कोरोना काल में भी इंसान से ज्यादा गायों को लेकर चिंतित योगी सरकार, हर जिले में बनेगा हेल्प डेस्क

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 6, 2021
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने राज्य के प्रत्येक जिले में गायों की सुरक्षा के लिए हेल्प डेस्क स्थापित करने और पशुओं के लिए चिकित्सा उपकरण सुनिश्चित करने के आदेश जारी किए हैं।



समाचार एजेंसी आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, आदित्यनाथ सरकार ने निर्देश दिया है कि सभी गोशालाओं में कोविड-19 प्रोटोकॉल बनाए रखा जाना चाहिए, जिसमें गायों और अन्य जानवरों के लिए ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर जैसे उपकरणों का स्टॉक भी शामिल होना चाहिए।

यह आदेश ऐसे समय में आया है जब भारत के अधिकांश राज्यों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश भी कोविड-19 संक्रमितों की बढ़ती संख्या और चिकित्सा आपूर्ति की कमी से पीड़ित है। लखनऊ में इतने बुरे हाल हैं कि शवों के अंतिम संस्कार के लिए वेटिंग चल रही है। इसके साथ ही योगी सरकार अपनी छवि सुधारने की दिशा में इतनी चिंतित है कि सोशल मीडिया पर वेंटिलेटर या ऑक्सीजन की पोस्ट डालने पर ही संपत्ति कुर्क करने जैसी कार्रवाई करा रही है। 

आदित्यनाथ प्रशासन का दावा है कि राज्य में कोरोना वायरस की स्थिति नियंत्रण में है, हालांकि आदित्यनाथ प्रशासन पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह वास्तव में जमीनी आंकड़ों को छिपाने का काम कर रही है।

बता दें कि उत्तर प्रदेश आवारा पशुओं की समस्या से जूझ रहा है और आरोप है कि गोहत्या पर प्रतिबंध और गो-रक्षकों के उत्थान के बाद से यह और बढ़ गया है। पिछले साल के अंत में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड के बांदा जिले के कई पंचायत प्रमुखों ने आदित्यनाथ को पत्र लिखा था कि राज्य सरकार ने गोशाला परियोजना के लिए धनराशि रोक दी है, जिससे जानवरों की भुखमरी से मौतें हुई हैं। वहीं, कई जिलों ने बताया था कि उन्हें अप्रैल 2020 से गो-कल्याण के लिए कोई धनराशि प्राप्त नहीं हुई थी।


खाली बेड, अस्पताल को लेकर हाई कोर्ट ने पकड़ा था योगी सरकार का झूठ
यूपी सरकार ने अस्पतालों में लेवल 2 और लेवल 3 के खाली बेड की संख्या बताने के लिए पोर्टल शुरू किया है। कोविड सिचुएशन पर सुनवाई के दौरान सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश में आइसोलेशन, आईसीयू व एसडीयू बेड की कोई कमी नहीं है। 

जब कोर्ट सुनवाई कर रही थी, उस समय भी पोर्टल पर खाली बेड दिखाए जा रहे थे। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ही वकील अनुज सिंह से हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने को कहा। उन्होंने नंबर डायल किया गया और कोर्ट के सामने ही एक अस्पताल ने जवाब दिया कि कोई बेड खाली नहीं है। जबकि पोर्टल दिखा रहा था कि अस्पताल में बेड खाली हैं। यानी इस पोर्टल में गलत जानकारी दी जा रही थी। बीच अदालत योगी सरकार का झूठ पकड़ा गया। 

सरकार के दावे और जमीनी हकीकत में ये अंतर देख हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणियां करते हुए कहा अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौत आपराधिक कृत्य है। यह किसी नरसंहार से कम नहीं है। 

आपको ये भी जानना चाहिए कि झूठ का ये कारोबार पूरे देश की सरकारें कर रही हैं। दिल्ली से लेकर बेंगलुरु तक हर जगह पोर्टल बनाकर उस पर गलत सूचनाएं दी जा रही हैं। योगी तो कह रहे हैं कि किसी चीज की कोई कमी नहीं है और जो भी सुविधाओं की कमी की 'अफवाह' फैलाएगा, उसकी संपत्ति जब्त कर लेंगे। लेकिन वे जो कर रहे हैं, उसे कोर्ट ने नरसंहार जैसा कृत्य बताया है। 

हाईकोर्ट ने ठीक कहा है कि यह नरसंहार है और देश की केंद्र सरकार से लेकर सभी ज्यादातर राज्य सरकारें इसमें शामिल हैं। हमारे आपके नेता हमारी कल्पनाओं से ज्यादा बर्बर और निकृष्ट हो चुके हैं।

 

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