खरगोन में खारक बांध के डूब प्रभावित लोग सात दिनों से कलेक्टर कार्यालय परिसर और टीआईटी कॉम्पलेक्स में धरना दे रहे हैं। इनके साथ जय आदिवासी युवा संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरा अलावा व भीकनगांव की विधायक झूमा सोलंकी भी शामिल हैं।
प्रदर्शन के सातवें दिन जब इन प्रदर्शनकारियों को कलेक्टर परिसर के मुख्य द्वार पर रोक दिया गया तो ये लोग सड़क पर ह धरने पर बैठ गए। बाद में नारेबाजी के बीच एसडीएम ने गेट पर आकर इन लोगों से ज्ञापन लिया।
(Courtesy: Naidunia.jagaran.com)
नईदुनिया के अनुसार, खारक बांध परियोजना से प्रभावित ये लोग सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पूर्ण मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को भी इन प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय परिसर में घुसने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया और गेट बंद कर दिया। इस पर आंदोलनकारियों ने सड़क पर ही चक्काजाम कर दिया। इन लोगों की मांग है कि उनकी मांगें एक माह में पूरी की जाएं।
भगवानपुरा तहसील की खारक बांध परियोजना से करीब 235 परिवार प्रभावित हैं। मुआवजे के बाद इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने 2003 या 2008 के तहत पुनर्वास और मुआवजा राशि का अधिकतम लाभ देने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार इस निर्देश का पालन नहीं कर रही है।
जिला प्रशासन ने शिकायत निवारण प्राधिकरण से निपटाए गए 129 प्रकरणों को तत्काल मुआवजा देने के साथ-साथ शेष 97 प्रकरणों को शासन स्तर पर कार्रवाई के लिए भेज दिया है, लेकिन नईदुनिया के अनुसार शासन के ही विधि विभाग में यह मामला लटका हुआ है।
पिछले एक सप्ताह से ये लोग कलेक्टर परिसर में अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
जय आदिवासी युवा संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ अलावा ने कहा कि सरकार प्रदेश में आदिवासियों की कब्र पर विकास कर रही है। जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों में सरकार द्वारा बनाए गए बांधों के निर्माण के साथ ही आदिवासी परंपरा और सैकड़ों आदिवासियों की जमीन जलमग्न हो गई। जब आदिवासी अपने हक के लिए सरकार से मांग कर रहा है तो उसकी सुनवाई नहीं की जा रही है।
प्रदर्शन के सातवें दिन जब इन प्रदर्शनकारियों को कलेक्टर परिसर के मुख्य द्वार पर रोक दिया गया तो ये लोग सड़क पर ह धरने पर बैठ गए। बाद में नारेबाजी के बीच एसडीएम ने गेट पर आकर इन लोगों से ज्ञापन लिया।
(Courtesy: Naidunia.jagaran.com)
नईदुनिया के अनुसार, खारक बांध परियोजना से प्रभावित ये लोग सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार पूर्ण मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
सोमवार को भी इन प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी करते हुए कलेक्टर कार्यालय परिसर में घुसने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया और गेट बंद कर दिया। इस पर आंदोलनकारियों ने सड़क पर ही चक्काजाम कर दिया। इन लोगों की मांग है कि उनकी मांगें एक माह में पूरी की जाएं।
भगवानपुरा तहसील की खारक बांध परियोजना से करीब 235 परिवार प्रभावित हैं। मुआवजे के बाद इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट ने 2003 या 2008 के तहत पुनर्वास और मुआवजा राशि का अधिकतम लाभ देने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार इस निर्देश का पालन नहीं कर रही है।
जिला प्रशासन ने शिकायत निवारण प्राधिकरण से निपटाए गए 129 प्रकरणों को तत्काल मुआवजा देने के साथ-साथ शेष 97 प्रकरणों को शासन स्तर पर कार्रवाई के लिए भेज दिया है, लेकिन नईदुनिया के अनुसार शासन के ही विधि विभाग में यह मामला लटका हुआ है।
पिछले एक सप्ताह से ये लोग कलेक्टर परिसर में अलग-अलग तरीके से प्रदर्शन कर मुआवजे की मांग कर रहे हैं।
जय आदिवासी युवा संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ अलावा ने कहा कि सरकार प्रदेश में आदिवासियों की कब्र पर विकास कर रही है। जिले सहित प्रदेश के अन्य जिलों में सरकार द्वारा बनाए गए बांधों के निर्माण के साथ ही आदिवासी परंपरा और सैकड़ों आदिवासियों की जमीन जलमग्न हो गई। जब आदिवासी अपने हक के लिए सरकार से मांग कर रहा है तो उसकी सुनवाई नहीं की जा रही है।