सवर्णों ने रोका रास्ता, सीवर और डंपयार्ड से निकाली गई दलित की शवयात्रा

Written by sabrang india | Published on: November 2, 2019
तमिलनाडु के वीधि गांव में सवर्णों के जातीय दंभ का मामला उस समय सामने आया जब एक दलित परिवार को कचरा फेंकने वाली जगह और सीवर से अंतिम यात्रा निकालने पर मजबूर किया। भेदभाव का यह मामला कोयबंटूर जिले में सामने आया। 



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस घटना का एक वीडियो भी सामने आया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक दबंगों ने उन्हें मुख्य सड़क से नहीं जाने दिया, जिसके चलते उन्हें दूसरा रास्ता अपनाने पर मजबूर होना पड़ा।

इस क्षेत्र में रहने वाले करीब 1,500 दलित परिवारों ने कहा कि उन्होंने कई बार अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे हैं कि उन्हें मृतकों को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए एक रास्ते की आवश्यकता है, लेकिन अधिकारियों से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। दलित समुदाय का आरोप है कि उन्हें उस मार्ग से मृतकों को ले जाने की अनुमति नहीं है जहां सवर्ण लोग रहते हैं।

स्थानीय निवासी विनोद ने कहा कि सवर्ण समुदाय के पास सड़कें हैं और वो लोग आसानी से श्मशान तक पहुंच जाते हैं। श्मशान घाट तक पहुंचना हमारे लिए एक चुनौती जैसा है। मानसून के मौसम के दौरान, यह स्थिति और भी बदतर हो जाती है और हमें बहुत लंबा रास्ता अपनाना होता है। हमारे समुदाय के लिए जो जमीन आवंटित की गई है वहां बिजली और पानी जैसी कोई सुविधा नही है।

विनोद ने कहा कि श्मशान तक पहुंचने के आधा किलोमीटर के रास्ते को 2.5 किलोमीटर से ज्यादा चल कर हमें वहां तक पहुंचना पड़ता है। हम सभी यह पूछते हैं कि श्मशान तक पहुंचने के लिए क्या हमें एक उचित मार्ग की जरूरत नहीं। इसी साल अगस्त में, तमिलनाडु के वेल्लोर से जातिगत भेदभाव का एक और ऐसा ही चौंकाने वाला मामला सामने आया था, जिसमें सवर्ण ग्रामीणों ने एक दलित व्यक्ति के अंतिम संस्कार के लिए कथित तौर पर उनके कृषि क्षेत्रों से होकर जाने से मना कर दिया था जिसके कारण मृतक के शरीर को 20 फीट ऊंचे पुल से नीचे पहुंचाया गया।

बता दें कि आजादी के सात दशक बाद भी सवर्णों में दलितों के प्रति हीनभावना नजर आती है। दलितों का घोड़ी पर बारात निकालना भी सवर्णों को बर्दाश्त नहीं होता है। यूपी, गुजरात और राजस्थान में घोड़ी पर चढ़ने के कारण दलितों की बारात रोके जाने के मामले अकसर सामने आते हैं। राजस्थान इस मामले में अव्वल पर बना हुआ है।  
 

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