मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी का कारण बना अकाउंट ट्विटर पर मौजूद नहीं है

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 30, 2022
अज्ञात ट्विटर हैंडल जिससे की गई शिकायत की वजह से ‘ऑल्ट न्यूज’ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी हुई, अब माइक्रोब्लॉगिंग साइट पर मौजूद नहीं हैं।



ज़ुबैर के ख़िलाफ़ पुलिस में दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) में उल्लेख था, ‘हनुमान भक्त (@balajikijaiin)  नामक ट्विटर हैंडल से, मोहम्मद ज़ुबैर (@zoo_bear) के ट्विटर हैंडल द्वारा किए गए एक ट्वीट को साझा किया गया था जिसमें जुबैर ने एक फोटो ट्वीट किया था। जिस पर साइनबोर्ड पर होटल का नाम ‘हनीमून होटल’ से बदलकर ‘हनुमान होटल’ दिखाया गया था। तस्वीर के साथ जुबैर ने ‘2014 से पहले हनीमून होटल…  2014 के बाद हनुमान होटल…’ लिखा था।’

बता दें कि उक्त फोटो 1983 की ऋषिकेश मुखर्जी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘किसी से न कहना‘ का एक स्क्रीनशॉट था।

प्राथमिकी के अनुसार, @balajikijaiin ट्विटर यूजर ने ट्वीट किया था कि ‘हमारे भगवान हनुमान जी को हनीमून से जोड़ा जा रहा है जो प्रत्यक्ष रूप से हिंदुओं का अपमान है क्योंकि वह (भगवान हनुमान) ब्रह्मचारी हैं। कृपया इस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करें।’

गौरतलब है कि मंगलवार को दिल्ली की अदालत ने जुबैर को पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ की अवधि चार और दिनों के लिए बढ़ा दी। इसके साथ ही उनकी गिरफ्तारी का विरोध बढ़ता ही जा रहा है। लोग इसे आवाज दबाने की सरकार की साजिश बता रहे हैं। 

फैक्ट-चैक वेबसाइट के सह-संस्थापक जुबैर को दिल्ली पुलिस ने सोमवार को वर्ष 2018 में किए गए ट्वीट के जरिये धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस के उपायुक्त (खुफिया और रणनीतिक अभियान) केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि जुबैर के खिलाफ 20 जून को भारतीय दंड संहिता की धारा 153(ए) और 295(ए) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।

बता दें कि गिरफ्तारी के बाद से ट्विटर पर कई लोगों ने इस ओर इशारा किया था कि @balajikijaiin एकाउंट की उस एक ट्वीट के अलावा बहुत कम सक्रियता थी।



इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बुधवार से उक्त व्यक्ति के ट्विटर अकाउंट पर लिखा आ रहा है, ‘यह एकाउंट अस्तितव में नहीं है।’ अखबार द्वारा संपर्क करने पर पुलिस की ओर से बुधवार को कहा गया कि उन्हें अभी मामले में शिकायतकर्ता/ट्विटर यूजर से संपर्क करना बाकी है।

गिरफ्तारी के दिन जहां इस एकाउंट से केवल एक ट्वीट हुआ था और इसका एक फॉलोवर था, जल्द ही उसके 1200 फॉलोवर हो गए। हालांकि, बुधवार से एकाउंट ही ट्विटर से डिलीट हो गया।

नाम न छापने की शर्त पर एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमें पता लगा है कि व्यक्ति ने अपना खाता डिलीट कर दिया है। हालांकि, उससे हमारी जांच पर असर नहीं पड़ेगा। हम व्यक्ति का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और उससे शिकायत के बारे में पूछेंगे। हो सकता है कि उसने शायद इसलिए एकाउंट डिलीट किया हो क्योंकि वह डर गया हो।’

बहरहाल, इससे पहले मंगलवार को जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने अदालत में तर्क दिया था कि किसी भी मामले में, किसी अज्ञात एकाउंट को ‘धर्म का पालन करने वाले किसी भी व्यक्ति का प्रवक्ता’ नहीं माना जा सकता है। उन्होंने आगे कहा था, ‘अगर एक अज्ञात ट्विटर हैंडल ने देश में कोई शरारत की है तो मुझे लगता है कि उसके पीछे का कारणों की जांच करनी चाहिए।’

लाइव लॉ के मुताबिक, इस पर अभियोजन पक्ष के वकील ने अज्ञात खाते को ‘इनफॉर्मर (मुखबिर)’ बताया था। अभियोजन पक्ष ने कहा था, ‘वह सिर्फ एक मुखबिर है। वह अज्ञात शिकायतकर्ता नहीं है।’ अभियोजन पक्ष ने उस एकाउंट के बारे में बात करते हुए कहा था कि बिना विवरण दिए किसी को भी ट्विटर एकाउंट नहीं मिल सकता है।

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