इसका उद्देश्य 2030 तक सभी श्रमिकों के लिए सार्वभौमिक, पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा अकाउंट बनाना है; यह महिलाओं की श्रम भागीदारी को 35% तक बढ़ाने और एमएसएमई के लिए एकल-खिड़की डिजिटल अनुपालन की पेशकश करना चाहता है।

साभार : एनडीटीवी (फायल फोटो)
यूनिवर्सल और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा राष्ट्रीय श्रम और रोजगार नीति के मसौदे का एक प्रमुख घटक है। इस नीति में यह प्रस्ताव दिया गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), ई-श्रम पोर्टल और राज्य कल्याण बोर्डों को एकीकृत कर एक यूनिवर्सल अकाउंट बनाया जाए। श्रम शक्ति नीति 2025 के नाम से जानी जाने वाली इस मसौदा नीति को बुधवार को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया।
अन्य प्रस्तावों में जोखिम-आधारित निरीक्षणों के साथ ऑक्युपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ कोड का कार्यान्वयन, लिंग-संवेदनशील मानक और विभिन्न कौशल योजनाओं का समन्वय शामिल है। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह मसौदा नीति 2047 तक विकसित भारत की राष्ट्रीय आकांक्षा के अनुरूप न्यायसंगत, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार कार्य क्षेत्र के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मांडविया ने कहा, “भारत के श्रम धर्म – श्रम की प्रतिष्ठा और नैतिक मूल्य – जैसे सभ्यतागत मूल्यों में निहित, यह नीति एक ऐसे श्रम पारिस्थितिकी तंत्र की परिकल्पना करती है जो प्रत्येक श्रमिक को संरक्षण, उत्पादकता और सहभागिता सुनिश्चित करता है। यह नीति एक संतुलित ढांचा तैयार करना चाहती है जो एक ओर श्रमिकों के कल्याण को बनाए रखे और दूसरी ओर उद्यमों को विकास करने और टिकाऊ आजीविका पैदा करने में सक्षम बनाए।”
सामाजिक सुरक्षा की पोर्टेबिलिटी
इस नीति से अपेक्षित परिणामों में शामिल हैं:
● सभी श्रमिकों का सार्वभौमिक पंजीकरण और सामाजिक सुरक्षा की पोर्टेबिलिटी,
● कार्यस्थल पर शून्य के करीब मृत्यु दर,
● महिला श्रम शक्ति में सहभागिता में वृद्धि,
● डिजिटल अनुपालन के माध्यम से असंगठित नौकरियों में तेजी से कमी,
● सभी राज्यों में AI-आधारित श्रम-शासन की क्षमता,
● हरित (ग्रीन) और गरिमापूर्ण नौकरियों के लाखों नए अवसर,
● और एक पूरी तरह से समन्वित ‘एक राष्ट्र, एकीकृत कार्यबल’ (One Nation Integrated Workforce) पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना।
ड्राफ्ट को लेकर सुझाव लेने की आखिरी तिथि 27 अक्टूबर है।
यह मसौदा नीति 2030 तक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को 35% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती है और युवाओं के लिए उद्यमिता एवं करियर मार्गदर्शन पहलों का विस्तार करने का प्रस्ताव करती है। इसमें एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) के लिए सेल्फ-सर्टिफिकेशन और सरल रिटर्न के साथ डिजिटल अनुपालन हेतु एक सिंगल-विंडो प्रणाली का भी प्रस्ताव है।
नीति दस्तावेज में हरित नौकरियों (ग्रीन जॉब्स) को बढ़ावा देने, एआई-सक्षम सुरक्षा प्रणालियों, श्रमिकों के लिए न्यायसंगत संक्रमण (जस्ट ट्रांज़िशन) के मार्ग और अंतर-मंत्रालयी समन्वय एवं पारदर्शी निगरानी सुनिश्चित करने वाली एकीकृत राष्ट्रीय श्रम डेटा संरचना को भी शामिल किया गया है।
जवाबदेही योजना
नीति कार्यान्वयन तीन चरणों में होगा। पहला चरण (2025-27) संस्थागत ढांचे और सामाजिक-सुरक्षा एकीकरण पर केंद्रित होगा। दूसरे चरण (2027-30) के दौरान, कौशल-ऋण प्रणालियों और जिला-स्तरीय रोजगार सुविधा प्रकोष्ठों के साथ-साथ सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा खातों की राष्ट्रव्यापी शुरुआत पूरी हो जाएगी। तीसरा चरण (2030 के बाद) कागज रहित शासन, पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण और निरंतर नीति नवीनीकरण लाएगा।
मसौदा नीति दस्तावेज में कहा गया है, "प्रगति पर रीयल-टाइम डैशबोर्ड, राज्यों के लिए श्रम एवं रोजगार नीति मूल्यांकन सूचकांक (एलपीईआई) और संसद को प्रस्तुत की जाने वाली वार्षिक राष्ट्रीय श्रम रिपोर्ट के माध्यम से नजर रखी जाएगी। स्वतंत्र तृतीय-पक्ष समीक्षा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी।"
