“सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए हमें सड़क पर संघर्ष करना होगा। हमारे ट्रैक्टर सिर्फ़ दिल्ली की ओर जाएंगे, ऐसा अभी तय नहीं किया गया है। ज़रूरत पड़ी तो ट्रैक्टर बनारस की ओर मोड़ लाएंगे।”
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ पर 'कब्जे' के खिलाफ आयोजित प्रतिरोध सभा में हजारों लोगों के हुजूम ने डबल इंजन की सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। बारिश के बावजूद तमाम किसान, महिलाएं और सर्वोदय से जुड़े लोग कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर जमे रहे। आंदोलन का आगाज संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था। इस मौके पर किसान नेता राकेश टिकैत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा, "हमने अभी तय नहीं कर रखा है कि किसानों का ट्रैक्टर कहां जाएगा। जरूरत पड़ी तो देश भर के किसान अपना ट्रैक्टर लेकर बनारस कूच करेंगे। बीजेपी ज़मीन लूटने वाली पार्टी है, जिसे अब मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।" प्रतिरोध सभा में एक्टिविस्ट मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव ने गांधी विरासत पर हुए कथित कब्जे को देश के ढांचे पर हमला बताया।
बनारस के शास्त्री घाट पर गुरुवार की सुबह से ही देश भर से आए सर्वोदयी गांधीजन, किसान और महिलाएं जुटने लगे थे। जन-प्रतिरोध सभा में बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी भी पहुंचे थे, जो आपातकाल के समय जेल गए थे। जन आंदोलनों से जुड़े सामाजिक संघर्ष के अंतरराष्ट्रीय स्तर के चेहरे आज शास्त्री घाट पर अगुवाई करते दिखे। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से सामाजिक कार्यकर्ता आज बनारस पहुंचे थे। सभा स्थल पर लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज़ करने संकल्प लिया। मौके पर मौजूद वक्ताओं ने कहा, "इंदिरा गांधी को तानाशाह नेता कहा जाता था, लेकिन उस समय भी मीडिया का गला नहीं घोंटा गया था। आज की तरह अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पहरे नहीं बैठाए गए थे।"
किसान नेता राकेश टिकैत ने गांधी के समर्थकों, किसानों, महिलाओं, प्रगतिशील लेखकों और पत्रकारों का आह्वान किया कि वे सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आगे आएं। महात्मा गांधी की हत्या के बाद लोकसत्ता और लोक-राजनीति के निर्माण के लिए इस संस्था की स्थापना की गई थी। सर्व सेवा संघ का कहना है कि वह प्रगतिशील, अहिंसक, और लोकतांत्रिक तरीके से गांधी के विचारों को दुनिया भर में फैलाने के लिए मुहिम चला रहा था। यह संस्था पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, विनोबा भावे, जगजीवन राम, जयप्रकाश नारायण, लालबहादुर शास्त्री के प्रयासों के बाद बनाई गई थी। सर्व सेवा संघ सिर्फ बापू की धरोहर है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि "जो लोग आज कुर्सी पर बैठे हुए है वो धरोहर और विरासत शब्द का मतलब नहीं जानते।" किसान नेता ने कहा कि "सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आने वाले दिनों में हमें सड़क पर संघर्ष करना होगा। हमारे ट्रैक्टर सिर्फ दिल्ली की ओर जाएंगे, ऐसा अभी तय नहीं किया गया है। जरूरत पड़ी तो ट्रैक्टर बनारस की ओर मोड़ लाएंगे।"
