बिहार सरकार ने जारी की जाति जनगणना रिपोर्ट, 63.1% OBC, 15.5% जनरल, 17.7% मुस्लिम व 14.26% यादव...

Written by Navnish Kumar | Published on: October 2, 2023
"बिहार सरकार ने सोमवार को राज्य की जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी कर दी, जिसके अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है। इसमें 81.99% हिंदू हैं। 17.7% लोग मुसलमान हैं। बाकी ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन तथा अन्य धर्म को मानने वालों की संख्या 1 फीसदी से भी कम है। सवर्णों की आबादी 15.52%, यादव 14.26%, अनुसूचित जाति 19.65%, अनुसूचित जनजाति 1.68%, राजपूत 3.45, भूमिहार की आबादी 2.89% और मुसहर 3 फीसदी है।"



बिहार में हाल ही में कराई गई जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट सोमवार को जारी कर दी गई। अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने पटना में प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि राज्य की कुल 13 करोड़ की आबादी में पिछड़े वर्ग की संख्या 27.13 फीसदी है। इसी तरह अत्यंत पिछड़े वर्ग की कुल आबादी 36.01 फीसदी है। कुल मिलाकर पिछड़ा और अन्य पिछड़ा वर्ग की संयुक्त आबादी 63.14 फीसदी है। केवल 15.52 फीसदी लोग सामान्य वर्ग के हैं। अनुसूचित जाति के लोग 19.65 फीसदी और अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 1.68 फीसदी है। राज्य में 3.6 फीसदी ब्राह्मण, 3.45 फीसदी राजपूत, 2.89 फीसदी भूमिहार, 0.60 फीसदी कायस्थ, 14.26 फीसदी यादव, 2.87 फीसदी कुर्मी, 2.81 फीसदी तेली, 3.08 फीसदी मुसहर, 0.68 फीसदी सोनार, धानुक 2.13, सुनार 68, कुम्हार 1.04, बढ़ई 1.45, नाई 1.59 फीसदी हैं।

बिहार में हुए इस जातिगत जनगणना सर्वे में कई महत्वपूर्ण तथ्य प्रकाश में आये हैं जो इस प्रकार से हैं।

पिछड़ा वर्ग-27.12 %
अत्यंत पिछड़ा वर्ग-36.01 %
अनुसूचित जाति-19.65 %
अनुसूचित जनजाति-1.68 %
सामान्य वर्ग 15.52 %

बिहार में किस धर्म की कितनी आबादी ?

हिन्दू- 81.99%
मुस्लिम- 17.70%
ईसाई-.05%
सिख- .01%
बौद्ध-.08%

किस जाति की कितनी आबादी?

ब्राह्मण- 3.67%
राजपूत- 3.45%
भूमिहार- 2.89%
कायस्थ - 0.60%
यादव - 14.26 %
कुशवाहा - 4.27
कुरमी- 2.87%
तेली- 2.81%
मुसहर- 3.08%
सोनार-0.68%
मल्‍लाह 2.60%
बढ़ई- 1.4%
कुम्हार- 1.4%
पासी- 0.9%
धोबी- 0.8%
नाई- 1.59 फीसदी
मोची जाटव, रविदास- 5.2% !!

कितने हिंदू-मुसलमान?

इस जातिगत सर्वे से बिहार में आबादी का धार्मिक आधार भी पता चला है।

सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में सर्वाधिक संख्या हिंदुओं की है। बिहार में 107192958 लोगों ने अपने आप को हिंदू बताया है। यानी बिहार की कुल आबादी में 81.9 प्रतिशत हिंदू हैं।

इनके बाद सबसे बड़ा धार्मिक समूह मुसलमानों का है। राज्य में 23149925 लोगों ने अपने आप को मुसलमान बताया है। बिहार में मुसलमानों की आबादी 17.7 प्रतिशत है। इसके बाद ईसाई 0.05 प्रतिशत, ईसाई 0.05 प्रतिशत, बौद्ध 0.08 प्रतिशत, जैन 0.009 प्रतिशत हैं जबकि 2146 लोगों ने बताया है कि वो किसी धर्म को नहीं मानते हैं।

टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक अनुसूचित जाति की आबादी का प्रतिशत 19.65 है जबकि सूबे में महज 1.68 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। अगर किसी एक खास जाति के प्रतिशत के हिसाब से बात की जाए तो यादवों की आबादी सबसे ज्यादा है। आंकड़ों के मुताबिक सूबे में 14.27 फीसदी यादव हैं।

गौरतलब है कि पिछले साल ही यह सर्वे शुरू किया गया था और उस समय पीएम मोदी ने जाति के आधार पर जनगणना कराने से इंकार कर दिया था। 

कैसे किया गया जातिगत सर्वे

बिहार सरकार के एडिशनल सेक्रेटरी विवेक कुमार सिंह ने बताया कि बिहार विधानमंडल ने 18 फरवरी 2019 को राज्य में जाति आधारित जनगणना (सर्वे) कराने का प्रस्ताव पारित किया था। उन्होंने बताया, "इसके बाद 2 जून 2022 को बिहार मंत्री परिषद ने जाति आधारित जनगणना कराने का फ़ैसला किया। ये दो चरणों में होनी थी। पहले चरण में ये मकान के जरिए होनी थी।"

"इसके तहत 7 जनवरी 2023 से 31 जनवरी 2023 तक मकानों का नंबरीकरण किया गया और लिस्ट बनाई गई। दूसरे चरण में राज्य के सभी व्यक्तियों की जनगणना का काम 15 अप्रैल 2023 को शुरू किया गया।" "इसमें ज़िला स्तर के पदाधिकारियों को अलग अलग ज़िम्मेदारियां दी गईं और युद्ध स्तर पर ये कार्य संपन्न हुआ। 5 अगस्त 2023 को सारे आंकड़े बनाकर मोबाइल ऐप के जरिए उसे जमा किया गया।"

"बिहार में कुल सर्वेक्षित परिवारों की कुल संख्या दो करोड़ 83 लाख 44 हजार 107 है और इसमें कुल जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 10 है।" "इसमें अस्थाई प्रवासी स्थिति में 53 लाख 72 हजार 22 लोग हैं।"

बिहार सरकार की सूची में 214 जातियां

बिहार सरकार की सूची में 214 जातियां हैं। सूची के अनुसार अनुसूचित जाति में 22, अनुसूचित जनजाति में 32, पिछड़ा वर्ग में 30, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) में 113 और उच्च जाति में 7 की गणना की गई है। बिहार सरकार ने 6 जून 2022 को बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी। इस काम में बिहार सरकार आकस्मिकता निधि (कंटीजेंसी फंड) से 500 करोड़ से ज्यादा खर्च किए हैं जबकि 5 लाख कर्मचारियों ने मिलकर पूरे राज्य में इस सर्वे को अंजाम दिया है। इसमें सरकारी कर्मचारी के अलावा आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदी ने भी काम किया। मई 2023 तक इस सर्वे को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था जो अब आकर पूरा हुआ है।

आर्थिक स्थिति का भी लिया गया जायजा

पहले चरण में लोगों के घरों की गिनती की गई। इसकी शुरुआत पटना के वीआईपी इलाकों से हुई थी जबकि दूसरे चरण में जाति और आर्थिक जनगणना का काम शुरू हुआ। इसमें लोगों के शिक्षा का स्तर, नौकरी (प्राइवेट, सरकारी, गजटेड, नॉन-गजटेड आदि), गाड़ी (कैटगरी), मोबाइल, किस काम में दक्षता है, आय के अन्य साधन, परिवार में कितने कमाने वाले सदस्य हैं, एक व्यक्ति पर कितने आश्रित हैं, मूल जाति, उप जाति, उप की उपजाति, गांव में जातियों की संख्या, जाति प्रमाण पत्र से जुड़े सवाल पूछे गए हैं।

क्या हैं इस जाति जनगणना के सियासी मायने?

