 2016 तक करीब 36 पदों पर भर्तियां की गईं और इसके बाद दो दर्जन नियुक्तियां और की गईं। अगस्त 2018 में 41 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी, जिसे स्थगित करना पड़ा।
आरोप हैं कि विधानसभा की इन नियुक्तियों में होशंगाबाद-इटारसी, और दतिया के अभ्यर्थियों को जरूरत से ज्यादा महत्व मिला है। चयनित उम्मीदवारों में से ज्यादातर प्रत्याशी होशंगाबाद-इटारसी, दतिया क्षेत्र के हैं।
माना जा रहा है भर्ती हुए कर्मचारियों की सिफारिश राज्य सरकार के कुछ मंत्रियों ने भी की थी।
2017-18 में भर्ती के दौरान एक कर्मचारी नेता ने अपने बेटे और एक अन्य रिश्तेदार को नौकरी दिलाई थी। विधानसभा सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी ने भी अपने बेटे को सचिवालय में नौकरी दिलाई है।
हाल ही में ही विज्ञापित 41 पदों की भर्ती में भी एक मंत्री के रिश्तेदार और कुछ अन्य रसूखदार लोगों के सिफारिश करने का मामला सामने आया था जिसके बाद विवाद होने पर भर्ती को रोक दिया गया है।