चर्चित एक्टिविस्ट मेधा पाटकर ने जन-प्रतिरोध सभा में मौजूद महिलाओं का आह्वान किया कि वे सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा, "जब तक महिलाएं मजबूत स्तंभ बनकर सरकार के खिलाफ बिगुल नहीं बजाएंगी, तब तक सरकार की तानाशाही चलती रहेगी। आज देश को गांधी के सत्याग्रह की जरूरत है। बीजेपी और आरएसएस को गांधी के विचारों से ज्यादा खतरा नजर आता है। आरएसएस के लोग इसीलिए गांधी की विरासत को मिटाना चाहते हैं ताकि वो गोडसेवाद का सिक्का चला सकें।"
पाटेकर ने सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा, "अब देश भर में मोदी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठनी शुरू हो गई हैं। लोगों को यह पता चल गया है कि यह बापू को मानने वाली सरकार नहीं है। सर्व सेवा संघ की ज़मीन पर कब्जा करके उन्होंने साबित कर दिया है कि उनका मकसद सिर्फ पूंजीवाद को बढ़ावा देना है। ये लोग पूरे देश में एयरपोर्ट और फ्लाईओवर के नाम पर किसानों की ज़मीनों पर कब्जा करने वाले लोग है। ये मजदूर और किसान के विरोधी है। बनारस से मोदी सरकार के खिलाफ छिड़ा संघर्ष देश भर में फैलेगा। मोदी जब भी बाहर जाते है तो गांधी का नाम लेते हैं और बनारस में उनके नाम पर बनी संस्था पर बुलडोज़र चलवा देना चाहते हैं। मैंने कई रेलवे और उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके स्तर का मामला नहीं है। सब कुछ ऊपर से चल रहा है।"
स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव भी जन-प्रतिरोध सभा में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, "महिलाओं की भारी भीड़ इस बात की तो तस्दीक कर रही है कि देश अब निजाम बदल देने के लिए तैयार है। मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल बज गया है। पिछले दो दिन से संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर की घटना की वजह से लाया गया है। प्रधानमंत्री मणिपुर की घटना पर एक शब्द बोलने के लिए तैयार नहीं है। संसद बहुत बड़ी है, लेकिन संसद से बड़ी सड़क है। बनारस में गांधी की विरासत सर्व सेवा संघ पिछले 70 सालों से मौजूद है। मोदी सरकार गांधीवादियों को खदेड़कर कह रही है कि तुम लोगों ने सात दशक से राजघाट पर जबरिया कब्जा कर रखा है। तुम लोग गैर-कानूनी हो। सवाल ज़मीन का नहीं, गांधी की विरासत का है, जिसे हमें हर हाल में बचाना होगा।"
वरिष्ठ गांधीवादी नेता कुमार प्रशांत ने कहा, "वरुणा नदी के किनारे उमड़े जनसैलाब ने यह साबित कर दिया है कि आम जनता मोदी सरकार से ऊब गई है। आगामी लोकसभा चुनाव में लोग इस सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।"
पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने कहा, "सर्व सेवा संघ पर किए गए कब्जे के विरोध में देश भर में आंदोलन छेड़ा जाएगा। हमारे लिए यह हमला एक बड़ा सबक है। अब हमें गांधी, अंबेडकर, जेपी, लोहिया की विरासत को बचाना होगा। हिंदुस्तान के लोग गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण की विरासत पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
