छत्तीसगढ़ को आधुनिक बनाने का दम भरने वाले मुख्यमंत्री रमन सिंह के राज्य में सैप्टिक टैंक निर्माण के दौरान निकली जहरीली गैस की चपेट में आकर 5 लोगों की मौत हो गई।
ये हृदयविदारक घटना रविवार की सुबह परसाबहार थाना क्षेत्र के पंडरीपानी गांव की कंवरटोली बस्ती की है।
(Courtesy: Muslim Mirror)
नईदुनिया के मुताबिक शिक्षक जगन्नाथ साय पैंकरा के घर में निर्माणाधीन सैप्टिक टंकी के सेन्ट्रींग प्लेट को खोलने के लिए शिक्षक की पत्नी सावित्री पैंकरा 3 मजदूरों के साथ पहुंची थी, लेकिन जैसे ही टंकी के ढक्कन को हटा कर जैसे ही राजमिस्त्री रामजीवन साय अंदर घुसा, जहरीली गैस के कारण वह बेहोश हो गया।
इसके बाद यही स्थिति उसके भाई ईश्वर साय पैंकरा और मजदूर भादू साय की भी हुई। इन तीनों को टंकी से बाहर ना निकलता देख कर स्थिति को जानने के लिए शिक्षक की पत्नी सावित्री साय भी टंकी में उतर गई और वह भी बेहोश हो गई। सावित्री को बचाने के लिए उसका पोता परमजीत साय पैकरा भी टंकी में झांका और जहरीली गैस की वजह से वह भी अचेत होकर टंकी में गिर गया।
इसके बाद किसी तरह से टंकी का ढक्कन तोड़कर अंदर से पांचों बेहोश लोगों को निकाला और अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल की भी लापरवाही सामने आई और अस्पताल से मृतकों के शव घर तक पहुंचाने के लिए कोई शव वाहन नहीं मिल सका और पिकअप वाहन से लाशें घर पहुंचाई गईं।
सैप्टिक टंकी के निर्माण के दौरान जहरीली गैस के चपेट आकर जान गंवाने वाले पांचों मृतकों का सोमवार को गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में भारी संख्या में स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
वहीं इस हादसे के बाद शवों को मृतकों के घर तक पहुंचाने के लिए पिकप का इस्तेमाल करने को लेकर विरोध का स्वर उठने लगा है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने के साथ-साथ, शव वाहन व्यवस्था ना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
ये हृदयविदारक घटना रविवार की सुबह परसाबहार थाना क्षेत्र के पंडरीपानी गांव की कंवरटोली बस्ती की है।
(Courtesy: Muslim Mirror)
नईदुनिया के मुताबिक शिक्षक जगन्नाथ साय पैंकरा के घर में निर्माणाधीन सैप्टिक टंकी के सेन्ट्रींग प्लेट को खोलने के लिए शिक्षक की पत्नी सावित्री पैंकरा 3 मजदूरों के साथ पहुंची थी, लेकिन जैसे ही टंकी के ढक्कन को हटा कर जैसे ही राजमिस्त्री रामजीवन साय अंदर घुसा, जहरीली गैस के कारण वह बेहोश हो गया।
इसके बाद यही स्थिति उसके भाई ईश्वर साय पैंकरा और मजदूर भादू साय की भी हुई। इन तीनों को टंकी से बाहर ना निकलता देख कर स्थिति को जानने के लिए शिक्षक की पत्नी सावित्री साय भी टंकी में उतर गई और वह भी बेहोश हो गई। सावित्री को बचाने के लिए उसका पोता परमजीत साय पैकरा भी टंकी में झांका और जहरीली गैस की वजह से वह भी अचेत होकर टंकी में गिर गया।
इसके बाद किसी तरह से टंकी का ढक्कन तोड़कर अंदर से पांचों बेहोश लोगों को निकाला और अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। अस्पताल की भी लापरवाही सामने आई और अस्पताल से मृतकों के शव घर तक पहुंचाने के लिए कोई शव वाहन नहीं मिल सका और पिकअप वाहन से लाशें घर पहुंचाई गईं।
सैप्टिक टंकी के निर्माण के दौरान जहरीली गैस के चपेट आकर जान गंवाने वाले पांचों मृतकों का सोमवार को गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार में भारी संख्या में स्थानीय लोग व जनप्रतिनिधि शामिल हुए।
वहीं इस हादसे के बाद शवों को मृतकों के घर तक पहुंचाने के लिए पिकप का इस्तेमाल करने को लेकर विरोध का स्वर उठने लगा है। छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस ने मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपए मुआवजा देने के साथ-साथ, शव वाहन व्यवस्था ना करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।