विधायक के पास गांव में ब्रांडेन कारें हैं जिसे वह गिट्टी, ढेलों, टूटी फूटी सड़कों पर दौड़ाता है

Written by Mithun Prajapati | Published on: November 17, 2017
असली भारत को देखना है तो भारतीय रेल के अनारक्षित डिब्बे में दूर का सफर करो। गांधी ने भी यही किया था। वे सौ साल पहले घूमें थे, हम आज भी घूमें तो कुछ अलग नहीं मिलेगा। तरक्की जरूर हुई है पर मुख्य सड़क छोड़ जैसे हम पगडंडियों पर पहुंचते हैं ऐसे लगता है आधुनिक काल से उठाकर किसी ने प्रागैतिहासिक काल में फेंक दिया है। गांव-गांव मोबाइल तो पहुँचा लेकिन पीने का साफ़ पानी हम आज़ादी के 70 साल भी नहीं पा सके। सड़कें नहीं हैं लेकिन मोटरसाइकिल गांवों के घरों में पहुँच चुकी है। विधायक के पास गांव में ब्रांडेन कारें हैं जिसे वह गिट्टी, ढेलों, टूटी फूटी सड़कों पर दौड़ाता है।  यह शर्म का विषय है, लेकिन विधायक को गाड़ी में बैठे हुए गर्व महसूस होता है। वह गाड़ी स्पीड में धूल उड़ाता हुआ निकल जाता है और सड़क पर चल रहे लोग उसे गालियां देते हैं। धूल लोगों की आंखों में भर जाती है। वे खीझ जाते हैं । गुस्सा होते हैं, फिर भी अगले विधानसभा चुनाव में उसे ही वोट कर आते हैं। विधायक ने जनता की नब्ज़ पकड़ ली है। उसे पता है ,ये उड़ी धूल आंख में पड़ जाने पर मुझे गालियां तो देंगे पर मैं चुनाव के वक्त जाकर कहूंगा कि मैं तुम्हारे कौम का हितैषी हूं, अपनी कौम को सुरक्षित रखना है, अन्य धर्म के लोगों से सुरक्षा चाहिए तो मुझे वोट करो। जनता जानती है, उसकी कौम को सुरक्षित रहना बहुत जरूरी है। उसे बेहतर शिक्षा नहीं चाहिए, बेहतर सड़कें नहीं चाहिए, बेहतर स्वास्थ्य नहीं चाहिए, उसे सुरक्षित कौम चाहिए। यह विधायक कौम बचाएगा। विधायक सुपरमैन है। वह विधायक बनकर ही कौम को बचा पायेगा। 


train Travels
 
मेरे एक परिचित हैं। एक दिन मोटरसाइकिल से मेरे साथ कहीं जा रहे थे। एक बड़ा पेड़ पड़ा रास्ते में तो वे रुक गए। पेड़ के पास जाकर सामने पड़े पत्थर जिसमें सिंदूर वगैरह लिपटा था हाथ जोड़कर कुछ बुदबुदाने लगे। थोड़ी देर बाद आये तो कहने लगे- अब सुकून मिला।
 
मैंने पूछा- वहां क्या था ?
वे बोले- वे पहलवान बीर बाबा हैं। 
मैंने कहा- फिर इससे क्या !!
वे बोले- भगवान हैं। आते जाते प्रणाम करने पर  रक्षा करते हैं। 
मैंने कहा- और क्या प्रार्थना की ?
वे बोले- मैंने भगवान से अपने और अपने परिवार को संकट से बचाये रखने और धन सम्पदा से भर देने के लिए कहा।
मैंने कहा- मेरे लिए कुछ नहीं मांगा !!
वे बगले झांकने लगे।
मैंने फिर कहा- मतलब आप सोचते हैं आप और आपका परिवार सुरक्षित हो जाये तो सारी चीजें मिल गयीं। आप अपने परिवार को धन संपदा से भर देंगे बाकी पूरा विश्व भाड़ में जाये ?
वे बोले- फिर क्या मांगना चाहिए !!
मैंने कहा- आप जो समझें।
 
लेकिन मैं खुश हुआ। वे प्रार्थना करके आये हैं अब हम सुरक्षित हैं। उनके साथ रहकर मैं भी सुरक्षित हूँ। सरकार को हेलमेट नहीं बड़े पेड़ के नीचे पड़े पत्थरों का प्रचार करना चाहिए। लोग सुरक्षित होते हैं। सड़क दुर्घटनाएं रुक जाती हैं। पर यह मेरा भ्रम था। आगे से आ रही ट्रैक्टर ने गलत टर्न ले लिया और हम खंदक में गिर गए। मेरे परिचित का पैर टूट गया। मुझे खरोचें आयीं पर बाल बाल बचा। हॉस्पिटल में मैंने उन्हें ज़रा मज़ाक में वो पेड़ के नीचे पत्थर की याद दिलाई। वे मुस्कुराकर कहने लगे- भगवान जो करता है, सब अच्छे के लिए।
 
मैं मन में ही हंस देता हूँ। मुझे वो विधायक याद आ जाता है जो कौम के सुरक्षा की गारंटी लेता है। चुनाव जीतने पर भाग जाता है। टूटी सड़कों पर मर्सिडीज दौड़ाता है और जनता की मूर्खता पर हंसता है। चुनाव आते ही दो कौमों को लड़वा देता है।  फिर भी जनता उसपर भरोसा करती है। क्योंकि जो भगवान करता है सब अच्छे के लिए करता है। विधायक भी वो पेड़ के नीचे पड़ा पत्थर  सा भगवान हो चला है। 
 
जनता समझ ही नहीं पाती सुरक्षा  हेलमेट में हैं। कौम की सुरक्षा तरक्की अच्छी पढ़ाई में है, बेहतर स्वास्थ्य में है।

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