नई दिल्ली। सिंघु बॉर्डर पर दो दिन पहले हुए पथराव की रिपोर्टिंग कर पत्थरबाजों की पहचान बताने वाले फ्रीलांस पत्रकार मनदीप पूनिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पूनिया को शनिवार को सिंघू बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन स्थल पर तैनात पुलिसकर्मियों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने के आरोप में रविवार को गिरफ्तार किया गया था। पूनिया को हिरासत में लिए जाने के एक दिन बाद पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पत्रकार के खिलाफ मामला दर्ज करके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके वकील अकरम खान ने कहा है कि सोमवार को उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई होगी।
पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में लिखा गया है, 'पुलिस के साथ हाथापाई' और 'इनमें से एक ने कॉन्सटेबल राजकुमार को प्रदर्शन स्थल की ओर खींचा।' जब पुलिस ने 'परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीमित बल प्रयोग किया तो वह आदमी, जो हमारे कॉन्सटेबल को खींच रहा था, नाले में गिर गया।'
एफआईआर में आगे कहा गया है, 'उस शख्स की पहचान मनदीप पूनिया के रूप में हुई है... पूनिया और उनके साथ आए प्रदर्शनकारी पुलिस को उनका कर्तव्य निभाने से रोका और उन्हें धक्का दिया।'
खान ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस को बताया कि 25 वर्षीय पूनिया को तिहाड़ जेल में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। 'हम सोमवार को रोहिणी कोर्ट में जमानत के लिए अपना पक्ष रखेंगे। वहां इस मामले की सुनवाई होनी है।'
अपनी जमानत याचिका में पूनिया के वकीलों का कहना है, 'उसके परिवार को बीती रात से पहले उसकी हिरासत अथवा संभावित गिरफ्तारी के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई।' उन्होंने आगे कहा कि जब एक साथी पत्रकार ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवानी चाही तब उसे गिरफ्तारी के बारे में कुछ इशारा दिया गया।
इस अर्जी में यह भी कहा गया है कि आरोपी सिर्फ अपना पत्रकारिता धर्म निभा रहा था और उसके साथ हिरासत में लिए गए पत्रकारों को शनिवार आधी रात के करीब रिहा कर दिया गया था।
पुलिस ने कहा था कि इस अन्य पत्रकार, धर्मेंद सिंह को प्रेस कार्ड दिखाने के बाद जाने की इजाजत दे दी गई थी। वहीं पूनिया के वकीलों का कहना है कि चूंकि पूनिया एक फ्रीलांस पत्रकार हैं, इसलिए उनके पास प्रेस कार्ड नहीं होगा और यह उनकी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता।
पूनिया, हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से ग्रैजुएशन किया है। उन्होंने आईआईएमसी के 2016-17 में पत्रकारिता का कोर्स किया है। वह कारवां मैगजीन के लिए लिख रहे हैं। उनके घर में तीन बड़ी बहनें और मां हैं। उनकी पत्नी लीलाश्री पंजाब यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर हैं। वह रविवार को जयसिंह रोड पर दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं।
पत्रकारों के एक समूह ने पुनिया की गिरफ्तारी के खिलाफ रविवार शाम पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों के हाथों में तख्तियां थीं और वे नारे लगा रहे थे। उन्होंने वहां एक मार्च भी निकाला।
इससे पहले पुलिस ने कहा था कि उसने शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद सीमा पर अवरोधक लगाए थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई उसे पार न कर पाए। पुलिस ने आरोप लगाया था कि पत्रकार समेत कुछ लोगों ने अवरोधक हटाने की कोशिश की तथा पत्रकार ने वहां पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। सिंघू बॉर्डर पर शुक्रवार को किसानों और स्थानीय निवासी होने का दावा करने वाले लोगों के बीच झड़प हो गई थी।