जानकार कहते हैं कि बिहार में पिछड़ा वर्ग निर्णायक संख्या में है। जाति जनगणना से राजनीतिक दलों को लगता है कि इसके जरिए धर्म की बजाय, जाति के आधार पर वोट पड़ेगा। इसी से, लंबे समय से आबादी के हिसाब से आरक्षण की मांग हो भी रही है। जातीय समितियों का नारा है कि जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी। मतलब आबादी के हिसाब से ही आरक्षण दिया जाए। ओबीसी वर्ग से आने वाले लोगों का कहना है कि एससी-एसटी को संख्या के आधार पर आरक्षण दिया जा रहा है। इसी तरह ओबीसी को भी उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण दिया जाए। 
 
इसके पीछे एक तीसरा खास कारण है, जिसका सरकार दावा करती है। बिहार सरकार का कहना है कि जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद पिछड़े लोगों की सही संख्या मालूम चल पाएगी। इससे उन्हें उन सुविधाओं का लाभ दिया जा सकेगा, जो अब तक उन्हें नहीं मिल पाती थी। आबादी के हिसाब से उनके लिए सरकारी योजनाएं बनाई जाएंगी, ताकि समाज की मुख्य धारा में पिछड़े लोगों की जिंदगी बेहतर हो सके। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक मनोज झा कहते हैं, 'भाजपा पर धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण करने का आरोप लगता है। भाजपा की हिन्दुत्व की राजनीति को, विपक्षी दल जातिगत राजनीति से, जवाब देने की कोशिश कर रहे हैं। जनगणना इसमें धार देने का काम कर सकती है।'

नीतीश कुमार ने जनगणना टीम को दी बधाई

बिहार में जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट जारी होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस काम को करने वाली टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा, "आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई !" उन्होंने कहा, "जाति आधारित गणना के लिए सर्वसम्मति से विधानमंडल में प्रस्ताव पारित किया गया था। बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 2 जून 2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी। 

नीतीश कुमार ने कहा, राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है। जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है। इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास और उत्थान के लिए काम किया जाएगा।" कहा "बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी और जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा। और उसके आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए अग्रेतर कार्रवाई की जाएगी।"



राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने जताई खुशी

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ने एक बयान में रिपोर्ट जारी करने पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, "आज गांधी जयंती पर हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने हैं। बीजेपी की तमाम साजिशों, कानूनी अड़चनों के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे जारी कर दिया। ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और प्रगति के लिए समग्र योजना बनाने और आबादी के अनुपात में वंचित समूहों को प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए एक उदाहरण स्थापित करेंगे।" 

कहा "सरकार को अब सुनिश्चित करना चाहिए कि जिसकी जितनी संख्या, उसकी उतनी हिस्सेदारी हो। हमारा शुरू से मानना रहा है कि राज्य के संसाधनों पर न्यायसंगत अधिकार सभी वर्गों का हो। केंद्र में 2024 में जब हमारी सरकार बनेगी तब पूरे देश में जातिगत जनगणना करवायेंगे और दलित, मुस्लिम, पिछड़ा और अति पिछड़ा विरोधी भाजपा को सत्ता से बेदखल करेंगे।"

बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने लिखा, "बिहार के जाति आधारित सर्वे के आँकड़े सावर्जनिक!ऐतिहासिक क्षण!...दशकों के संघर्ष का प्रतिफल!!....अब सरकार की नीतियाँ और नीयत दोनों ही जाति आधारित सर्वे के इन आँकड़ों का सम्मान करेंगे।"



बिहार सरकार द्वारा जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट जारी करने पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी खुशी जताई। उन्होंने कहा, "हम तो हमेशा से इसके (जातिगत जनगणना) पक्षधर रहे हैं। मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर हम भी इसे कराएंगे।" उधर बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने कहा, " जातीय जनगणना बिहार की जनता में, गरीबों में भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं है।" उन्होंने कहा, "इन्हें रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि 33 साल, 18 साल नीतीश बाबू और 15 साल लालू यादव, ये दोनों ने मिलकर राज किया और गरीबों का क्या उद्धार किया?"

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