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साभार : एनडीटीवी (फायल फोटो)
यूनिवर्सल और पोर्टेबल सामाजिक सुरक्षा राष्ट्रीय श्रम और रोजगार नीति के मसौदे का एक प्रमुख घटक है। इस नीति में यह प्रस्ताव दिया गया है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC), प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), ई-श्रम पोर्टल और राज्य कल्याण बोर्डों को एकीकृत कर एक यूनिवर्सल अकाउंट बनाया जाए। श्रम शक्ति नीति 2025 के नाम से जानी जाने वाली इस मसौदा नीति को बुधवार को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया गया।
अन्य प्रस्तावों में जोखिम-आधारित निरीक्षणों के साथ ऑक्युपेशनल सेफ्टी एंड हेल्थ कोड का कार्यान्वयन, लिंग-संवेदनशील मानक और विभिन्न कौशल योजनाओं का समन्वय शामिल है। केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि यह मसौदा नीति 2047 तक विकसित भारत की राष्ट्रीय आकांक्षा के अनुरूप न्यायसंगत, समावेशी और भविष्य के लिए तैयार कार्य क्षेत्र के लिए एक नया दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मांडविया ने कहा, “भारत के श्रम धर्म – श्रम की प्रतिष्ठा और नैतिक मूल्य – जैसे सभ्यतागत मूल्यों में निहित, यह नीति एक ऐसे श्रम पारिस्थितिकी तंत्र की परिकल्पना करती है जो प्रत्येक श्रमिक को संरक्षण, उत्पादकता और सहभागिता सुनिश्चित करता है। यह नीति एक संतुलित ढांचा तैयार करना चाहती है जो एक ओर श्रमिकों के कल्याण को बनाए रखे और दूसरी ओर उद्यमों को विकास करने और टिकाऊ आजीविका पैदा करने में सक्षम बनाए।”
सामाजिक सुरक्षा की पोर्टेबिलिटी
इस नीति से अपेक्षित परिणामों में शामिल हैं:
● सभी श्रमिकों का सार्वभौमिक पंजीकरण और सामाजिक सुरक्षा की पोर्टेबिलिटी,
● कार्यस्थल पर शून्य के करीब मृत्यु दर,
● महिला श्रम शक्ति में सहभागिता में वृद्धि,
● डिजिटल अनुपालन के माध्यम से असंगठित नौकरियों में तेजी से कमी,
● सभी राज्यों में AI-आधारित श्रम-शासन की क्षमता,
● हरित (ग्रीन) और गरिमापूर्ण नौकरियों के लाखों नए अवसर,
● और एक पूरी तरह से समन्वित ‘एक राष्ट्र, एकीकृत कार्यबल’ (One Nation Integrated Workforce) पारिस्थितिकी तंत्र की स्थापना।
ड्राफ्ट को लेकर सुझाव लेने की आखिरी तिथि 27 अक्टूबर है।
यह मसौदा नीति 2030 तक कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को 35% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखती है और युवाओं के लिए उद्यमिता एवं करियर मार्गदर्शन पहलों का विस्तार करने का प्रस्ताव करती है। इसमें एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों) के लिए सेल्फ-सर्टिफिकेशन और सरल रिटर्न के साथ डिजिटल अनुपालन हेतु एक सिंगल-विंडो प्रणाली का भी प्रस्ताव है।
नीति दस्तावेज में हरित नौकरियों (ग्रीन जॉब्स) को बढ़ावा देने, एआई-सक्षम सुरक्षा प्रणालियों, श्रमिकों के लिए न्यायसंगत संक्रमण (जस्ट ट्रांज़िशन) के मार्ग और अंतर-मंत्रालयी समन्वय एवं पारदर्शी निगरानी सुनिश्चित करने वाली एकीकृत राष्ट्रीय श्रम डेटा संरचना को भी शामिल किया गया है।
जवाबदेही योजना
नीति कार्यान्वयन तीन चरणों में होगा। पहला चरण (2025-27) संस्थागत ढांचे और सामाजिक-सुरक्षा एकीकरण पर केंद्रित होगा। दूसरे चरण (2027-30) के दौरान, कौशल-ऋण प्रणालियों और जिला-स्तरीय रोजगार सुविधा प्रकोष्ठों के साथ-साथ सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा खातों की राष्ट्रव्यापी शुरुआत पूरी हो जाएगी। तीसरा चरण (2030 के बाद) कागज रहित शासन, पूर्वानुमानात्मक विश्लेषण और निरंतर नीति नवीनीकरण लाएगा।
मसौदा नीति दस्तावेज में कहा गया है, "प्रगति पर रीयल-टाइम डैशबोर्ड, राज्यों के लिए श्रम एवं रोजगार नीति मूल्यांकन सूचकांक (एलपीईआई) और संसद को प्रस्तुत की जाने वाली वार्षिक राष्ट्रीय श्रम रिपोर्ट के माध्यम से नजर रखी जाएगी। स्वतंत्र तृतीय-पक्ष समीक्षा पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेगी।"
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