विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UCG) कॉलेज में रैगिंग को लेकर सख्त हो गया है। देश भर सभी 750 विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को पत्र लिखकर एंटी रैगिंग रेगुलेशन 2016 के नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। जिसके अनुसार किसी भी विद्यार्थी द्वारा जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करने पर, उसके खिलाफ SC/ST एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। UCG ने यह कदम मुंबई में पिछले महीने एक, मेडिकल छात्रा की आत्महत्या के, मामले में जाति सूचक शब्दों का प्रयोग होने की बात सामने आने पर उठाया है।
UCG के सचिव, प्रो। रजनीश जैन, की ओर से सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है। पत्र में UCG ने विश्वविद्यालयों को इस संबंध में नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। साथ ही, यह भी कहा कि, कई उच्च शिक्षण संस्थान नियमों को सख्ती से लागू नहीं करते हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रो। जैन का कहना है कि, पहले भी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को एंटी रैगिंग रेगुलेशन नियम सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया जा चुका है।
बता दें कि, ‘एंटी रैगिंग रेगलुेशन 2009’ को वर्ष 2016 में संशोधित किया था। जिसके तहत जाति सूचक के साथ-साथ क्षेत्र पर आधारित शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया जा सकता है। बिहारी, हरियाणवी, मोटी, पतली व जाति आधारित जैसे शब्दों को भी रैगिंग की श्रेणी में शामिल कर लिया था। इसके साथ ही, UCG ने शैक्षणिक सत्र 2018-19 के तहत सभी शिक्षा संस्थानों से ऐसे मामलों पर एससी, एसटी व ओबीसी विद्यार्थियों की शिकायतों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में उन्हें यह होगा कि:-
इसके अतिरिक्त, UCG ने सभी शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों और महिला कर्मियों को सुरक्षित माहौल देने के मकसद से यौन उत्पीड़न के मामलों पर 31 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी है। प्रो। रजनीश जैन के मुताबिक, महिला शिक्षक, कर्मी और विद्यार्थियों को सुरक्षित वातावरण देने के मकसद से केंद्रीय, स्टेट, निजी व डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के साथ-साथ कॉलेजों को भी आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।
फिलहाल, UCG ने यह साफ कर दिया है कि जाति, धर्म के नाम पर भेदभाव शिक्षा संस्थानों में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
UCG के सचिव, प्रो। रजनीश जैन, की ओर से सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा गया है। पत्र में UCG ने विश्वविद्यालयों को इस संबंध में नियमों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया है। साथ ही, यह भी कहा कि, कई उच्च शिक्षण संस्थान नियमों को सख्ती से लागू नहीं करते हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। प्रो। जैन का कहना है कि, पहले भी विश्वविद्यालयों व उच्च शिक्षण संस्थानों को एंटी रैगिंग रेगुलेशन नियम सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया जा चुका है।
बता दें कि, ‘एंटी रैगिंग रेगलुेशन 2009’ को वर्ष 2016 में संशोधित किया था। जिसके तहत जाति सूचक के साथ-साथ क्षेत्र पर आधारित शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया जा सकता है। बिहारी, हरियाणवी, मोटी, पतली व जाति आधारित जैसे शब्दों को भी रैगिंग की श्रेणी में शामिल कर लिया था। इसके साथ ही, UCG ने शैक्षणिक सत्र 2018-19 के तहत सभी शिक्षा संस्थानों से ऐसे मामलों पर एससी, एसटी व ओबीसी विद्यार्थियों की शिकायतों पर एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। इस रिपोर्ट में उन्हें यह होगा कि:-
- पिछले रेगुलेशन के आधार पर कमेटी गठित की गई या नहीं,
- शिकायतों के लिए वेबसाइट पर विशेष पेज है या नहीं,
- रजिस्ट्रार के पास जाति सूचक शिकायतों पर निपटारा किया गया है या नहीं,
- एक वर्ष में कुल शिकायतें दर्ज कराई गई,
- कितने मामलों का निपटारा हुआ,
- किसी फैकल्टी के खिलाफ भी शिकायत या कार्रवाई हुई या नहीं,
- विवि में कोई एंटी रैगिंग सेल है या नहीं और किस प्रकार से शिकायतों का निपटारा किया जाता है।
इसके अतिरिक्त, UCG ने सभी शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों और महिला कर्मियों को सुरक्षित माहौल देने के मकसद से यौन उत्पीड़न के मामलों पर 31 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी है। प्रो। रजनीश जैन के मुताबिक, महिला शिक्षक, कर्मी और विद्यार्थियों को सुरक्षित वातावरण देने के मकसद से केंद्रीय, स्टेट, निजी व डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी के साथ-साथ कॉलेजों को भी आंतरिक शिकायत समिति गठित करने का निर्देश दिया गया था।
फिलहाल, UCG ने यह साफ कर दिया है कि जाति, धर्म के नाम पर भेदभाव शिक्षा संस्थानों में स्वीकार नहीं किया जाएगा।