पलटमारी के वक्त नीतीश कुमार की सबसे बड़ी दलील यही थी कि पिछले एक साल से उन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा था! आज के अखबार में उन्होंने बिहार सरकार की एक योजना ‘बिहार स्किल डेवलपमेंट मिशन’ का भव्य विज्ञापन पेश किया है, विज्ञापनी-युद्ध के मैदान में, ठीक मोदीय आभामंडल की तरह! इसमें उन्होंने बताया है कि कैसे इस विभाग के तहत ‘पिछले साल भर में बहुत ही प्रभावी उपलब्धियां हासिल की गई हैं!’
अगर उनकी सरकार को किसी व्यक्ति या पार्टी की ओर से ‘काम करने में बाधाएं पहुंचाई जा रही थीं,’ तो ‘पिछले एक साल में’ उनके मातहत काम करने वाले इस महकमे ने ‘इतनी शानदार उपलब्धियां’ कैसे हासिल कर लीं..!
मेरा तो मानना है कि नीतीश कुमार खुद ही यह पहल करें और 2005 के बाद बिहार में अपने नेतृत्व के दौरान किए गए सभी कामकाज [सरकारी स्तर पर गंगा आरती टाइप अभियानों सहित] के बारे में श्वेत-पत्र जारी करें, और पिछले बीस महीनों का भी! खासतौर पर तेजस्वी यादव के महकमे के इस दौरान के कामकाज का ब्योरा जनता के सामने रखा जाए, ताकि जनता को यह तय करने में मदद मिले कि किसने किस तरह के काम किए और उन्हें किस तरह की बाधाएं पहुंचाई गईं।
तो नीतीश जी जब जनता के वोटों की डकैती करते हुए यह कहते हैं कि सरकार के कामकाज में बाधा डाली जा रही थी और चंद रोज के अंतराल में ही विज्ञापन निकाल कर ‘पिछले एक साल की शानदार कामयाबी’ का ब्योरा पेश करते हैं तो उन्हें यह सोचना चाहिए कि उनके सलाहकार कितने भोंदू हैं कि इस तरह की कवायदें उनसे करवा कर उन्हें भी अपने जैसा पेश करना चाह रहे हैं..! हालांकि अपने नकलीपन को दूसरों ने कम, खुद नीतीश कुमार ने ज्यादा जाहिर किया है..!
साभार: नेशनल दस्तक
मेरा तो मानना है कि नीतीश कुमार खुद ही यह पहल करें और 2005 के बाद बिहार में अपने नेतृत्व के दौरान किए गए सभी कामकाज [सरकारी स्तर पर गंगा आरती टाइप अभियानों सहित] के बारे में श्वेत-पत्र जारी करें, और पिछले बीस महीनों का भी! खासतौर पर तेजस्वी यादव के महकमे के इस दौरान के कामकाज का ब्योरा जनता के सामने रखा जाए, ताकि जनता को यह तय करने में मदद मिले कि किसने किस तरह के काम किए और उन्हें किस तरह की बाधाएं पहुंचाई गईं।
साभार: नेशनल दस्तक