सर्व सेवा संघ को 'बचाने' के लिए आंदोलन कर रहे गांधीवादी नेता राम धीरज ने कहा, "बीजेपी सरकार ज़मीन अधिग्रहण नहीं कर रही है, बल्कि ज़मीन लूट रही है। सिर्फ सर्व सेवा संघ ही नहीं, रामनगर में फ्रेट विलेज और विश्वनाथ गली में विश्वनाथ कारिडोर के नाम पर जमीनें छीनी जा रही है। मोहनसराय इलाके के बैरवन गांव के किसानों को पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया। वहां भी किसानों की जमीने छीनी जा रही है। राजघाट पर कई बस्तियों को उजाड़ दिया गया है। आजमगढ़ के खिरियाबाग में किसान लंबे समय से अपनी ज़मीनों को बचाने के लिए धरना दे रहे हैं। वहां एयरपोर्ट के नाम पर ज़मीन को एक बड़े पूंजीपति के हवाले किए जाने की योजना है।"
एक्टिविस्ट रंजू सिंह ने कहा, "कोई भी आंदोलन महिलाओं के बिना अधूरा है। जन-प्रतिरोध सभा मे जुटी इनकी भीड़ यह बता रही है कि हिंदुस्तान का भविष्य कैसा होगा?" जनप्रतिरोध सभा से पहले प्रेरणा कला मंच के रंगकर्मी टीम ने जनवादी गीत गाए। सभा शाम पांच बजे तक चलती रही, जिसमें महिलाओं की बड़ी तादाद थी।
इससे पहले नौ अगस्त अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर पराड़कर भवन में आयोजित सम्मेलन में सर्व सेवा संघ को 'बचाने' पर ज़ोर दिया गया। सम्मेलन में मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त संदीप पांडेय ने कहा, "मौजूदा दौर में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। अब देश की तस्वीर बदलने के लिए राजनीतिक तरीके से लड़ाई लड़नी होगी।"
सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान की अध्यक्ष आशा बोथरा ने कहा, "सर्व सेवा संघ के हक की लड़ाई जारी रहेगी। अब आंदोलन व न्यायालय से सर्व सेवा संघ का हक लेंगे।" इस मौके पर प्रफुल्ल सौमित्र रॉय, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, फैजल खान, डॉ. सुनीलम आदि ने विचार रखे।
आखिर में जानकारी दी गई कि "गांधी की विरासत को बचाने के लिए देश भर के सौ शहरों में सौ गांधी केंद्र खोले जाएंगे। बनारस में जन-जागरुकता अभियान चलाने के लिए सभी सौ वार्डों में गांधी मित्र बनाए जाएंगे। सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए देश भर में मोदी सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ी जाएगी। आंदोलन को बल देने के लिए 'इंडिया एलायंस' का सहयोग लिया जाएगा।"
दूसरी तरफ सर्व सेवा संघ से जुड़े एक अन्य गुट ने तेलियाबाग स्थित पटेल धर्मशाला में अगस्त क्रांति दिवस मनाया गया। इस मौके पर सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष महादेव विद्रोही ने मणिपुर हिंसा, गांधी मूल्यों और उनके नाम पर बनी संस्थाओं पर हो रहे हमलों के विरुद्ध लोगों को एकजुट होकर आगे आने का आह्वान किया। इस मौके पर सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जे पर चिंता जताई। साथ ही गांधी व विनोबा भावे के विचारों को जनजन तक पहुंचाने पर ज़ोर दिया गया।
सम्मेलन में ट्रस्टी तपेश्वर भाई, वी.अरविंद रेड्डी, आदित्य पटनायक, डॉ.आनंद किशोर और आबा कांबले आनंद किशोर ने कहा कि "बीजेपी सरकार गांधी, विनोबा, जेपी की विरासत तहस-नहस कर रही है।
सन्नाटे में है सर्व सेवा संघ
