जमीन मुआवजे सहित कई मांगों को लेकर किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कलेक्ट्रेट क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया है और भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

साभार : आईएएनएस
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित सूरजपुर में किसानों द्वारा महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेतृत्व में हो रहा है, जिसमें गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हापुड़ और बागपत सहित विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ शामिल हुए हैं।
किसानों का कहना है कि सरकार और प्रशासन उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं और कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसी उपेक्षा के चलते अब उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है। शुक्रवार सुबह से ही किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर जिला कलेक्ट्रेट के आसपास जुटने लगे।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला कलेक्ट्रेट को छावनी में बदल दिया गया है। किसानों को कलेक्ट्रेट क्षेत्र में पहुंचने से रोकने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए हैं और पुलिस प्रशासन उन्हें बाहर ही रोकने का प्रयास कर रहा है।
किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। उनका कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
किसान संगठनों का कहना था कि शुक्रवार को होने वाली महापंचायत पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आयोजित की जाएगी। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं किया, तो किसान आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होंगे।
महापंचायत को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। सूरजपुर जिला मुख्यालय के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है, वहीं ग्रेटर नोएडा के प्रमुख चौराहों पर भी सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के जिन गांवों की जमीन एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे या औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की गई थी, उन किसानों को अब तक पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया है। प्रशासन ने पहले आश्वासन दिया था कि मुआवजा जल्द दिया जाएगा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
इसी साल जुलाई में किसान समूहों ने अधिग्रहित भूमि के लिए अधिक मुआवजे की मांग को लेकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों के खिलाफ फिर से विरोध प्रदर्शन किया था। बीकेयू (लोकशक्ति) ने ग्रेटर नोएडा में जीरो पॉइंट के पास प्रदर्शन किया, जबकि बीकेयू (टिकैत) ने अलग विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में इसी तरह के एक विरोध प्रदर्शन में किसानों ने नोएडा एक्सप्रेसवे को बंद कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लगभग 150 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था।
बीकेयू (लोकशक्ति) के अध्यक्ष श्योराज सिंह ने कहा था कि तीनों प्राधिकरणों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण के बावजूद राज्य के किसानों से किए गए प्रमुख वादे अब तक अधूरे हैं।
उन्होंने कहा, “मुख्य मुद्दों में आवासीय भूखंडों का आवंटन, अतिरिक्त मुआवजा और किसानों के बच्चों के लिए नौकरी शामिल हैं। इन मांगों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है, इसलिए हमने जीरो पॉइंट पर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया।”
उन्होंने मौजूदा महंगाई को ध्यान में रखते हुए जेवर हवाई अड्डा परियोजना से विस्थापित लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन मुआवजे में संशोधन की भी मांग की थी। किसानों ने प्रभावित परिवारों के लिए विशेष आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं के साथ-साथ विस्थापन नीति के तहत स्कूल, चिकित्सा सुविधाएं, धार्मिक स्थल, पशु आश्रय और श्मशान घाट जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी मांग की।
किसान नेताओं ने कहा कि दिसंबर 2024 में हुए पिछले विरोध प्रदर्शन के बाद से कोई प्रगति नहीं हुई है, जिसके चलते उन्हें फिर से सड़कों पर उतरना पड़ा। उस आंदोलन के दौरान दलित प्रेरणा स्थल के पास नोएडा एक्सप्रेसवे को बंद करने के बाद लगभग 150 किसानों को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें लुक्सर जेल ले जाया गया था, और बाद में विरोध स्थल को जीरो पॉइंट स्थानांतरित किया गया, जहां देर रात एक और कार्रवाई हुई थी। राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए समिति गठित करने की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया था।
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साभार : आईएएनएस
उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा स्थित सूरजपुर में किसानों द्वारा महापंचायत का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेतृत्व में हो रहा है, जिसमें गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, हापुड़ और बागपत सहित विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली के साथ शामिल हुए हैं।
किसानों का कहना है कि सरकार और प्रशासन उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं और कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसी उपेक्षा के चलते अब उन्हें आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा है। शुक्रवार सुबह से ही किसान ट्रैक्टर-ट्रॉली लेकर जिला कलेक्ट्रेट के आसपास जुटने लगे।
द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार, किसानों की बढ़ती संख्या को देखते हुए जिला कलेक्ट्रेट को छावनी में बदल दिया गया है। किसानों को कलेक्ट्रेट क्षेत्र में पहुंचने से रोकने के लिए जगह-जगह बैरिकेड लगाए गए हैं और पुलिस प्रशासन उन्हें बाहर ही रोकने का प्रयास कर रहा है।
किसानों ने आरोप लगाया है कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है। उनका कहना है कि वे अपनी मांगों को लेकर कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
किसान संगठनों का कहना था कि शुक्रवार को होने वाली महापंचायत पूरी तरह शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आयोजित की जाएगी। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी थी कि यदि सरकार ने जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं किया, तो किसान आने वाले दिनों में बड़े आंदोलन की राह पकड़ने को मजबूर होंगे।
महापंचायत को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने सतर्कता बढ़ा दी है। सूरजपुर जिला मुख्यालय के आसपास भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की गई है, वहीं ग्रेटर नोएडा के प्रमुख चौराहों पर भी सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
किसान नेताओं का कहना है कि यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के जिन गांवों की जमीन एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे या औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित की गई थी, उन किसानों को अब तक पूरा मुआवजा नहीं मिल पाया है। प्रशासन ने पहले आश्वासन दिया था कि मुआवजा जल्द दिया जाएगा, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
इसी साल जुलाई में किसान समूहों ने अधिग्रहित भूमि के लिए अधिक मुआवजे की मांग को लेकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरणों के खिलाफ फिर से विरोध प्रदर्शन किया था। बीकेयू (लोकशक्ति) ने ग्रेटर नोएडा में जीरो पॉइंट के पास प्रदर्शन किया, जबकि बीकेयू (टिकैत) ने अलग विरोध प्रदर्शन की घोषणा की थी।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में इसी तरह के एक विरोध प्रदर्शन में किसानों ने नोएडा एक्सप्रेसवे को बंद कर दिया था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लगभग 150 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया था।
बीकेयू (लोकशक्ति) के अध्यक्ष श्योराज सिंह ने कहा था कि तीनों प्राधिकरणों द्वारा बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण के बावजूद राज्य के किसानों से किए गए प्रमुख वादे अब तक अधूरे हैं।
उन्होंने कहा, “मुख्य मुद्दों में आवासीय भूखंडों का आवंटन, अतिरिक्त मुआवजा और किसानों के बच्चों के लिए नौकरी शामिल हैं। इन मांगों को लंबे समय से नजरअंदाज किया जा रहा है, इसलिए हमने जीरो पॉइंट पर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला किया।”
उन्होंने मौजूदा महंगाई को ध्यान में रखते हुए जेवर हवाई अड्डा परियोजना से विस्थापित लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन मुआवजे में संशोधन की भी मांग की थी। किसानों ने प्रभावित परिवारों के लिए विशेष आवासीय और व्यावसायिक योजनाओं के साथ-साथ विस्थापन नीति के तहत स्कूल, चिकित्सा सुविधाएं, धार्मिक स्थल, पशु आश्रय और श्मशान घाट जैसी बुनियादी सुविधाओं की भी मांग की।
किसान नेताओं ने कहा कि दिसंबर 2024 में हुए पिछले विरोध प्रदर्शन के बाद से कोई प्रगति नहीं हुई है, जिसके चलते उन्हें फिर से सड़कों पर उतरना पड़ा। उस आंदोलन के दौरान दलित प्रेरणा स्थल के पास नोएडा एक्सप्रेसवे को बंद करने के बाद लगभग 150 किसानों को गिरफ्तार किया गया था। उन्हें लुक्सर जेल ले जाया गया था, और बाद में विरोध स्थल को जीरो पॉइंट स्थानांतरित किया गया, जहां देर रात एक और कार्रवाई हुई थी। राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए समिति गठित करने की घोषणा के बाद विरोध प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया था।
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