टेलीकॉम सेक्टर में सबसे बड़ी मंदी, एक लाख लोगों से छिन सकता है काम

Published on: February 15, 2017
नई दिल्ली। भारतीय टेलीकॉम इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में लगभग तीन लाख लोग रोजगार से जुड़े हुए हैं। लेकिन अब करीब लाखों लोगों को अपनी नौकरी गंवाने का डर सता रहा है। दरअसल कंसॉलिडेशन के बाद ऑपरेंशंस, वर्कफोर्स और इंफ्रास्ट्रक्चर के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर फोकस होगा, जिससे करीब 25 प्रतिशत लोगों को रोजगार मिला हुआ है। एक्सपर्ट्स और इंडस्ट्री एग्जिक्युटिव्स के बीच इस पर मतभेद है कि कंसॉलिडेशन की वजह से कितनी नौकरियां जाएंगी, लेकिन बड़े पैमाने पर छंटनी से कोई इनकार नहीं कर रहा। 

tELECOM SECTOR
 
आपको बता दें कि टेलिकॉम कंपनियों के रेवेन्यू का 4 से 4.5 प्रतिशत स्टाफ पर खर्च होता है, लेकिन इसकी असल चोट सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन सेगमेंट पर पड़ेगी। एक एचआर हेड ने बताया कि बड़ी कंपनियों में आमदनी की 22 पर्सेंट तक सेल्स और डिस्ट्रीब्यूशन लागत है। सेक्टर की आमदनी सालाना 1.3 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है, जिससे स्टाफ कॉस्ट करीब 34,000-35,000 करोड़ रुपये बैठती है।
 
एक अन्य एचआर हेड ने बताया, 'इसमें कोई शक नहीं है कि हेड ऑफिस और सर्कल (ऑफिस) में काम करने वालों पर छंटनी की तलवार लटक रही है।' उन्होंने बताया कि इससे दस हजार से पच्चीस हजार लोगों की जॉब जा सकती है। वहीं, जो लोग परोक्ष रूप से उद्योग से जुड़े हैं, वैसे प्रभावित लोगों की संख्या 1 लाख तक पहुंच सकती है। 
 

ईकनॉमिक टाइम्स ने दर्जन भर ऐनालिस्टों, रिक्रूटर्स और कंपनी एग्जिक्युटिव्स से बात की। उन्होंने बताया कि टेलिकॉम एंप्लॉयीज आश्वासन के बावजूद नौकरी को लेकर डरे हुए हैं। एऑन हेविट कंसल्टिंग के सीईओ संदीप चौधरी ने बताया, 'कंसॉलिडेशन के बाद ऑपरेशंस, वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर के अधिक-से-अधिक इस्तेमाल पर फोकस होगा, जिससे करीब 25 पर्सेंट एंप्लॉयीज की जरूरत नहीं रह जाएगी।' मर्जर की बात से जुड़े टेलिकॉम कंपनी के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि कंसॉलिडेशन के बाद अगले डेढ़ साल में एक-तिहाई लोगों की जरूरत नहीं रह जाएगी।
 
किस-किस का मर्जर हो सकता है?
ईटी के अनुसार, कुमार मंगलम बिड़ला की आइडिया सेल्युलर और वोडाफोन पीएलसी के बीच मर्जर की बात चल रही है। दोनों कंपनियां रिलायंस जियो को टक्कर देने के लिए साथ आना चाहती हैं, जिसने मुफ्त डेटा और वॉयस सर्विस देकर बाजार में उथल-पुथल मचा दी है। एयरसेल और अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस के बीच भी मर्जर की बातचीत चल रही है। हालांकि, एयरसेल के खिलाफ एक मुकदमे की वजह से इस सौदे पर तलवार लटकी हुई है। रूस की एमटीएस का आरकॉम में मर्जर हो चुका है, जबकि नॉर्वे की टेलिनॉर या तो आरकॉम-एयरसेल के साथ मिलेगी या उसे एयरटेल खरीदेगा।

इसका असर टेलिकॉम टावर कंपनियों पर भी हुआ है। ईटी के सूत्रों के अनुसार, पिछले साल अमेरिकन टावर कंपनी (एटीसी) ने वायोम नेटवर्क्स को खरीदा था और उसके बाद एंप्लॉयीज की संख्या में एक-तिहाई कटौती की थी। इसके बाद ब्रुकफील्ड ने 1.6 अरब डॉलर में आरकॉम के टावर खरीदे। अभी हर टावर कंपनी डील की बातचीत कर रही है। 
 
आइडिया और वोडाफोन अपने स्टैंडअलोन बिजनेस को बेचना चाहती हैं और टावर विजन जैसी छोटी कंपनियां भी सौदे की बातचीत कर रही हैं। बड़ी भारती इन्फ्राटेल और इंडस टावर्स के मालिकाना हक में भी बदलाव हो सकता है। मर्जर की बात कर रही एक टेलिकॉम कंपनी के मिड लेवल एग्जिक्युटिव ने बताया, 'मैंने बच्चों के साथ अपनी फॉरन ट्रिप कैंसल कर दी क्योंकि मैं कुछ रकम बचाना चाहता था। पता नहीं आगे क्या हो।' वह इस कंपनी में चार साल से काम कर रहे हैं।
 

कंपनियों के डेटा के मुताबिक आइडिया, वोडाफोन, आरकॉम और एयरसेल में 48,000 लोग काम करते हैं। बिजनेस में कमी के बावजूद टाटा टेलिकॉम में 7,000 लोग काम कर रहे हैं। एचआर हेड्स का कहना है कि अगर किसी टेलिकॉम कंपनी में एक आदमी को सीधा रोजगार मिला है तो उस पर बाहरी एजेंसी के चार लोग सेल्स हैंडल कर रहे हैं। इसमें नेटवर्क और बीपीओ कॉन्ट्रैक्ट्स के लोग भी शामिल हैं और यह अनुपात 1:6 का है। 
 
सेंट्रल और सर्विस एरिया लेवल पर सर्किल चीफ, एचआर और फाइनैंस टीम में छंटनी हो सकती है क्योंकि कंसॉलिडेशन के बाद कंपनियां एक ही काम के लिए दो लोगों को नहीं रखेंगी। इससे मैनेजरों के बीच कंपनी के अंदर और दूसरी कंपनियों के समकक्षों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव बढ़ गया है। मर्जर की बातचीत कर रही एक टेलिकॉम कंपनी के सर्कल चीफ ने कहा, 'यह बहुत बुरा वक्त है। जब एक कंपनी फ्री में सर्विस दे रही हो, तब मजबूत रिजल्ट देना संभव नहीं है।' इंडस्ट्री में कॉम्पिटीशन बढ़ने के चलते मर्जर की बातचीत तेज हुई है। जियो का फ्री ऑफर मार्च तक चलेगा। इसके बाद वह कुछ और इंसेंटिव ला सकता है। इससे हर टेलिकॉम कंपनी की प्रति ग्राहक आमदनी कम हुई है।

Courtesy: National Dastak
 

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