शर्मनाक! बीजेपी के लिए गांधी जी सिर्फ एक चतुर बनिया

Written by सबरंगइंडिया | Published on: June 10, 2017

पता नहीं, अमित शाह कल को अगर मंत्री बने तो अपने दफ्तर में गांधी जी तस्वीर लगाएंगे या गोलवलकर की हो सकता है कि वह मंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की मूर्तियों पर फूल चढ़ाने से यह कह कर इनकार कर दें कि गांधी राष्ट्रपिता नहीं चतुर बनिया थे

बीजेपी के लिए महात्मा गांधी सिर्फ एक चतुर बनिया थे, जो कांग्रेस की कमजोरियों को अच्छी तरह समझते थे। कांग्रेस कभी भी सिद्धांतों की पार्टी नहीं रही और उसे सिर्फ आजादी हासिल करने के लिए बनाया गया था। छत्तीसगढ़ के रायपुर में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने यही फरमाया है।

विदेश में मौजूद पीएम नरेंद्र मोदी ने पता नहीं गांधी के बारे में बीजेपी अध्यक्ष के इन ‘उद्गारों’ पर क्या राय बनाई होगी। लेकिन दक्षिण अफ्रीका जाकर महात्मा गांधी के आश्रम और उनकी स्मृतियों के दर्शन करने और फिर भारत में गांधी जी की तरह चरखा चलाने का पोज बना कर कैंलेडर छपवाने वाले पीएम की विदेशी  मेजबानों के सामने किरकिरी जरूरी हुई होगी। आखिर सत्ता में बैठी पार्टी बीजेपी के राष्ट्रपिता के बारे में विचार जगजाहिर जो हो गई। गांधी जी के बारे में इन ‘विचारों’ के बाद शायद मोदी जी विदेश जाकर गांधी को भारत के सबसे बड़े आइकन के तौर पर पेश करना बंद कर दें या फिर उनकी मूर्तियों पर फूल चढ़ाना छोड़ दें। गांधी पर अमित शाह के ‘उद्गार’ के बाद उन्हें ऐसा करते हुए शर्म आएगी। 

पूरा देश महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता मानता है। लेकिन बीजेपी के लिए वह सिर्फ एक चतुर बनिया थे, जो कांग्रेस को आजादी के बाद तोड़ देना चाहते थे। शाह की नजर में गांधी के नेतृत्व में जिस कांग्रेस ने आजादी की लड़ाई लड़ी वह सिद्धांतहीन पार्टी थी और अब भी उसकी कोई विचारधारा नहीं है।

दरअसल, मोदी सरकार इस वक्त जिन संकटों से जूझ रही है, उसमें बीजेपी के लिए कांग्रेस और उसकी धरोहरों, स्मृतियों और विरासत पर चोट करना जरूरी है। नोटबंदी, पशु बैन से लेकर किसान आंदोलन पर कांग्रेस काफी मुखर होकर सरकार के विरोध में उतरी है। इसलिए कांग्रेस को सिद्धांतहीन पार्टी बता कर खारिज करना बीजेपी की रणनीति है। कांग्रेस की वापसी का डर उसे सता रहा है। महात्मा गांधी को भी सिर्फ एक चतुर बनिया बता कर खारिज करना इसी रणनीति का हिस्सा है।

पता नहीं, अमित शाह कल को मंत्री बनेंगे तो अपने दफ्तर में गांधी जी तस्वीर लगाएंगे या गोलवलकर की। हो सकता है कि वह मंत्री के तौर पर महात्मा गांधी की मूर्तियों पर फूल चढ़ाने से यह कह कर इनकार कर दें कि गांधी राष्ट्रपिता नहीं चतुर बनिया थे। लिहाजा उन्हें श्रद्धांजलि देने की क्या जरूरत ।

बहरहाल, बीजेपी महात्मा गांधी और कांग्रेस के खिलाफ ज्यादा आक्रामक हो गई है तो इसकी वजह सिर्फ एक है और वह यह कि देश पर मोदी सरकार का नियंत्रण खोता जा रहा है। शाह का बयान देश को असली मुद्दों से भटकाने की कोशिश है।
 

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