कश्मीर फाइल्स की तरह किसानों को कुचले जाने की घटना पर लखीमपुर फाइल्स बने: अखिलेश यादव

Written by Navnish Kumar | Published on: March 16, 2022
अगर "द कश्मीर फाइल्स" फ़िल्म बन सकती है तो लखीमपुर में जीप से कुचलने वाली घटना को लेकर 'लखीमपुर फाइल्स' क्यों नहीं बन सकती है? बनाई जानी चाहिए। उप्र में विधानसभा चुनाव 2022 में हार के बाद पहली बार मीडिया से मुखातिब हुए, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ये बातें कही। अखिलेश यादव ने कहा, 'अगर कश्मीर पर कश्मीर फाइल्स बन रही है तो लखीमपुर हिंसा पर भी लखीमपुर फाइल्स बननी चाहिए। लखीमपुर में किसानों को जीप से कुचल दिया गया था। समय आए और इस हिंसा पर भी फिल्म बने।



दरअसल ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को लेकर शुरू हुआ सियासी विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर भी अलग अलग टिप्पणी आ रही हैं। कोई समर्थन में बोल रहा है तो कुछ लोग इसे प्रोपेगेंडा करार दे रहे हैं। सपा प्रमुख व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया की बाढ़ सी आ गई है। राजू नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया कि अपना वोट बैंक संभालने के लिए नेता किसी भी हद तक जा सकते हैं। सूर्या ने कमेंट किया कि 'द कश्मीर फाइल्स' ने दुखती रग पर हाथ रख दिया है। प्रभात चौधरी ने हंसने वाली इमोजी के साथ कमेंट किया कि मेरे हिसाब से तो सफाई फाइल्स भी बनी चाहिए। कंगना नाम के टि्वटर हैंडल से लिखा गया कि, ‘ चिंता मत करिए अखिलेश यादव। जल्दी ही मुजफ्फरनगर फाइल्स भी प्रदेश के सामने रखी जाएगी। 

मनीष पांडे नाम के एक यूजर लिखते हैं कि अखिलेश यादव कह रहे हैं कि लखीमपुर फाइल्स बननी चाहिए, मेरे हिसाब से अयोध्या फाइल्स भी बननी चाहिए। रतन वर्मा नाम की ट्विटर यूजर कमेंट करते हैं कि अगर किसी को बनाना ही है तो स्टूडेंट फाइल्स बनाओ। लाखों की तादाद में छात्रों को साल दर साल निराश होना पड़ रहा है जिसका कारण सिर्फ और सिर्फ असंवेदनशील सरकार है।

बता दें कि पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर में जीप से कुचलने की घटना के कारण चार किसानों व एक पत्रकार सहित 8 लोगों की मौत हो गई थी। आरोप लगे हैं कि जीप गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा चला रहे थे। घटना के कुछ दिन बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। करीब 4 महीने जेल में रहने के बाद 10 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से उन्हें जमानत मिली।
 
उत्तर प्रदेश चुनाव में हार के सवाल पर अखिलेश यादव ने कहा कि सपा की चुनाव में नैतिक जीत हुई है। चुनाव बाद अपनी पार्टी की स्थिति पर अखिलेश ने कहा कि बुनियादी मुद्दे आज भी भारतीय जनता पार्टी के सामने खड़े हैं, सपा बढ़ी है और भाजपा घटी है। यही नहीं, भाजपा को बुनियादी मुद्दों जैसे महंगाई, बेरोजगारी और यूपी के विकास पर जवाब देना ही होगा।'

दूसरी ओर, बुधवार को लखीमपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत के खिलाफ याचिका पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे एवं लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को उप्र सरकार को अपना रुख स्पष्ट करने का निर्देश दिया। साथ ही प्रधान न्यायाधीश एनवी रमन्ना, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।

इससे पहले, किसानों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने 12 मार्च को एक प्रमुख गवाह पर हुए हमले का जिक्र किया था। किसान जगजीत सिंह, पवन कश्यप और सुखविंदर सिंह के वकील दवे और प्रशांत भूषण हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा 10 फरवरी को आशीष मिश्रा को दी गई जमानत को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। दवे ने कहा, ‘हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने जमानत प्रदान करने वाले सिद्धांतों पर एकदम गलत रुख अपनाया, वह भी तब जब निचली अदालत ने एक बहुत ही तर्कसंगत आदेश में जमानत देने से इनकार कर दिया था।’

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस तथ्य पर भी गौर नहीं किया कि शीर्ष अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इस पर स्वत: संज्ञान लिया था और एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसने गहन जांच के बाद एक विस्तृत आरोप पत्र दाखिल किया था। दवे ने कहा, ‘आरोपी को कटघरे में लाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, लेकिन हाईकोर्ट ने प्राथमिकी का हवाला दिया। कहा कि प्राथमिकी में दर्ज कथित गोली लगने की बात की पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में नहीं हुई है और इसलिए उसे रिहा किया जाना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि प्राथमिकी ‘महत्वपूर्ण’ नहीं है बल्कि जांच महत्वपूर्ण है। इस पर तत्काल कोई कदम उठाने की आवश्यकता है, क्योंकि अन्य आरोपी भी इसी आदेश के आधार पर जमानत की मांग कर रहे हैं। खास है कि सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा था कि वह आशीष मिश्रा को जमानत दिए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए एक पीठ का गठन करेगा।

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