उज्जैन: मंदिर प्रबंधक ही करता था दान राशि की चोरी

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: July 14, 2018
उज्जैन के जाने-माने मंगलनाथ मंदिर में दान की रकम में भारी गड़बड़ी सामने आई है। पता चला है कि दान में मिली रकम और गहनों के रिकॉर्ड में हेराफेरी होती थी और मंदिर प्रबंधन के लोग इस रकम को अवैध तरीके से इस्तेमाल करते थे।

Ujjain Temple
Image: https://naidunia.jagran.com

प्रबंधक कार्यालय द्वारा ही दान राशि चोरी करने और रकम को बिना हिसाब के गायब करने की खबर के बाद स्थानीय लोगों में हड़कंप मचा हुआ है। मंदिर के प्रबंधक कार्यालय की जांच में गंभीर हेराफेरी सामने आने के बाद मंदिर प्रबंधक त्रिलोक विजय सक्सेना को पद से हटा दिया गया है और गिरफ्तार कर लिया गय है।

इसके अलावा मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और एसडीएम एसआर सोलंकी से भी अध्यक्ष का पद छीन लिया गया है और उज्जैन के एसडीएम को अध्यक्ष पद सौंपा गया है।

गुरुवार को जांच के दौरान हिसाब मिलाया गया तो दान की राशि गिनते समय प्रबंधक त्रिलोक विजय सक्सेना की जेब से ही एक लाख 32 हजार रुपए मिले थे। दान के गहनों का भी रिकॉर्ड नहीं पाया गया।

नईदुनिया की खबर में बताया गया है कि नायब तहसीलदार मूलचंद जूनवाल और आलोक चौरे ने वित्तीय गड़बड़ियों की आशंका में बुधवार को मंदिर प्रबंधक कार्यालय सील करवा दिया था। गुरुवार को कार्यालय खुलवाकर जांच गई तो भारी गड़बड़ियां मिलीं। दरअसल दान की राशि की अनधिकृत रसीद काटकर ही सारी रकम हड़पी जा रही थी। इस बारे में लंबे समय से शिकायतें आ रही थीं और मीडिया में इसकी खबरें भी छप रही थीं।

प्रबंधक त्रिलोक विजय ने गिनती के दौरान ही एक लाख 32 हजार रुपए अपनी जेब में छिपा लिए थे जो तलाशी के दौरान उसके पास से बरामद किए गए। प्रबंधक का कार्यभार रिटायर डिप्टी कलेक्टर नरेंद्र राठौर को सौंपा गया है।

मंदिर प्रबंधन द्वारा ही दान की राशि चोरी की खबर मिलने के बाद जिला कलेक्टर भी मौके पर पहुंचे और प्रबंधन के लोगों को कड़ी फटकार लगाई। कलेक्टर ने कुछ ही दिनों पहले सभी मंदिर प्रबंधकों की बैठक भी ली थी।

दान राशि की चोरी और हेराफेरी में राजस्व अफसरों की मिलीभगत भी सामने रही है। इसी वजह से घट्टिया के राजस्व अफसर इस को इस कार्रवाई से एकदम दूर रखा गया
 
 

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