सर्व सेवा संघ का यह परिसर पुराने जीटी रोड और वरुणा नदी के बीच स्थित है। सर्व सेवा संघ का मुख्यालय सेवाग्राम, वर्धा में है। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद मार्च 1948 में विनोबा के नेतृत्व में सेवाग्राम में हुए एक सम्मेलन में सर्व सेवा संघ की स्थापना की गई थी। फिलहाल राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ में सन्नाटा है। अगर कुछ है तो सिर्फ रेलवे पुलिस के बूटों की धमक, चौबीस घंटे पहरे के बीच फटी हुई किताबों के पन्ने, यहां से हटाए गए परिवारों के घरों के सामने पड़े कूड़े के ढेर, जगह-जगह दरवाजों में पड़े ताले और दीवारों पर लिखी काव्य पंक्तियां।
सर्व सेवा संघ की इस ज़मीन पर का मामला कई अदालतों में लंबित हैं। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) वाराणसी की अदालत में तो सिविल सूट का वाद दाखिल है। सभी पक्षों को अदालत की नोटिस भी सर्व हो चुकी है। सर्व सेवा संघ करीब 12.898 एकड़ ज़मीन में फैला है। आरोप है कि "पिछले 63 सालों में प्रकाशित सर्व सेवा संघ की करोड़ों की किताबें उधिरा रही हैं और लाइब्रेरी में रखी लाखों बहुमूल्य पुस्तकें, ऑफिस के दर्जनों कंम्प्यूटर, सर्वोदय जगत, भूदान यज्ञ आदि पुरानी पत्रिकाओं की सैकड़ों फाइलें, संगठन के दस्तावेज और जरूरी ऑफिशियल रिकॉर्ड लापता है। सरकारी अमला इसे लौटाने के लिए तैयार नहीं है।"
उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज कहते हैं, "हमारे पास इस ज़मीन की रजिस्ट्री के तीनों दस्तावेज मौजूद हैं। विनोबा भावे और जेपी की पहल पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की संस्तुति के बाद रेलवे ने पूरी कीमत लेकर 12.898 एकड़ ज़मीन सर्व सेवा संघ को बेची थी। सर्व सेवा संघ के नाम रजिस्ट्री बाद में हुई, ज़मीनों की कीमत पहले चुकाई गई थी। बनारस का यही इलाका शहर को शहर की सप्लाई करता है। अब यहां तिमंजिला इंटर मॉडल स्टेशन का प्रोजेक्ट बनाने कवायद चल रही है, जो गैरकानूनी है। महात्मा गांधी अपने विरोधियों के लिए सिरदर्द रहे हैं अब उनके नाम, विरासत और विचारों को ख़त्म करने का सुनियोजित प्रयास चल रहा है। वह जीवित थे तब भी और मरने के बाद तो और भी ज़्यादा हैं।"
साभार- न्यूजक्लिक
उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित सर्व सेवा संघ पर 'कब्जे' के खिलाफ आयोजित प्रतिरोध सभा में हजारों लोगों के हुजूम ने डबल इंजन की सरकार के खिलाफ हुंकार भरी। बारिश के बावजूद तमाम किसान, महिलाएं और सर्वोदय से जुड़े लोग कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर जमे रहे। आंदोलन का आगाज संयुक्त किसान मोर्चा ने किया था। इस मौके पर किसान नेता राकेश टिकैत ने अल्टीमेटम देते हुए कहा, "हमने अभी तय नहीं कर रखा है कि किसानों का ट्रैक्टर कहां जाएगा। जरूरत पड़ी तो देश भर के किसान अपना ट्रैक्टर लेकर बनारस कूच करेंगे। बीजेपी ज़मीन लूटने वाली पार्टी है, जिसे अब मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।" प्रतिरोध सभा में एक्टिविस्ट मेधा पाटकर और योगेंद्र यादव ने गांधी विरासत पर हुए कथित कब्जे को देश के ढांचे पर हमला बताया।
