भारतीय आईटी कंपनियों ने पिछली कुछ तिमाहियों में खाली पदों के लिए भी भर्तियां घटा दी हैं। आईटी उद्योग में इस साल 1.30 से 1.50 लाख रोजगार सृजन का लक्ष्य रखा गया है। यह लक्ष्य तो दूर, जो नौकरियां लोगों को मिली हुई थीं वह भी जा रही हैं।
छह अग्रणी कंपनियों में इस साल पहली छमाही में शुद्ध नियुक्तियां स्थिर रहीं या मामूली घटी। एक अन्य डिजिटल टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग प्रदाता का कहना है कि कई साल तक असेंबली लाइन की अवधारणा कारगर रही, लेकिन पिछले कुछ सालों में दुनिया बदली है और किसी के पास परियोजना शुरू करने और इसके नतीजे के लिए छह महीने इंतजार करने का धैर्य नहीं है, डर है कि 39 लाख आईटी पेशेवर नौकरी गंवाने के जोखिम का सामना कर सकते हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपग्रैड के संस्थापक रोनी स्क्रूवाला ने कहा, ये कंपनियां उन पदों पर दोबारा नियुक्तियां नहीं कर रही हैं जो स्वैच्छिक इस्तीफे से खाली हुई हैं या फिर जहां कर्मचारियों को प्रदर्शन के आधार पर इस्तीफा देना पड़ा है। लेबर आर्बिट्रेज पर करीब 154 अरब डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने वाली और अभी करीब 39 करोड़ लोगों को रोजगार दे रही भारतीय आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या घटाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं क्योंकि डिजिटल तकनीक पर आधारित सेवाओं की मांग बढ़ रही है।
स्क्रूवाला ने कहा कि नियुक्तियों में हालांकि कमी आई है, लेकिन खाली पदों के लिए दोबारी नियुक्तियां भी नहीं हो रही है। अमेरिका की प्रमुख आईटी सेवा कंपनी कॉग्निजेंट ने पिछले छह महीने के दौरान 5,100 नौकरियां खत्म कर दी जबकि इस दौरान इन्फोसिस के कर्मचारियों की संख्या में 1,527 लोगों की कमी दर्ज की गई। देश की पांचवीं सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी टेक महिंद्रा ने मार्जिन में सुधार के लिए अपने कार्यबल में 2,958 नौकरियां खत्म की। सूचना प्रौद्योगिकी दिग्गजों के लिए सितंबर तिमाही भी उम्मीदों पर खरी
नहीं उतर पाई और कई कंपनियों ने अपेक्षाकृत कमजोर समझी जाने वाली दिसंबर तिमाही और मार्च तिमाही के लिए भी अनुमान घटा दिए हैं। विश्लेषक अगले दो वर्षों के लिए वृद्धि की रफ्तार धीमी बनी रहने की आशंका जता रहे हैं।
छह अग्रणी कंपनियों में इस साल पहली छमाही में शुद्ध नियुक्तियां स्थिर रहीं या मामूली घटी। एक अन्य डिजिटल टेक्नोलॉजी ट्रेनिंग प्रदाता का कहना है कि कई साल तक असेंबली लाइन की अवधारणा कारगर रही, लेकिन पिछले कुछ सालों में दुनिया बदली है और किसी के पास परियोजना शुरू करने और इसके नतीजे के लिए छह महीने इंतजार करने का धैर्य नहीं है, डर है कि 39 लाख आईटी पेशेवर नौकरी गंवाने के जोखिम का सामना कर सकते हैं।
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म अपग्रैड के संस्थापक रोनी स्क्रूवाला ने कहा, ये कंपनियां उन पदों पर दोबारा नियुक्तियां नहीं कर रही हैं जो स्वैच्छिक इस्तीफे से खाली हुई हैं या फिर जहां कर्मचारियों को प्रदर्शन के आधार पर इस्तीफा देना पड़ा है। लेबर आर्बिट्रेज पर करीब 154 अरब डॉलर का साम्राज्य खड़ा करने वाली और अभी करीब 39 करोड़ लोगों को रोजगार दे रही भारतीय आईटी कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या घटाने के लिए रणनीतिक कदम उठाए हैं क्योंकि डिजिटल तकनीक पर आधारित सेवाओं की मांग बढ़ रही है।
स्क्रूवाला ने कहा कि नियुक्तियों में हालांकि कमी आई है, लेकिन खाली पदों के लिए दोबारी नियुक्तियां भी नहीं हो रही है। अमेरिका की प्रमुख आईटी सेवा कंपनी कॉग्निजेंट ने पिछले छह महीने के दौरान 5,100 नौकरियां खत्म कर दी जबकि इस दौरान इन्फोसिस के कर्मचारियों की संख्या में 1,527 लोगों की कमी दर्ज की गई। देश की पांचवीं सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी टेक महिंद्रा ने मार्जिन में सुधार के लिए अपने कार्यबल में 2,958 नौकरियां खत्म की। सूचना प्रौद्योगिकी दिग्गजों के लिए सितंबर तिमाही भी उम्मीदों पर खरी
नहीं उतर पाई और कई कंपनियों ने अपेक्षाकृत कमजोर समझी जाने वाली दिसंबर तिमाही और मार्च तिमाही के लिए भी अनुमान घटा दिए हैं। विश्लेषक अगले दो वर्षों के लिए वृद्धि की रफ्तार धीमी बनी रहने की आशंका जता रहे हैं।