नई दिल्ली। एक ऐसे समय में जब प्रवासी श्रमिक पैदल, बसों या ट्रेनों में अपने घरेलू राज्यों को वापस जा रहे हैं, तब बिहार के खगड़िया जिले के 222 श्रमिकों ने वापसी यात्रा का विकल्प चुना है। ये प्रवासी कामगार विशेष ट्रेनों से शुक्रवार को तेलंगाना के हैदराबाद पहुंचे। वे तेलंगाना की चावल मिलों में काम करेंगे।
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राज्य के नागरिक आपूर्ति मंत्री जी. कमालकर, सत्तारूढ़ टीआरएस के विधान पार्षद तथा राज्य की रायतू (किसान) समन्वय समिति के अध्यक्ष पीआर रेड्डी और अन्य लोगों ने यहां लिंगमपल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रवासी कामगारों का स्वागत किया।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक रेड्डी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि अपने गृह राज्य को छोड़कर प्रवासी कामगार काम के लिये किसी दूसरे राज्य में आए हों। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार तेलंगाना में लॉकडाउन के चलते कामगारों की कमी हो गई है। यह ऐसा समय है जब राज्य सरकार रिकॉर्ड स्तर पर किसानों से धान खरीद रही है।
ट्रेन के किराए का भुगतान तेलंगाना सरकार ने किया है। पिछले हफ्ते इस ट्रेन से प्रवासी मजदूरों के एक समूह को हैदराबाद से पटना ले जाया गया था। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तेलंगाना सरकार के अनुरोध पर खगड़िया से 222 मजदूर चावल मिलों में काम करने के लिए खगड़िया से तेलंगाना रवाना हो गए।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने विकसित राज्यों को बिहार की श्रमशक्ति का एहसास करा दिया। उन्होंने कहा, ‘तेलंगाना के मुख्य सचिव ने अनुरोध किया था कि राज्य में चावल मिलों के लिए श्रमिकों को वापस भेजा जाए। प्रवासी श्रमिकों के संपर्क में रहने वाले स्थानीय समन्वयक ने उनसे संपर्क किया और 222 मजदूर ट्रेन में सवार हो गए।’
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने खगड़िया जिले से प्रदेश के 222 प्रवासी मजदूरों के तेलंगाना लौटने को लेकर राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जदयू-भाजपा गठबंधन सरकार पर शुक्रवार को निशाना साधते हुए कहा कि यह उसकी ‘संवेदनहीनता की पराकाष्ठा’ है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार ने बृहस्पतिवार देर रात एक ट्रेन से 222 श्रमिकों को तेलंगाना भेजा है। संवेदनहीनता की भी एक सीमा होती है। एक ओर जहां सभी राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य के निवासियों को वापस लाकर उनकी बेहतरी में दिन-रात प्रयासरत हैं, वहीं लाकडाउन से पहले बिहार लौटे प्रवासी मज़दूरों को बिहार सरकार वापस बाहर भेज रही है। ’
राजद नेता ने ट्वीट किया, ‘इस मुश्किल दौर में सरकार प्रायोजित ‘रिवर्स माइग्रेशन’ की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना इनके (नीतीश शासन की) 15 वर्षों की असफलताओं का जीता-जागता स्मारक है…।’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री के उस फ़र्ज़ी दावे की भी पोल खोल रही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रवासी मज़दूरों का कौशल सर्वे करा बिहार में ही उन्हें रोज़गार मुहैया किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह तो सरकार द्वारा बलपूर्वक पलायन है।’
तेजस्वी ने कहा, ‘अगर इन मज़दूरों को वहाँ कुछ होता है तो क्या बिहार सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेगी? आख़िर इतनी जल्दबाज़ी क्यों है? क्या सरकार को उनके स्वास्थ्य और गरिमा की फ़िक्र और सम्मान नहीं करना चाहिए ? यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। काश! सरकार द्वारा इतनी तत्परता प्रवासी मज़दूरों को वापस लाने में दिखाई जाती।’
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राज्य के नागरिक आपूर्ति मंत्री जी. कमालकर, सत्तारूढ़ टीआरएस के विधान पार्षद तथा राज्य की रायतू (किसान) समन्वय समिति के अध्यक्ष पीआर रेड्डी और अन्य लोगों ने यहां लिंगमपल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रवासी कामगारों का स्वागत किया।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक रेड्डी ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान देश में ऐसा पहली बार हुआ है कि अपने गृह राज्य को छोड़कर प्रवासी कामगार काम के लिये किसी दूसरे राज्य में आए हों। आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार तेलंगाना में लॉकडाउन के चलते कामगारों की कमी हो गई है। यह ऐसा समय है जब राज्य सरकार रिकॉर्ड स्तर पर किसानों से धान खरीद रही है।
ट्रेन के किराए का भुगतान तेलंगाना सरकार ने किया है। पिछले हफ्ते इस ट्रेन से प्रवासी मजदूरों के एक समूह को हैदराबाद से पटना ले जाया गया था। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि तेलंगाना सरकार के अनुरोध पर खगड़िया से 222 मजदूर चावल मिलों में काम करने के लिए खगड़िया से तेलंगाना रवाना हो गए।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन ने विकसित राज्यों को बिहार की श्रमशक्ति का एहसास करा दिया। उन्होंने कहा, ‘तेलंगाना के मुख्य सचिव ने अनुरोध किया था कि राज्य में चावल मिलों के लिए श्रमिकों को वापस भेजा जाए। प्रवासी श्रमिकों के संपर्क में रहने वाले स्थानीय समन्वयक ने उनसे संपर्क किया और 222 मजदूर ट्रेन में सवार हो गए।’
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने खगड़िया जिले से प्रदेश के 222 प्रवासी मजदूरों के तेलंगाना लौटने को लेकर राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नीत जदयू-भाजपा गठबंधन सरकार पर शुक्रवार को निशाना साधते हुए कहा कि यह उसकी ‘संवेदनहीनता की पराकाष्ठा’ है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, ‘सरकार ने बृहस्पतिवार देर रात एक ट्रेन से 222 श्रमिकों को तेलंगाना भेजा है। संवेदनहीनता की भी एक सीमा होती है। एक ओर जहां सभी राज्य सरकारें अपने-अपने राज्य के निवासियों को वापस लाकर उनकी बेहतरी में दिन-रात प्रयासरत हैं, वहीं लाकडाउन से पहले बिहार लौटे प्रवासी मज़दूरों को बिहार सरकार वापस बाहर भेज रही है। ’
राजद नेता ने ट्वीट किया, ‘इस मुश्किल दौर में सरकार प्रायोजित ‘रिवर्स माइग्रेशन’ की यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना इनके (नीतीश शासन की) 15 वर्षों की असफलताओं का जीता-जागता स्मारक है…।’
उन्होंने आरोप लगाया कि यह घटनाक्रम मुख्यमंत्री के उस फ़र्ज़ी दावे की भी पोल खोल रही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रवासी मज़दूरों का कौशल सर्वे करा बिहार में ही उन्हें रोज़गार मुहैया किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह तो सरकार द्वारा बलपूर्वक पलायन है।’
तेजस्वी ने कहा, ‘अगर इन मज़दूरों को वहाँ कुछ होता है तो क्या बिहार सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेगी? आख़िर इतनी जल्दबाज़ी क्यों है? क्या सरकार को उनके स्वास्थ्य और गरिमा की फ़िक्र और सम्मान नहीं करना चाहिए ? यह संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। काश! सरकार द्वारा इतनी तत्परता प्रवासी मज़दूरों को वापस लाने में दिखाई जाती।’