इतिहास

May 7, 2020
आज पूरे विश्व में वैशाख पूर्णिमा या बुद्ध पूर्णिमा मनाई जा रही है। इस अवसर पर सभी को शुभकामनाएं। बुद्ध ने दुनिया को न केवल वैज्ञानिक चिंतन सिखाया अपितु करुणा और मैत्री को अपनी विचार धारा का मुख्य बिंदु बनाकर दुनिया में बदलाव की एक नीव रखी। बुद्ध के सम्पूर्ण दर्शन के केंद्र में मानव कल्याण की भावना है और यही बात उन्हें अपने समय से पहले और बाद के 'विचारको' से अलग करती है. उन्होंने कभी स्वयं...
January 31, 2020
क्या आपको मालूम है कि गाँधीजी को मारने की पांच विफल कोशिशों के बाद, छठी बार में हत्या की गई। उन्हें मारने की पहली कोशिश 1934 में हुई थी। वे कौन थे जिन्हें गांधीजी से इतनी नफरत थी? किसकी संकीर्ण, खूनी विचारधारा में गांधीजी जैसे महानुभाव की कोई जगह नहीं थी? और वे कौन हैं जो अब इतिहास को बदल कर अपनी काली करतूत को हमेशा के लिए मिटाना चाहते हैं? धार्मिक कट्टरवाद के खिलाफ एक लम्बे...
January 28, 2020
“आज एक तरफ हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं दूसरी तरफ इसी समय में वो सब किया जा रहा है जिसकी मुखालफत महात्मा गांधी जीवन भर करते रहे, उनकी शारीरिक हत्या 30 जनवरी, 1948 को कर दी गयी थी अब उनके आत्मा की हत्या नागरिकता संशोधन कानून जैसे बदलाओं और इसके समर्थन में उन्हें मिस्कोट करके किया जा रहा है”. उपरोक्त बातें राज्यसभा सांसद एवं मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा...
January 27, 2020
कहानी एकदम हिंदुस्तान की तरह दिलचस्प है. कुछ सदी पहले की बात है. गुजरात के मोरबी में एक जातीय समुदाय है मोड मोदी. इसके एक परिवार में कोई औलाद नहीं थी. उनके बच्चे तो होते थे, लेकिन वे जिंदा नहीं बचते थे. यहीं पर एक पीर हुआ करते थे हजरत दवलशा पीर. परिवार ने पीर की दरगाह में बच्चे के लिए दुआ मांगी. दुआ कबूल हो गई और परिवार में 7 बच्चे हुए. इसके पीछे मेडिकल साइंस भले तर्क दे कि बच्चे पीर की...
January 25, 2020
आज नेता और पार्टी कार्यकर्ता, क्षेत्रीय पदाधिकारी के बीच आत्मीयता घट रही है, दूरी बढ़ रही है, संवाद ज़िंदाबाद-मुर्दाबाद के आगे बढ़ नहीं पाता। बहुत कम नेता अपनी प्रकृति में लोकतांत्रिक रह गए हैं जो बराबरी के सखा-भाव से कार्यकर्ताओं और नागरिकों से पेश आए जैसा कर्पूरी जी किया करते थे। पिछड़ों-दबे-कुचलों के उन्नायक, बिहार के शिक्षा मंत्री, एक बार उपमुख्यमंत्री (5.3.67 से 31.1.68) और दो बार...
January 22, 2020
1946 में जब आज़ादी की लड़ाई चरम सीमा पर थी और देश के कोने कोने में लाखों की भीड़ सड़क पर डंडे गोली खा रही थी, उसी समय राष्ट्रीय सेवा संघ ने अपने तीन प्रचारकों को चुपके से असम भेज दिया। उनका काम था सरसंघचालक गोलवलकर के विचारों का प्रचार करना। क्या था गोलवलकर का पैगाम? यही कि "राष्ट्र पांच तत्वों पर आधारित है - भूगोल, जाति, धर्म, संस्कृति, और भाषा; मुसलमान हमलावरों के आने के पहले ऐसा ही हिन्दू...
January 14, 2020
नई दिल्ली: सर्च इंजन गूगल ने मशहूर शायर कैफ़ी आज़मी की 101 वीं जयंती डूडल बनाकर मनाई। प्रेम की कविताओं से लेकर बॉलीवुड गीतों, पटकथाओं तक लिखने में माहिर कैफ़ी आज़मी 20वीं सदी के सबसे प्रसिद्ध कवियों में से एक थे।  उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में पैदा हुए सैयद अतहर हुसैन रिजवी यानी कैफ़ी आज़मी ने 11 साल की उम्र में अपनी पहली कविता लिखी थी। कैफ़ी आज़मी उस वक्त 1942 में हुए महात्मा गांधी के...
December 11, 2019
CAB 2019, नागरिकता में भेदभाव और अब एक राष्ट्रव्यापी एनपीआर-एनआरसी: क्या भारत जर्मन तरीके से आगे बढ़ रहा है? 1930 के दशक में सत्ता में आने के बाद, जर्मनी की संसद ने अपने देश में यहूदियों, रोमनों, अश्वेतों और विरोधियों के खिलाफ भेदभाव करने वाले कानूनों को पारित किया। इस दौरान कहा गया कि ये कानून जर्मन रक्त शुद्धता और जर्मन सम्मान के संरक्षण के लिए बनाए गए हैं। दुनिया ने जर्मनी को अन्य तरीकों से...
November 28, 2019
हमारे देश में तवलीन सिंह जैसे 'भोले-भाले' राजनैतिक विश्लेषकों/पत्रकारों की कमी नहीं है जो प्रधान मंत्री, मोदी के नेतृत्व में आरएसएस/भाजपा शासकों के जनता और देश विरोधी विघटनकारी विचारों और कार्यकलापों के प्रति सजग हो उठे हैं। यह अच्छी बात है। हालांकि सच यह है की हिन्दुत्वादी शासकों की टोली जो खिलवाड़ प्रजातान्त्रिक-धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र और इस की जनता के साथ आज कर रही है वे आरएसएस की पुरानी...
November 9, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मंदिर मामले पर सुनवाई के लिए एक Constitutional Bench का गठन किया है। पर आखिरकार राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद अयोध्या मुद्दा है क्या ? सुनिए अयोध्या की कहानी , तीस्ता सीतलवाड़ की ज़ुबानी.