इस दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव किया था। सिंघू बॉर्डर नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का प्रमुख स्थल है। हिंसा में दिल्ली पुलिस के एसएचओ (अलीपुर) घायल हो गए थे। घटना के संबंध में एसएचओ पर हमला करने वाले व्यक्ति समेत कम से कम 44 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में लिखा गया है, 'पुलिस के साथ हाथापाई' और 'इनमें से एक ने कॉन्सटेबल राजकुमार को प्रदर्शन स्थल की ओर खींचा।' जब पुलिस ने 'परिस्थिति को नियंत्रित करने के लिए सीमित बल प्रयोग किया तो वह आदमी, जो हमारे कॉन्सटेबल को खींच रहा था, नाले में गिर गया।'
एफआईआर में आगे कहा गया है, 'उस शख्स की पहचान मनदीप पूनिया के रूप में हुई है... पूनिया और उनके साथ आए प्रदर्शनकारी पुलिस को उनका कर्तव्य निभाने से रोका और उन्हें धक्का दिया।'
खान ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्स्प्रेस को बताया कि 25 वर्षीय पूनिया को तिहाड़ जेल में मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया। 'हम सोमवार को रोहिणी कोर्ट में जमानत के लिए अपना पक्ष रखेंगे। वहां इस मामले की सुनवाई होनी है।'
अपनी जमानत याचिका में पूनिया के वकीलों का कहना है, 'उसके परिवार को बीती रात से पहले उसकी हिरासत अथवा संभावित गिरफ्तारी के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई।' उन्होंने आगे कहा कि जब एक साथी पत्रकार ने पुलिस स्टेशन पहुंचकर उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवानी चाही तब उसे गिरफ्तारी के बारे में कुछ इशारा दिया गया।
इस अर्जी में यह भी कहा गया है कि आरोपी सिर्फ अपना पत्रकारिता धर्म निभा रहा था और उसके साथ हिरासत में लिए गए पत्रकारों को शनिवार आधी रात के करीब रिहा कर दिया गया था।
पुलिस ने कहा था कि इस अन्य पत्रकार, धर्मेंद सिंह को प्रेस कार्ड दिखाने के बाद जाने की इजाजत दे दी गई थी। वहीं पूनिया के वकीलों का कहना है कि चूंकि पूनिया एक फ्रीलांस पत्रकार हैं, इसलिए उनके पास प्रेस कार्ड नहीं होगा और यह उनकी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता।
पूनिया, हरियाणा के झज्जर के रहने वाले हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से ग्रैजुएशन किया है। उन्होंने आईआईएमसी के 2016-17 में पत्रकारिता का कोर्स किया है। वह कारवां मैगजीन के लिए लिख रहे हैं। उनके घर में तीन बड़ी बहनें और मां हैं। उनकी पत्नी लीलाश्री पंजाब यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर हैं। वह रविवार को जयसिंह रोड पर दिल्ली पुलिस हेडक्वॉर्टर पर विरोध प्रदर्शन में शामिल थीं।
पत्रकारों के एक समूह ने पुनिया की गिरफ्तारी के खिलाफ रविवार शाम पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों के हाथों में तख्तियां थीं और वे नारे लगा रहे थे। उन्होंने वहां एक मार्च भी निकाला।
इससे पहले पुलिस ने कहा था कि उसने शुक्रवार को हुई हिंसा के बाद सीमा पर अवरोधक लगाए थे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई उसे पार न कर पाए। पुलिस ने आरोप लगाया था कि पत्रकार समेत कुछ लोगों ने अवरोधक हटाने की कोशिश की तथा पत्रकार ने वहां पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार भी किया। सिंघू बॉर्डर पर शुक्रवार को किसानों और स्थानीय निवासी होने का दावा करने वाले लोगों के बीच झड़प हो गई थी।
इस दौरान दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर पथराव किया था। सिंघू बॉर्डर नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन का प्रमुख स्थल है। हिंसा में दिल्ली पुलिस के एसएचओ (अलीपुर) घायल हो गए थे। घटना के संबंध में एसएचओ पर हमला करने वाले व्यक्ति समेत कम से कम 44 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।