टिकैत बोले- अभी तो कृषि कानूनों की बात है, नौजवानों ने गद्दी वापसी की मांग कर दी तो क्या करोगे मोदी जी?

Written by Navnish Kumar | Published on: February 4, 2021
नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों के आंदोलन ने एक बार फिर सरकार को बैकफुट पर धकेल दिया है। जींद में कंडेला खाप की महापंचायत में जुटे हजारों किसानों की भीड़ ने साफ संकेत दे दिया है कि कानूनी वापसी के बाद ही बात बनेगी। इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने भी जमकर हुंकार भरी। मोदी सरकार को चेताते हुए दो टूक कहा कि अभी तो कृषि बिलों (कानूनों) की वापसी की बात है, अगर नौजवानों ने गद्दी वापसी की बात कर दी तो फिर क्या करोगे?



यही नहीं, राकेश टिकैत ने कंटीले तारों और नुकीली कीलों वाली घेरेबंदी पर भी मोदी सरकार को चेताया। नारा लगाया कि जब-जब राजा डरता है, तब-तब किलेबंदी करता है। इसके साथ लोगों ने भी नारे को दोहराते हुए, टिकैत के सुर में सुर मिलाया। 

हरियाणा के जींद जिले में हजारों किसानों की भारी भीड़ की मौजूदगी के बीच किसान महापंचायत ने बुधवार को सर्वसम्मति से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया। बीकेयू नेता राकेश टिकैत ने घोषणा की कि ‘अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो, वे अखिल भारतीय स्तर पर ‘महापंचायत’ आयोजित करेंगे।’

किसानों के आंदोलन के लिए समर्थन इकट्ठा करने और तेजी लाने के लिए, टिकैत कंडेला गांव पहुंचे थे, जहां उन्होंने ‘महापंचायत’ को संबोधित किया। लोगों ने यहां उनका भव्य स्वागत किया।

टिकैत के साथ किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल व भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी थे। ‘महापंचायत’ के आयोजक कंडेला ‘खाप’ के अध्यक्ष टेक राम ने कहा, “कृषि कानूनों को रद्द करने के अलावा, प्रस्ताव में मांग की गई है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसानों को उनकी फसलों के लिए एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिले और गणतंत्र दिवस हिंसा के लिए किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लिए जाएं।

टेक राम ने कहा, “उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में आयोजित महापंचायत के कुछ दिनों बाद राज्य भर के कम से कम 50 ‘खापों’ या राज्य की सामुदायिक अदालतों के प्रतिनिधियों ने अन्य ‘महापंचायत’ में भाग लिया।

सभा को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, “अगर किसानों की मांगों को केंद्र स्वीकार नहीं करती है, तो वे राष्ट्रीय स्तर पर ‘महापंचायत’ करेंगे। उन्होंने कहा, “जब शासक डरता है, तो वह किलेबंदी करता है। उन्होंने कहा कि आंदोलन को गति देने के लिए 10 फरवरी तक हरियाणा के गांव-गांव तक अभियान चलाया जाएगा।

‘महापंचायत’ में भाग लेने से एक दिन पहले टिकैत ने कहा था कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान सरकार की बात नहीं मानेंगे तो 40 लाख ट्रैक्टरों के साथ अखिल भारतीय ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। 

महापंचायत के दौरान मंच पर भी भारी भीड़ जुट गई जिससे मंच ही टूट गया। हालांकि किसी को कोई चोट आदि नहीं आईं। मंच टूटने पर राकेश टिकैत ने कहा कि “पंचायत में मंच टूट गया, अच्छा हुआ, भाग्यवान लोगों के मंच टूटते हैं...  

उल्लेखनीय है कि कंडेला खाप प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सबसे चर्चित खाप रही है। कंडेला खाप अपने कड़े फैसलों के लिए जानी जाती रही है। वर्ष 2002 में बिजली बिलों को लेकर आंदोलन चला था और उसका केंद्र बिंदु कंडेला ही रहा था। लंबे समय तक चला यह आंदोलन काफी चर्चित रहा था। इसमें किसानों ने कई अधिकारियों को बंधक भी बना लिया था और करीब दो माह तक जींद-चंडीगढ़ मार्ग जाम रखा था। किसानों की अनेक बार पुलिस से झड़प हुईं और बाद में हुई गोलीबारी में नौ किसानों की मौत हो गई थी और काफी किसान घायल हो गए थे। उस समय प्रदेश में ओम प्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री थे। 

चौटाला 2005 तक मुख्यमंत्री रहे और वह उस समय तक कभी भी इस मार्ग से नहीं आए। करीब 16 साल बाद 2018 में कंडेला में ओम प्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला को आने दिया था। 

गत 26 जनवरी को दिल्ली के लाल किले पर किसान यूनियन और सिखों के प्रतीक का झंडा लगाने पर विफल होते, किसान आंदोलन को पुनर्जीवित करने में भी कंडेला गांव ने, रात में ही जींद-चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग जाम कर, आंदोलन दोबारा खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई थी। उसके बाद ही प्रदेश के लगभग सभी जगहों पर खाप पंचायतों ने दिल्ली जाने का फैसला किया और हरियाणा से बहुत लोग दिल्ली भी पहुंचे।

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