भाजपा नेता उदिता त्यागी की शिकायत पर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ एफआईआर, सोशल मीडिया पोस्ट पर कार्रवाई की मांग  

Written by sabrang india | Published on: October 8, 2024
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि जुबैर ने पुजारी के खिलाफ़ हिंसा भड़काने के उद्देश्य से नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का वीडियो पोस्ट किया। एफआईआर में एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु अरशद मदनी का भी नाम है।



उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद पुलिस ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और संपादक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज की है, जिसमें उन्होंने पुजारी और नफ़रत फैलाने वाले यति नरसिंहानंद के बारे में ट्वीट किए थे। यह शिकायत 7 अक्टूबर, 2024 को भारतीय जनता पार्टी की नेता डॉ. उदिता त्यागी ने कवि नगर थाने में दर्ज कराई थी।

त्यागी यति नरसिंहानंद सरस्वती फाउंडेशन के महासचिव और जलविद्युत पीएसयू एसजेवीएन में एक स्वतंत्र निदेशक हैं। वे सौ से अधिक लोगों के एक समूह का हिस्सा थीं, जिसने नरसिंहानंद के संबंध में सोशल मीडिया पोस्ट के लिए जुबैर के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने और पुजारी के ठिकाने के बारे में स्पष्टीकरण मांगने के लिए गाजियाबाद पुलिस आयुक्त के कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था।

जुबैर के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर का विवरण:

यह ध्यान देने योग्य है कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ इस्लाम विरोधी टिप्पणी करने के लिए नरसिंहानंद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दो दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई थी, जहां नरसिंहानंद मुख्य पुजारी हैं। त्यागी ने अपनी शिकायत में जुबैर पर नरसिंहानंद के भाषणों के संपादित वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर साझा करने का आरोप लगाया, जिसका कथित उद्देश्य पुजारी के खिलाफ मुसलमानों द्वारा हिंसा भड़काना था।

उन्होंने दावा किया कि जुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम का एक वीडियो पोस्ट किया, जिसका उद्देश्य अशांति फैलाना था। त्यागी के अनुसार, 4 और 5 अक्टूबर को जुबैर की पोस्ट ने तनाव को बढ़ा दिया, जिससे डासना मंदिर पर हमले की स्थिति पैदा हो गई। त्यागी ने यह भी कहा कि कथित हमले के दौरान वह नरसिंहानंद के साथ मंदिर में मौजूद थीं और पुलिस के चलते वे मुश्किल से बच पाईं। गौरतलब है कि विरोध प्रदर्शन के कथित तौर पर हिंसक होने के बाद पुलिस ने दस लोगों को गिरफ्तार किया है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, त्यागी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि "उसने 4 और 5 अक्टूबर को कई वीडियो पोस्ट किए, जिसके कारण डासना देवी मंदिर पर हमला करने का प्रयास किया गया। मैं मंदिर में यति के साथ मौजूद थी और हम मुश्किल से बच पाए। अगर पुलिस ने हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो स्थिति खराब हो जाती।"

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, त्यागी ने अपनी शिकायत में आगे आरोप लगाया कि जुबैर की पोस्ट में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर और उनके लिए अपमानजनक संदर्भ शामिल थे। नतीजतन, उन्होंने दावा किया कि उन्हें सोशल मीडिया पर जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं।

जुबैर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, झूठे सबूत गढ़ना, आपराधिक धमकी और मानहानि शामिल हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने पुष्टि की है कि जांच चल रही है और आश्वासन दिया है कि हिंसा भड़काने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

एफआईआर के जवाब में जुबैर ने निराशा जाहिर की और दावा किया कि गाजियाबाद पुलिस ने उचित सत्यापन के बिना शिकायत दर्ज की। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए जुबैर ने कहा कि अन्य पत्रकारों ने भी इसी तरह की सामग्री की रिपोर्ट की थी, फिर भी उन्हें निशाना बनाया गया। आगे कहा कि उनके खिलाफ एफआईआर जानबूझकर की गई थी। गौरतलब है कि जुबैर के अलावा, एफआईआर में एआईएमआईएम नेता और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के साथ-साथ प्रमुख मुस्लिम धर्मगुरु अरशद मदनी का भी नाम है।

जुबैर ने अखबार से बात करते हुए कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है।"


7 अक्टूबर को हिंदू समूहों के सदस्यों ने गाजियाबाद पुलिस आयुक्त को एक ज्ञापन भी सौंपा था, जिसमें उन्होंने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी, जिन पर 6 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन के दौरान डासना मंदिर पर हमला करने का आरोप था।

यति नरसिंहानंद विवाद के बारे में संक्षिप्त जानकारी

गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद अपने भड़काऊ बयानों, खासकर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। हालिया मामला नरसिंहानंद के एक भाषण के कारण सुर्खियों में है, जो 19 सितंबर को गाजियाबाद के हिंदी भवन में एक कार्यक्रम में दिया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, नरसिंहानंद ने अपने नफरत भरे भाषण में पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया था। भड़काऊ बयान में उन्होंने लोगों को रावण के बजाय पैगंबर के पुतले जलाने के लिए कहा था। इस टिप्पणी के कारण मुस्लिम समुदाय में नाराजगी फैल गई।

देश भर के मुस्लिम संगठन नरसिंहानंद की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं, क्योंकि वे लगातार नफरत फैलाने वाले भाषण दे रहे हैं और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। नरसिंहानंद के भड़काऊ बयान के कारण 6 अक्टूबर को डासना मंदिर के बाहर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें बड़ी संख्या में लोग अपनी नाराजगी जाहिर करने के लिए इकट्ठा हुए। विरोध प्रदर्शन के बाद मंदिर के आसपास सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई थी। नरसिंहानंद के खिलाफ गाजियाबाद, तेलंगाना, महाराष्ट्र, उत्तराखंड और अन्य राज्यों में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। भारतीय न्याय संहिता की धारा 302, जो जानबूझकर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए बोलने के अपराध से संबंधित है, यह धारा नरसिंहानंद के खिलाफ लगाई गई। धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य) और धारा 197 (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले कार्य) को भी एफआईआर में शामिल किया गया है।

एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा अधिकारियों से कार्रवाई करने का आग्रह करने और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से नफरत फैलाने वाले भाषण को हटाने की मांग करने के बाद हैदराबाद पुलिस ने शिकायत दर्ज की। शिकायतों की बढ़ती संख्या के बावजूद पुलिस ने इस बात की पुष्टि नहीं की है कि नरसिंहानंद को हिरासत में लिया गया है या नहीं, हालांकि इंडियन एक्सप्रेस सहित कई रिपोर्टों से पता चलता है कि हो सकता है उन्हें हिरासत में लिया गया हो।

नरसिंहानंद के कई शिष्यों पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी करने के आरोप लगे हैं। इनके शिष्यों में अनिल यादव छोटा नरसिंहानंद, यति रण सिंहानंद, यति राम स्वरूपानंद और डासना मंदिर के यति निर्भयानंद शामिल हैं। इन टिप्पणियों का वीडियो ऑनलाइन प्रसारित किया गया, जिसके कारण वेव सिटी पुलिस स्टेशन में बीएनएस की धारा 302 (जानबूझकर किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की सज़ा) और 351 (आपराधिक धमकी) के तहत एक अतिरिक्त प्राथमिकी दर्ज की गई। नरसिंहानंद के बयानों पर काफी आक्रोश है, लेकिन कई राज्य सरकारों और धार्मिक संगठनों के बढ़ते दबाव के बावजूद उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है।

बाकी ख़बरें