बनारस के शास्त्री घाट पर गुरुवार की सुबह से ही देश भर से आए सर्वोदयी गांधीजन, किसान और महिलाएं जुटने लगे थे। जन-प्रतिरोध सभा में बड़ी संख्या में लोकतंत्र सेनानी भी पहुंचे थे, जो आपातकाल के समय जेल गए थे। जन आंदोलनों से जुड़े सामाजिक संघर्ष के अंतरराष्ट्रीय स्तर के चेहरे आज शास्त्री घाट पर अगुवाई करते दिखे। उत्तर प्रदेश के सभी जिलों से सामाजिक कार्यकर्ता आज बनारस पहुंचे थे। सभा स्थल पर लोगों ने मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष तेज़ करने संकल्प लिया। मौके पर मौजूद वक्ताओं ने कहा, "इंदिरा गांधी को तानाशाह नेता कहा जाता था, लेकिन उस समय भी मीडिया का गला नहीं घोंटा गया था। आज की तरह अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पहरे नहीं बैठाए गए थे।"
किसान नेता राकेश टिकैत ने गांधी के समर्थकों, किसानों, महिलाओं, प्रगतिशील लेखकों और पत्रकारों का आह्वान किया कि वे सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आगे आएं। महात्मा गांधी की हत्या के बाद लोकसत्ता और लोक-राजनीति के निर्माण के लिए इस संस्था की स्थापना की गई थी। सर्व सेवा संघ का कहना है कि वह प्रगतिशील, अहिंसक, और लोकतांत्रिक तरीके से गांधी के विचारों को दुनिया भर में फैलाने के लिए मुहिम चला रहा था। यह संस्था पूर्व राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, विनोबा भावे, जगजीवन राम, जयप्रकाश नारायण, लालबहादुर शास्त्री के प्रयासों के बाद बनाई गई थी। सर्व सेवा संघ सिर्फ बापू की धरोहर है। वक्ताओं ने आरोप लगाया कि "जो लोग आज कुर्सी पर बैठे हुए है वो धरोहर और विरासत शब्द का मतलब नहीं जानते।" किसान नेता ने कहा कि "सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आने वाले दिनों में हमें सड़क पर संघर्ष करना होगा। हमारे ट्रैक्टर सिर्फ दिल्ली की ओर जाएंगे, ऐसा अभी तय नहीं किया गया है। जरूरत पड़ी तो ट्रैक्टर बनारस की ओर मोड़ लाएंगे।"
चर्चित एक्टिविस्ट मेधा पाटकर ने जन-प्रतिरोध सभा में मौजूद महिलाओं का आह्वान किया कि वे सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए आगे आएं। उन्होंने कहा, "जब तक महिलाएं मजबूत स्तंभ बनकर सरकार के खिलाफ बिगुल नहीं बजाएंगी, तब तक सरकार की तानाशाही चलती रहेगी। आज देश को गांधी के सत्याग्रह की जरूरत है। बीजेपी और आरएसएस को गांधी के विचारों से ज्यादा खतरा नजर आता है। आरएसएस के लोग इसीलिए गांधी की विरासत को मिटाना चाहते हैं ताकि वो गोडसेवाद का सिक्का चला सकें।"
पाटेकर ने सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा, "अब देश भर में मोदी सरकार के खिलाफ आवाज़ उठनी शुरू हो गई हैं। लोगों को यह पता चल गया है कि यह बापू को मानने वाली सरकार नहीं है। सर्व सेवा संघ की ज़मीन पर कब्जा करके उन्होंने साबित कर दिया है कि उनका मकसद सिर्फ पूंजीवाद को बढ़ावा देना है। ये लोग पूरे देश में एयरपोर्ट और फ्लाईओवर के नाम पर किसानों की ज़मीनों पर कब्जा करने वाले लोग है। ये मजदूर और किसान के विरोधी है। बनारस से मोदी सरकार के खिलाफ छिड़ा संघर्ष देश भर में फैलेगा। मोदी जब भी बाहर जाते है तो गांधी का नाम लेते हैं और बनारस में उनके नाम पर बनी संस्था पर बुलडोज़र चलवा देना चाहते हैं। मैंने कई रेलवे और उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके स्तर का मामला नहीं है। सब कुछ ऊपर से चल रहा है।"
