लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार और आशीष मिश्रा को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने मिश्रा से पूछा है कि क्यों न आपकी जमानत रद्द कर दी जाये?
कोर्ट ने इसके साथ ही यूपी सरकार को सभी गवाहों को सुरक्षा देने के आदेश दिए है। कांड के गवाहों पर हमले पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और यूपी सरकार से गवाह संबंधी सारी जानकारियां मांगी हैं। अब मामले की सुनवाई 24 मार्च को होगी। सीजेआई एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
दरअसल, घटना के पीड़ित किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत को गवाह पर हमले और बीजेपी की जीत पर धमकी देने की जानकारी दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसानों की तरकफ से प्रशांत भूषण ने दलील दी कि आशीष मिश्रा की जमानत होने के बाद एक अहम गवाह पर हमला किया गया। जिन्होंने हमला किया, उन्होंने ये धमकी दी कि अब बीजेपी चुनाव जीत गई है, तो तुम्हारा ध्यान रखेंगे। इस दलील के बाद सीजेआई एनवी रमना ने कहा था कि हम उचित बेंच का गठन करेंगे और आज सुनवाई करने की तारीख तय की थी।
गौरलतब है कि किसानों को अपनी जीप से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा, जो केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे हैं, को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले महीने जमानत दे दी थी। काफी मशक्कत और सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था।
मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
आशीष मिश्रा की कार ने कथित रूप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया था। उस वक्त आशीष मिश्रा भी उसी वाहन में था। इससे चार किसानों और एक पत्रकार समेत अन्य की मौके पर ही मौत हो गई। कुछ समय तक गिरफ्तारी को चकमा देने के बाद मिश्रा ने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन जल्दी ही जमानत के लिए आवेदन किया। जब निचली अदालतों द्वारा इसे बार-बार खारिज किया गया, तो मिश्रा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया।
10 फरवरी को जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव शुरू हुआ, संयोग से कई किसान बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के चरण के साथ एचसी ने मिश्रा को जमानत दे दी। यह खबर मिलते ही किसान नेताओं ने रोष व्यक्त किया, जबकि 3 अक्टूबर, 2021 की घटना के बचे लोगों ने अपने जीवन के लिए भय व्यक्त किया।
और उनका डर निराधार नहीं था, यह देखते हुए कि आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के कुछ ही समय बाद, उनके समर्थकों की दण्ड से मुक्ति तेजी से स्पष्ट हो गई।
जमानत आदेश के खिलाफ याचिका
पीड़ितों और चश्मदीदों के परिवारों ने 21 फरवरी, 2022 को एचसी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की। अपनी याचिका में, उन्होंने कहा, "उच्च न्यायालय के आदेश में किसी भी चर्चा की कमी के लिए स्थापित सिद्धांतों के संबंध में जमानत का अनुदान राज्य द्वारा इस आशय के किसी भी ठोस सबमिशन की कमी के कारण है क्योंकि आरोपी का राज्य सरकार पर काफी प्रभाव है क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं जो राज्य पर शासन करता है।”
पीड़ित परिवार के वकील प्रशांत भूषण ने 15 मार्च को सीजेआई एनवी रमना के नेतृत्व वाली एससी बेंच को बताया, “गवाह पर बेरहमी से हमला किया गया था। अन्य सह-आरोपी आदेश के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट को उनके द्वारा दिए गए एक चौंकाने वाले बयान के बारे में भी बताया, "वे अब कह रहे हैं कि बीजेपी चुनाव जीत गई है, आप देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।"
CJI एनवी रमना ने कहा, “हम एक बेंच का गठन कर रहे हैं। इसे कल सूचीबद्ध किया जाएगा। इसे एक उपयुक्त बेंच के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।”
आशीष मिश्रा का कमजोर बचाव
आशीष मिश्रा के कानूनी प्रतिनिधि ने उनकी जमानत पर सुनवाई के समय तर्क दिया कि वह उस समय मौजूद नहीं थे जब हत्याएं हुई थीं, बल्कि चार किलोमीटर दूर दंगल समारोह में भाग ले रहे थे। वरिष्ठ वकील जीडी चतुर्वेदी ने कहा था कि भले ही यह गलत साबित हुआ, शिकायतकर्ता जगजीत सिंह ने कहा कि आशीष ड्राइवर के पास बैठा था।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करता हो कि आशीष ने ड्राइवर को किसानों को कुचलने का आदेश दिया था। चतुर्वेदी ने कहा कि भले ही हत्या एक जानबूझकर की गई कार्रवाई साबित हुई हो, इसे आशीष से नहीं जोड़ा जा सकता है। शिकायतकर्ता के इस सवाल के बावजूद कि एक ड्राइवर अपने नियोक्ता के आदेशों की अवहेलना कैसे कर सकता है -जो एक प्रभावशाली मंत्री का बेटा है- अदालत ने अंततः आशीष की जमानत की अनुमति दे दी।
