'जनता हमसे ख़ुश नहीं, गांव में घुसने नहीं देती उनके बीच गए तो पीटे जाएंगे। हेलमेट लोहे के और गारमेंट-अंडरगार्मेंट सब लोहे के पहनने पड़ेंगे'। अविश्वास प्रस्ताव से एक दिन पहले हरियाणा विधानसभा में जेजेपी विधायक की यह पीड़ा आपको भी हैरान कर सकती है। जेजेपी विधायक ने कहा कि लोग इस कदर नाराज हैं कि सीएम व डिप्टी सीएम कोई जनता के बीच नहीं जा सकता है। जेजेपी विधायक का कबूलनामा (दर्द) विधानसभा में फूटा। कहा अब हालात ये हो गए हैं कि हमें (जेजेपी को) गठबंधन से हट जाना चाहिए।
खास बात यह है कि जिस समय जेजेपी विधायक बबली देवेंद्र अपनी पीड़ा बयां कर रहे थे, उस समय स्पीकर के आसन पर नैना चौटाला आसीन थीं। ध्यान रहे नैना चौटाला जननायक जनता पार्टी के संयोजक व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मां हैं।
अब भले मीडिया ने कृषि कानूनों के विरोध में 104 दिन से चल रहे किसानों के आंदोलन को सुर्खियों से हटा दिया हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जमीन पर आंदोलन का असर नहीं हो रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड आदि राज्यों में आंदोलन का असर आम लोगों में साफ देखा-पढ़ा जा सकता है। हरियाणा में तो भाजपा की सहयोगी (जेजेपी) जननायक जनता पार्टी के विधायकों की चिंता बढ़ गई है। उनको गांवों में लोगों ने घुसने से रोकना शुरू कर दिया है और किसान आंदोलन का समर्थन नहीं करने वाले नेताओं का सामाजिक बहिष्कार शुरू हो गया है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के टोहाना से विधायक बबली देवेंद्र ने विधानसभा में कहा कि अब गांवों के लोग उनको फोन करके कहने लगे हैं कि वे गांव में न आएं। उन्होंने कहा कि विधायक के नाते उनकी कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं। उन्हें गांवों में लोगों के पारिवारिक कार्यक्रमों में जाना होता है, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना होता है लेकिन लोग अब गांवों में घुसने से रोकने लगे हैं। विधायक ने भरी विधानसभा में अपनी पार्टी के नेतृत्व के सामने यह दुखड़ा बताया कि किसान आंदोलन का समर्थन नहीं करने की वजह से उन्हें सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ रहा है। तभी कहा जा रहा है कि अगर थोड़े समय और आंदोलन चलता रहा तो हरियाणा में भाजपा की सरकार खतरे में आ सकती है और भाजपा-जजपा का गठबंधन भी खतरे में पड़ सकता है।
जननायक जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक देवेंद्र बबली ने अविश्वास प्रस्ताव पर व्हिप जारी करने को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्होंने तीखे तेवर दिखाते हुए अपनी ही पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री को गठबंधन सरकार से अलग होने की धमकी दे दी। वरिष्ठ विधायक बबली ने कहा कि व्हिप जारी करके विधायकों को जबरन सरकार के पक्ष में मत देने पर जोर दिया रहा है। कहा कि सरकार को किसानों की बात माननी चाहिए।
यही नहीं, विरोध जताने वाले एक अन्य विधायक रामकुमार गौतम ने तीनों कृषि कानूनों को दो-तीन साल के लिए टालने का प्रस्ताव रखा है। इन कानूनों को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद लागू करें। वहीं, बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग ने अपनी ही सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि किसानों के समर्थन में मैं इस्तीफा तक दे सकता हूं।
उधर, विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान करने वाले कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है। अब अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं किया जाएगा, बल्कि सीधे मतदान होगा।
हरियाणा विधानसभा में 90 में से वर्तमान में 88 सदस्य हैं। इनमें भाजपा के 40, जजपा के 10 और कांग्रेस के 30 सदस्य हैं। 7 निर्दलियों में से 5 सरकार के साथ हैं। इसके अलावा एक विधायक हरियाणा लोकहित पार्टी के हैं और वह भी सरकार के साथ हैं। हरियाणा की गठबंधन सरकार का दावा है कि उसके साथ 55 विधायक हैं और उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष व विपक्ष में कुल 45 वोट होने चाहिए और 2 घंटे की चर्चा के बाद जो मतदान होगा और उसकी काउंटिग हेडकाउंट करके की जाएगी।
बीजेपी, जेजेपी व कांग्रेस के व्हिप के बीच, भले गणित खट्टर सरकार के पक्ष में हो लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता है।
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अब भले मीडिया ने कृषि कानूनों के विरोध में 104 दिन से चल रहे किसानों के आंदोलन को सुर्खियों से हटा दिया हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जमीन पर आंदोलन का असर नहीं हो रहा है। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड आदि राज्यों में आंदोलन का असर आम लोगों में साफ देखा-पढ़ा जा सकता है। हरियाणा में तो भाजपा की सहयोगी (जेजेपी) जननायक जनता पार्टी के विधायकों की चिंता बढ़ गई है। उनको गांवों में लोगों ने घुसने से रोकना शुरू कर दिया है और किसान आंदोलन का समर्थन नहीं करने वाले नेताओं का सामाजिक बहिष्कार शुरू हो गया है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के टोहाना से विधायक बबली देवेंद्र ने विधानसभा में कहा कि अब गांवों के लोग उनको फोन करके कहने लगे हैं कि वे गांव में न आएं। उन्होंने कहा कि विधायक के नाते उनकी कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां होती हैं। उन्हें गांवों में लोगों के पारिवारिक कार्यक्रमों में जाना होता है, सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल होना होता है लेकिन लोग अब गांवों में घुसने से रोकने लगे हैं। विधायक ने भरी विधानसभा में अपनी पार्टी के नेतृत्व के सामने यह दुखड़ा बताया कि किसान आंदोलन का समर्थन नहीं करने की वजह से उन्हें सामाजिक बहिष्कार झेलना पड़ रहा है। तभी कहा जा रहा है कि अगर थोड़े समय और आंदोलन चलता रहा तो हरियाणा में भाजपा की सरकार खतरे में आ सकती है और भाजपा-जजपा का गठबंधन भी खतरे में पड़ सकता है।
जननायक जनता पार्टी के वरिष्ठ विधायक देवेंद्र बबली ने अविश्वास प्रस्ताव पर व्हिप जारी करने को लेकर भी सवाल उठाया है। उन्होंने तीखे तेवर दिखाते हुए अपनी ही पार्टी के नेता और उप मुख्यमंत्री को गठबंधन सरकार से अलग होने की धमकी दे दी। वरिष्ठ विधायक बबली ने कहा कि व्हिप जारी करके विधायकों को जबरन सरकार के पक्ष में मत देने पर जोर दिया रहा है। कहा कि सरकार को किसानों की बात माननी चाहिए।
यही नहीं, विरोध जताने वाले एक अन्य विधायक रामकुमार गौतम ने तीनों कृषि कानूनों को दो-तीन साल के लिए टालने का प्रस्ताव रखा है। इन कानूनों को वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद लागू करें। वहीं, बरवाला से विधायक जोगीराम सिहाग ने अपनी ही सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बनाने का सुझाव दिया है। उन्होंने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए कहा कि किसानों के समर्थन में मैं इस्तीफा तक दे सकता हूं।
उधर, विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान करने वाले कांग्रेस नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि हरियाणा सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है। अब अविश्वास प्रस्ताव पेश नहीं किया जाएगा, बल्कि सीधे मतदान होगा।
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