दलितों के साथ भेदभाव और अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले मकी महिदपुर तहसील के कुंडीखेड़ा गांव में दलित दूल्हे द्वारा घोड़ी पर बैठकर बारात निकालने से नाराज सवर्ण समाज ने गांव के दलितों के साथ बात व्यवहार और कारोबार बंद कर दिया। इस मामले की जानकारी दलित संगठनों को लगने पर आंदोलन की चेतावनी दी गई।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुंडीखेड़ा गांव में 14 मई को एक दलित युवक की बारात पहली बार घोड़ी पर निकाली गई। नाराज गांव के सर्वण लोगों ने इसके अगले ही दिन गांव के सरकारी रामकृष्ण मंदिर में एक बैठक बुलाई। बैठक के बाद फरमान जारी किया गया कि रविदास समाज के लोगों का हुक्का पानी बंद किया जाता है। उनसे किसी भी तरह का व्यवहार करने वाले पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
बकायदा लाउड स्पीकर के माध्यम से गांव में इस फैसले की जानकारी दी गई। कहा गया कि कोई भी दुकानदार दलित व्यक्ति को सामान नहीं बेचेगा। साथ ही, दलितों को कोई दूध नहीं बेचेगा और न ही उनसे कोई दूध खरीदेगा। इसके साथ ही पीने के पानी भरने तक पर रोक लगा दी गई। हुक्का-पानी बंद होने से गांव में रहने वाली दलित वर्ग के लोगों के सामने मुश्किलें पैदा हो गई। उन्हें 4 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है।
गांव के लोगों ने बताया कि गांव में आटा चक्की होने के बावजूद उनके गेहूं को पीसने से मना किया जा रहा है। इसके चलते उन्हें 20 किलोमीटर दूर जाकर गेहूं पिसवाना पड़ रहा है। दलितों को गांव में प्रवेश करने से भी रोकने का आरोप भी लगाया।
इन हालातों को देखते हुए दलित दुल्हे के मामा दुलेसिंह सूर्यवंशी ने अखिल भारतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोेज परमार से संपर्क कर उन्हें समस्या बाताई। महासंघ के पदाधिकारियों ने गांव में जाकर पीड़ितों से चर्चा कर उनकी समस्याओं को जाना। महासंघ ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि जल्द ही दलितों के हालात सामान्य नहीं किए गए तो आंदोलन किया जाएगा।
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक कुंडीखेड़ा गांव में 14 मई को एक दलित युवक की बारात पहली बार घोड़ी पर निकाली गई। नाराज गांव के सर्वण लोगों ने इसके अगले ही दिन गांव के सरकारी रामकृष्ण मंदिर में एक बैठक बुलाई। बैठक के बाद फरमान जारी किया गया कि रविदास समाज के लोगों का हुक्का पानी बंद किया जाता है। उनसे किसी भी तरह का व्यवहार करने वाले पर 1000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।
बकायदा लाउड स्पीकर के माध्यम से गांव में इस फैसले की जानकारी दी गई। कहा गया कि कोई भी दुकानदार दलित व्यक्ति को सामान नहीं बेचेगा। साथ ही, दलितों को कोई दूध नहीं बेचेगा और न ही उनसे कोई दूध खरीदेगा। इसके साथ ही पीने के पानी भरने तक पर रोक लगा दी गई। हुक्का-पानी बंद होने से गांव में रहने वाली दलित वर्ग के लोगों के सामने मुश्किलें पैदा हो गई। उन्हें 4 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ रहा है।
गांव के लोगों ने बताया कि गांव में आटा चक्की होने के बावजूद उनके गेहूं को पीसने से मना किया जा रहा है। इसके चलते उन्हें 20 किलोमीटर दूर जाकर गेहूं पिसवाना पड़ रहा है। दलितों को गांव में प्रवेश करने से भी रोकने का आरोप भी लगाया।
इन हालातों को देखते हुए दलित दुल्हे के मामा दुलेसिंह सूर्यवंशी ने अखिल भारतीय बलाई महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोेज परमार से संपर्क कर उन्हें समस्या बाताई। महासंघ के पदाधिकारियों ने गांव में जाकर पीड़ितों से चर्चा कर उनकी समस्याओं को जाना। महासंघ ने प्रशासन को चेतावनी दी है कि जल्द ही दलितों के हालात सामान्य नहीं किए गए तो आंदोलन किया जाएगा।