Related:
कोर्ट ने इसके साथ ही यूपी सरकार को सभी गवाहों को सुरक्षा देने के आदेश दिए है। कांड के गवाहों पर हमले पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है और यूपी सरकार से गवाह संबंधी सारी जानकारियां मांगी हैं। अब मामले की सुनवाई 24 मार्च को होगी। सीजेआई एन वी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने मामले की सुनवाई की।
दरअसल, घटना के पीड़ित किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ताओं ने अदालत को गवाह पर हमले और बीजेपी की जीत पर धमकी देने की जानकारी दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसानों की तरकफ से प्रशांत भूषण ने दलील दी कि आशीष मिश्रा की जमानत होने के बाद एक अहम गवाह पर हमला किया गया। जिन्होंने हमला किया, उन्होंने ये धमकी दी कि अब बीजेपी चुनाव जीत गई है, तो तुम्हारा ध्यान रखेंगे। इस दलील के बाद सीजेआई एनवी रमना ने कहा था कि हम उचित बेंच का गठन करेंगे और आज सुनवाई करने की तारीख तय की थी।
गौरलतब है कि किसानों को अपनी जीप से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा, जो केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे हैं, को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पिछले महीने जमानत दे दी थी। काफी मशक्कत और सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद आशीष मिश्रा को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गिरफ्तार किया गया था।
मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि
आशीष मिश्रा की कार ने कथित रूप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया था। उस वक्त आशीष मिश्रा भी उसी वाहन में था। इससे चार किसानों और एक पत्रकार समेत अन्य की मौके पर ही मौत हो गई। कुछ समय तक गिरफ्तारी को चकमा देने के बाद मिश्रा ने आत्मसमर्पण कर दिया, लेकिन जल्दी ही जमानत के लिए आवेदन किया। जब निचली अदालतों द्वारा इसे बार-बार खारिज किया गया, तो मिश्रा ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया।
10 फरवरी को जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव शुरू हुआ, संयोग से कई किसान बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान के चरण के साथ एचसी ने मिश्रा को जमानत दे दी। यह खबर मिलते ही किसान नेताओं ने रोष व्यक्त किया, जबकि 3 अक्टूबर, 2021 की घटना के बचे लोगों ने अपने जीवन के लिए भय व्यक्त किया।
और उनका डर निराधार नहीं था, यह देखते हुए कि आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के कुछ ही समय बाद, उनके समर्थकों की दण्ड से मुक्ति तेजी से स्पष्ट हो गई।
जमानत आदेश के खिलाफ याचिका
पीड़ितों और चश्मदीदों के परिवारों ने 21 फरवरी, 2022 को एचसी के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की। अपनी याचिका में, उन्होंने कहा, "उच्च न्यायालय के आदेश में किसी भी चर्चा की कमी के लिए स्थापित सिद्धांतों के संबंध में जमानत का अनुदान राज्य द्वारा इस आशय के किसी भी ठोस सबमिशन की कमी के कारण है क्योंकि आरोपी का राज्य सरकार पर काफी प्रभाव है क्योंकि उसके पिता उसी राजनीतिक दल से केंद्रीय मंत्री हैं जो राज्य पर शासन करता है।”
पीड़ित परिवार के वकील प्रशांत भूषण ने 15 मार्च को सीजेआई एनवी रमना के नेतृत्व वाली एससी बेंच को बताया, “गवाह पर बेरहमी से हमला किया गया था। अन्य सह-आरोपी आदेश के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट को उनके द्वारा दिए गए एक चौंकाने वाले बयान के बारे में भी बताया, "वे अब कह रहे हैं कि बीजेपी चुनाव जीत गई है, आप देखेंगे कि हम क्या कर सकते हैं।"
CJI एनवी रमना ने कहा, “हम एक बेंच का गठन कर रहे हैं। इसे कल सूचीबद्ध किया जाएगा। इसे एक उपयुक्त बेंच के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।”
आशीष मिश्रा का कमजोर बचाव
आशीष मिश्रा के कानूनी प्रतिनिधि ने उनकी जमानत पर सुनवाई के समय तर्क दिया कि वह उस समय मौजूद नहीं थे जब हत्याएं हुई थीं, बल्कि चार किलोमीटर दूर दंगल समारोह में भाग ले रहे थे। वरिष्ठ वकील जीडी चतुर्वेदी ने कहा था कि भले ही यह गलत साबित हुआ, शिकायतकर्ता जगजीत सिंह ने कहा कि आशीष ड्राइवर के पास बैठा था।
इसके अलावा, उन्होंने कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो यह साबित करता हो कि आशीष ने ड्राइवर को किसानों को कुचलने का आदेश दिया था। चतुर्वेदी ने कहा कि भले ही हत्या एक जानबूझकर की गई कार्रवाई साबित हुई हो, इसे आशीष से नहीं जोड़ा जा सकता है। शिकायतकर्ता के इस सवाल के बावजूद कि एक ड्राइवर अपने नियोक्ता के आदेशों की अवहेलना कैसे कर सकता है -जो एक प्रभावशाली मंत्री का बेटा है- अदालत ने अंततः आशीष की जमानत की अनुमति दे दी।
Related: