कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने रविवार को ‘बेंगलुरू घोषणापत्र’ की सिफारिशों को लागू करने की बात कही। इस घोषणापत्र में उन्होंने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की रोकथाम की तर्ज पर जाति, लिंग और धार्मिक भेदभाव को रोकने के लिए कार्यस्थल अधिनियम की सिफारिशों को लागू करने की बात कही।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धारमैया ने बेंगलुरू में आयोजित संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का न्यायसंगत और समानतावादी समाज बनाने का सपना था।
ज्यादातर सिफारिशों में अनूसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से लोगों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों और शिक्षा से लेकर रोजगार के क्षेत्रों में बराबर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर फोकस किया गया है।
सिफारिशों में विधानसभा, संसद, न्यायपालिका और यहां तक मीडिया हाउस में भी दलितों के लिए आरक्षण की बात की गई है। सिद्धारमैया ने कहा कि जो लोग अम्बेडकर को फॉलो करते हैं, उन्हें उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करनी चाहिए।
घोषणा में शामिल कुछ सिफारिशें-
1. मॉब लिंचिंग को रोकने के लिेए राजनीतिक और कानूनी जवाबदेही तय हो।
2. रोजगार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए समान अवसर आयोग स्थापित करें।
3. शैक्षणिक संस्थानों में जाति, धार्मिक और लिंग भेदभाव की रोकथाम के लिए कानून।
4. कानून में प्रावधानों को हटाने से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बाधाएं आती हैं, इसमें मानहानि, राजद्रोह, कला / फिल्म सेंसरशिप और सोशल मीडिया शामिल है।
5. उच्च न्यायपालिका में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण।
6. एससी, एसटी और ओबीसी के प्रतिनिधित्व के माध्यम से मीडिया हाउस में विविधता सुनिश्चित करना।
7. कट्टरपंथी तत्वों और निंदनीय राज्य सेंसरशिप के हमलों से मीडिया की आजादी और पत्रकारों की रक्षा करना।
8. मीडिया के कॉर्पोरेट एकाधिकार और पार स्वामित्व को विनियमित करने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को सशक्त बनाना।
9. जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से बजट का हिस्सा एससी, एसटी समुदाय के लोगों के लिए रिजर्व करना और योजनाओं को उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कानून बनाना।
10. 100 लाख रुपये तक की खरीद और अनुबंध में आरक्षण
11. एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को अंग्रेजी माध्यम शिक्षा
12. एससी, एसटी और ओबीसी के लिए हॉस्टल तक सार्वभौमिक पहुंच
13. निजी क्षेत्र में आरक्षण
14. भूमिहीन दलितों के लिए विशेष समर्थन के साथ कृषि भूमि का कानूनी अधिकार
15. आधुनिकीकरण के माध्यम से जाति आधारित व्यावसायिक व्यवसायों में व्यापक सुधार
16. सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना का तत्काल प्रकाशन
17. आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसान आय आयोग
साभार-नेशनल दस्तक
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सिद्धारमैया ने बेंगलुरू में आयोजित संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि बाबासाहेब का न्यायसंगत और समानतावादी समाज बनाने का सपना था।
ज्यादातर सिफारिशों में अनूसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से लोगों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों और शिक्षा से लेकर रोजगार के क्षेत्रों में बराबर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने पर फोकस किया गया है।
सिफारिशों में विधानसभा, संसद, न्यायपालिका और यहां तक मीडिया हाउस में भी दलितों के लिए आरक्षण की बात की गई है। सिद्धारमैया ने कहा कि जो लोग अम्बेडकर को फॉलो करते हैं, उन्हें उनके द्वारा दिए गए सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करनी चाहिए।
घोषणा में शामिल कुछ सिफारिशें-
1. मॉब लिंचिंग को रोकने के लिेए राजनीतिक और कानूनी जवाबदेही तय हो।
2. रोजगार में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के व्यापक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए समान अवसर आयोग स्थापित करें।
3. शैक्षणिक संस्थानों में जाति, धार्मिक और लिंग भेदभाव की रोकथाम के लिए कानून।
4. कानून में प्रावधानों को हटाने से भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बाधाएं आती हैं, इसमें मानहानि, राजद्रोह, कला / फिल्म सेंसरशिप और सोशल मीडिया शामिल है।
5. उच्च न्यायपालिका में एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण।
6. एससी, एसटी और ओबीसी के प्रतिनिधित्व के माध्यम से मीडिया हाउस में विविधता सुनिश्चित करना।
7. कट्टरपंथी तत्वों और निंदनीय राज्य सेंसरशिप के हमलों से मीडिया की आजादी और पत्रकारों की रक्षा करना।
8. मीडिया के कॉर्पोरेट एकाधिकार और पार स्वामित्व को विनियमित करने के लिए प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को सशक्त बनाना।
9. जनसंख्या के अनुपात के हिसाब से बजट का हिस्सा एससी, एसटी समुदाय के लोगों के लिए रिजर्व करना और योजनाओं को उनके विकास को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय कानून बनाना।
10. 100 लाख रुपये तक की खरीद और अनुबंध में आरक्षण
11. एससी, एसटी, ओबीसी, महिलाओं और अल्पसंख्यकों को अंग्रेजी माध्यम शिक्षा
12. एससी, एसटी और ओबीसी के लिए हॉस्टल तक सार्वभौमिक पहुंच
13. निजी क्षेत्र में आरक्षण
14. भूमिहीन दलितों के लिए विशेष समर्थन के साथ कृषि भूमि का कानूनी अधिकार
15. आधुनिकीकरण के माध्यम से जाति आधारित व्यावसायिक व्यवसायों में व्यापक सुधार
16. सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना का तत्काल प्रकाशन
17. आय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए किसान आय आयोग
साभार-नेशनल दस्तक