स्वराज इंडिया के योगेंद्र यादव भी जन-प्रतिरोध सभा में पहुंचे थे। उन्होंने कहा, "महिलाओं की भारी भीड़ इस बात की तो तस्दीक कर रही है कि देश अब निजाम बदल देने के लिए तैयार है। मोदी सरकार के खिलाफ बिगुल बज गया है। पिछले दो दिन से संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर की घटना की वजह से लाया गया है। प्रधानमंत्री मणिपुर की घटना पर एक शब्द बोलने के लिए तैयार नहीं है। संसद बहुत बड़ी है, लेकिन संसद से बड़ी सड़क है। बनारस में गांधी की विरासत सर्व सेवा संघ पिछले 70 सालों से मौजूद है। मोदी सरकार गांधीवादियों को खदेड़कर कह रही है कि तुम लोगों ने सात दशक से राजघाट पर जबरिया कब्जा कर रखा है। तुम लोग गैर-कानूनी हो। सवाल ज़मीन का नहीं, गांधी की विरासत का है, जिसे हमें हर हाल में बचाना होगा।"
वरिष्ठ गांधीवादी नेता कुमार प्रशांत ने कहा, "वरुणा नदी के किनारे उमड़े जनसैलाब ने यह साबित कर दिया है कि आम जनता मोदी सरकार से ऊब गई है। आगामी लोकसभा चुनाव में लोग इस सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।"
पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने कहा, "सर्व सेवा संघ पर किए गए कब्जे के विरोध में देश भर में आंदोलन छेड़ा जाएगा। हमारे लिए यह हमला एक बड़ा सबक है। अब हमें गांधी, अंबेडकर, जेपी, लोहिया की विरासत को बचाना होगा। हिंदुस्तान के लोग गांधी, विनोबा और जयप्रकाश नारायण की विरासत पर हमला कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे।"
सर्व सेवा संघ को 'बचाने' के लिए आंदोलन कर रहे गांधीवादी नेता राम धीरज ने कहा, "बीजेपी सरकार ज़मीन अधिग्रहण नहीं कर रही है, बल्कि ज़मीन लूट रही है। सिर्फ सर्व सेवा संघ ही नहीं, रामनगर में फ्रेट विलेज और विश्वनाथ गली में विश्वनाथ कारिडोर के नाम पर जमीनें छीनी जा रही है। मोहनसराय इलाके के बैरवन गांव के किसानों को पर बर्बर तरीके से लाठीचार्ज किया गया। वहां भी किसानों की जमीने छीनी जा रही है। राजघाट पर कई बस्तियों को उजाड़ दिया गया है। आजमगढ़ के खिरियाबाग में किसान लंबे समय से अपनी ज़मीनों को बचाने के लिए धरना दे रहे हैं। वहां एयरपोर्ट के नाम पर ज़मीन को एक बड़े पूंजीपति के हवाले किए जाने की योजना है।"
एक्टिविस्ट रंजू सिंह ने कहा, "कोई भी आंदोलन महिलाओं के बिना अधूरा है। जन-प्रतिरोध सभा मे जुटी इनकी भीड़ यह बता रही है कि हिंदुस्तान का भविष्य कैसा होगा?" जनप्रतिरोध सभा से पहले प्रेरणा कला मंच के रंगकर्मी टीम ने जनवादी गीत गाए। सभा शाम पांच बजे तक चलती रही, जिसमें महिलाओं की बड़ी तादाद थी।
इससे पहले नौ अगस्त अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर पराड़कर भवन में आयोजित सम्मेलन में सर्व सेवा संघ को 'बचाने' पर ज़ोर दिया गया। सम्मेलन में मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त संदीप पांडेय ने कहा, "मौजूदा दौर में गांधी के विचारों की प्रासंगिकता और बढ़ गई है। अब देश की तस्वीर बदलने के लिए राजनीतिक तरीके से लड़ाई लड़नी होगी।"
सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान की अध्यक्ष आशा बोथरा ने कहा, "सर्व सेवा संघ के हक की लड़ाई जारी रहेगी। अब आंदोलन व न्यायालय से सर्व सेवा संघ का हक लेंगे।" इस मौके पर प्रफुल्ल सौमित्र रॉय, गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष कुमार प्रशांत, फैजल खान, डॉ. सुनीलम आदि ने विचार रखे।
आखिर में जानकारी दी गई कि "गांधी की विरासत को बचाने के लिए देश भर के सौ शहरों में सौ गांधी केंद्र खोले जाएंगे। बनारस में जन-जागरुकता अभियान चलाने के लिए सभी सौ वार्डों में गांधी मित्र बनाए जाएंगे। सर्व सेवा संघ को बचाने के लिए देश भर में मोदी सरकार के खिलाफ मुहिम छेड़ी जाएगी। आंदोलन को बल देने के लिए 'इंडिया एलायंस' का सहयोग लिया जाएगा।"
दूसरी तरफ सर्व सेवा संघ से जुड़े एक अन्य गुट ने तेलियाबाग स्थित पटेल धर्मशाला में अगस्त क्रांति दिवस मनाया गया। इस मौके पर सर्व सेवा संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष महादेव विद्रोही ने मणिपुर हिंसा, गांधी मूल्यों और उनके नाम पर बनी संस्थाओं पर हो रहे हमलों के विरुद्ध लोगों को एकजुट होकर आगे आने का आह्वान किया। इस मौके पर सर्व सेवा संघ परिसर पर कब्जे पर चिंता जताई। साथ ही गांधी व विनोबा भावे के विचारों को जनजन तक पहुंचाने पर ज़ोर दिया गया।
सम्मेलन में ट्रस्टी तपेश्वर भाई, वी.अरविंद रेड्डी, आदित्य पटनायक, डॉ.आनंद किशोर और आबा कांबले आनंद किशोर ने कहा कि "बीजेपी सरकार गांधी, विनोबा, जेपी की विरासत तहस-नहस कर रही है।
सन्नाटे में है सर्व सेवा संघ
सर्व सेवा संघ का यह परिसर पुराने जीटी रोड और वरुणा नदी के बीच स्थित है। सर्व सेवा संघ का मुख्यालय सेवाग्राम, वर्धा में है। महात्मा गांधी की मृत्यु के बाद मार्च 1948 में विनोबा के नेतृत्व में सेवाग्राम में हुए एक सम्मेलन में सर्व सेवा संघ की स्थापना की गई थी। फिलहाल राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ में सन्नाटा है। अगर कुछ है तो सिर्फ रेलवे पुलिस के बूटों की धमक, चौबीस घंटे पहरे के बीच फटी हुई किताबों के पन्ने, यहां से हटाए गए परिवारों के घरों के सामने पड़े कूड़े के ढेर, जगह-जगह दरवाजों में पड़े ताले और दीवारों पर लिखी काव्य पंक्तियां।
सर्व सेवा संघ की इस ज़मीन पर का मामला कई अदालतों में लंबित हैं। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) वाराणसी की अदालत में तो सिविल सूट का वाद दाखिल है। सभी पक्षों को अदालत की नोटिस भी सर्व हो चुकी है। सर्व सेवा संघ करीब 12.898 एकड़ ज़मीन में फैला है। आरोप है कि "पिछले 63 सालों में प्रकाशित सर्व सेवा संघ की करोड़ों की किताबें उधिरा रही हैं और लाइब्रेरी में रखी लाखों बहुमूल्य पुस्तकें, ऑफिस के दर्जनों कंम्प्यूटर, सर्वोदय जगत, भूदान यज्ञ आदि पुरानी पत्रिकाओं की सैकड़ों फाइलें, संगठन के दस्तावेज और जरूरी ऑफिशियल रिकॉर्ड लापता है। सरकारी अमला इसे लौटाने के लिए तैयार नहीं है।"
उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष रामधीरज कहते हैं, "हमारे पास इस ज़मीन की रजिस्ट्री के तीनों दस्तावेज मौजूद हैं। विनोबा भावे और जेपी की पहल पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की संस्तुति के बाद रेलवे ने पूरी कीमत लेकर 12.898 एकड़ ज़मीन सर्व सेवा संघ को बेची थी। सर्व सेवा संघ के नाम रजिस्ट्री बाद में हुई, ज़मीनों की कीमत पहले चुकाई गई थी। बनारस का यही इलाका शहर को शहर की सप्लाई करता है। अब यहां तिमंजिला इंटर मॉडल स्टेशन का प्रोजेक्ट बनाने कवायद चल रही है, जो गैरकानूनी है। महात्मा गांधी अपने विरोधियों के लिए सिरदर्द रहे हैं अब उनके नाम, विरासत और विचारों को ख़त्म करने का सुनियोजित प्रयास चल रहा है। वह जीवित थे तब भी और मरने के बाद तो और भी ज़्यादा हैं।"
साभार- न्यूजक्लिक