सर्वोच्च न्यायालय का अहम फैसला: ट्रांसजेंडर लोगों के समान रोजगार अवसर और चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के लिए समिति का गठन

Written by sabrang india | Published on: October 17, 2025
इस समिति की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आशा मेनन करेंगी। न्यायमूर्ति जे.बी. पादरीवाला और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस फैसले से थर्ड जेंडर समुदाय के भविष्य को सुरक्षित करने की उम्मीद है।



सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने एक विशेष समिति का गठन किया है, जिसकी जिम्मेदारी एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय की न्यायाधीश को सौंपी गई है। इस समिति का उद्देश्य कार्यस्थलों पर समान अवसर, समावेशी चिकित्सा देखभाल और जेंडर विविध व्यक्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

इस समिति की अध्यक्षता न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) आशा मेनन करेंगी। समिति में ट्रांसजेंडर कार्यकर्ता ग्रेस बानु और अक्काई पद्मशाली, गौरव मंडल (CLPR, बेंगलुरु), और डॉ. संजय शर्मा शामिल होंगे। वहीं, वरिष्ठ अधिवक्ता जयना कोठारी को न्यायालय ने एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है।

कोर्ट ने कहा, “समिति का कार्य यह सुनिश्चित करना होगा कि जेंडर नॉन-कनफॉर्मिंग व्यक्तियों को समान अवसर, समावेशी चिकित्सा सुविधाएं और सुरक्षा मिले। हमने याचिकाकर्ता को मुआवजा प्रदान किया है क्योंकि उनकी नौकरी केवल उनकी जेंडर पहचान के कारण समाप्त कर दी गई थी। हमें उम्मीद है कि यह फैसला थर्ड जेंडर समुदाय के भविष्य को सुरक्षित करेगा।”

पीठ ने आगे कहा, “हमने इस मामले में दिशा-निर्देश तैयार किए हैं। जिन संस्थानों के पास पहले से ऐसे दिशा-निर्देश नहीं हैं, उन्हें इन्हें अपनाना होगा, जब तक कि केंद्र सरकार इस विषय पर अपनी नीति नहीं बना लेती।”

याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया था कि उन्हें उत्तर प्रदेश में अध्यापन हेतु नियुक्ति पत्र मिला था, लेकिन वे केवल छह दिन ही पढ़ा सकीं। गुजरात में भी उन्हें नियुक्ति पत्र मिला, किंतु कार्यभार ग्रहण करने की अनुमति नहीं दी गई।

उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जुलाई में भारत की पहली ट्रांसजेंडर-नेतृत्व वाली हेल्थ क्लिनिक ‘मित्र क्लिनिक’ को USAID द्वारा फंडिंग बंद किए जाने के बाद अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा था। हालांकि अब यह ऐतिहासिक क्लिनिक नए नाम और नए आर्थिक सहयोग के साथ पुनः शुरू हो गई है।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यह पुनःप्रारंभ ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए नई उम्मीद की किरण है, क्योंकि यह क्लिनिक सिर्फ उपचार ही नहीं, बल्कि सम्मान और सुरक्षित वातावरण भी प्रदान करती है।

क्लिनिक से जुड़े श्री घोष ने बताया, “जनवरी में जब USAID की फंडिंग बंद हुई, तो हमें सेवाएं रोकनी पड़ीं। लेकिन हमने कई संस्थाओं और व्यक्तियों से संपर्क किया और अब हमें टाटा ट्रस्ट्स का सहयोग प्राप्त हुआ है।”

मित्र क्लिनिक की विशेषताएं:

2021 में हैदराबाद के नारायणगुड़ा में स्थापित यह क्लिनिक भारत की पहली ऐसी स्वास्थ्य सुविधा है जो पूरी तरह ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा संचालित है। डॉक्टर से लेकर क्लिनिक मैनेजर तक, हर व्यक्ति ट्रांसजेंडर समुदाय से है। क्लिनिक की स्थापना से अब तक 3,000 से अधिक मरीजों का उपचार किया जा चुका है।

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