नई दिल्ली। शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर मंगलवार को आम सभा को संबोधित करते हुए किसानों ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा किए जा रहे किसान आंदोलन को 100 दिन से ऊपर हो चुके हैं। पूजीपतियों की चौकीदार बनी मोदी सरकार तीनों काले कृषि कानून को वापस करने और समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने को तैयार नहीं है।
किसानों ने कहा कि आजादी के बाद जिस भी पार्टी की सरकार बनी है सभी ने किसानों को लूटने का काम किया और किसानों के साथ धोखा किया है। पहले वाली सरकार भी यदि किसानों के प्रति संवेदनशील होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर देती। मौजूदा सरकार ने भी किसानों के साथ धोखा करते हुए तीन काले कृषि कानून बनाए हैं जो किसानों के ऊपर कुठाराघात हैं। सरकारी तंत्र की बेईमानी के चलते किसान पहले से ही परेशानी में था अब जो नए कानून बनाए गए हैं उससे किसान के सामने उसके जीवन मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है।
देश भर के दुखी किसान दिल्ली की सीमाओं पर बड़ी संख्या में मोर्चा सम्हाले हुए है। जो किसान दूरी और आवागमन की असुविधा के कारण दिल्ली के किसान आंदोलन में नहीं पहुंच पा रहे हैं उन किसानों को दिल्ली के किसान आंदोलन से जोड़ने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा देश के विभिन्न जिलों में किसान पंचायतों का आयोजन किया जा रहा है। छोटे-सीमांत किसान काम-धंधा छोड़कर अपनी बातें कहने दिल्ली बॉर्डर तक नहीं पहुंच सकते, लिहाजा किसान पंचायतों में शामिल होकर अपनी समर्थजाहिर कर रहे हैं। किसान पंचायत के मंच से अपनी बात रखते समय किसान में कितना रोष और गुस्सा है देखने को मिलता है। देश में कई किसान पंचायते की जा चुकी है। किसान पंचायत से किसानों को अपनी बात रखने का मंच मिल रहा है।
शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर जयपुर-दिल्ली हाईवे पर मंगलवार और सोमवार रात भर हुई बारिश ने भारी तबाही मचाई। आंधी की वजह से किसानों के तम्बू गिर गए, बिस्तर भीग गए व रातभर जागकर रात गुजारनी पड़ी। इसके बावजूद किसानों के हौसले बुलंद हैं। किसानों ने आखिरी दम तक डटे रहने का संकल्प लिए किसान कानून वापसी तक यहां से जाने को राजी नहीं हैं।
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किसानों ने कहा कि आजादी के बाद जिस भी पार्टी की सरकार बनी है सभी ने किसानों को लूटने का काम किया और किसानों के साथ धोखा किया है। पहले वाली सरकार भी यदि किसानों के प्रति संवेदनशील होती तो स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट को लागू कर देती। मौजूदा सरकार ने भी किसानों के साथ धोखा करते हुए तीन काले कृषि कानून बनाए हैं जो किसानों के ऊपर कुठाराघात हैं। सरकारी तंत्र की बेईमानी के चलते किसान पहले से ही परेशानी में था अब जो नए कानून बनाए गए हैं उससे किसान के सामने उसके जीवन मरण का प्रश्न खड़ा हो गया है।
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