नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और असम की सरकारों से पासपोर्ट नियमों और विदेश नियमों से संबंधित दो अधिसूचनाओं पर जवाब मांगा है, जो पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना करने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत में रहने के लिए अनुमति देते हैं, (मुस्लिमों को छोड़कर) भले ही वे वैध दस्तावेजों के बिना दर्ज किए गए हों।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने ‘असम राज्य जमीयत उलेमा ए हिंद’ की तरफ से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और इस याचिका को इसी तरह के अन्य लंबित याचिका के साथ टैग करने के आदेश दिए जो ‘‘नागरिकता संशोधन विरोधी मोर्चा’’ ने दायर किया है। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए। इसे रिट याचिका से टैग किया जाए...।’’
उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन विरोधी मोर्चा की तरफ से दायर याचिका पर 27 फरवरी को नोटिस जारी किया था। याचिका में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियमों, 2015 और विदेशी (संशोधन) आदेश को ‘‘भेदभावपूर्ण, स्वेच्छाचारी और अवैध’’ घोषित करने की मांग की गई थी।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने याचिका को लंबित रखते हुए कहा था कि इस पर तभी सुनवाई होगी जब ‘‘नागरिकता अधिनियम संशोधन विधेयक इसके पास अंतिम रूप में पहुंचेगा, जो कि राज्यसभा में लंबित है।’’ विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और अब इसे संसद के ऊपरी सदन में पेश किया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने ‘असम राज्य जमीयत उलेमा ए हिंद’ की तरफ से दायर याचिका पर नोटिस जारी किया और इस याचिका को इसी तरह के अन्य लंबित याचिका के साथ टैग करने के आदेश दिए जो ‘‘नागरिकता संशोधन विरोधी मोर्चा’’ ने दायर किया है। पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस जारी किया जाए। इसे रिट याचिका से टैग किया जाए...।’’
उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता संशोधन विरोधी मोर्चा की तरफ से दायर याचिका पर 27 फरवरी को नोटिस जारी किया था। याचिका में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) संशोधन नियमों, 2015 और विदेशी (संशोधन) आदेश को ‘‘भेदभावपूर्ण, स्वेच्छाचारी और अवैध’’ घोषित करने की मांग की गई थी।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने याचिका को लंबित रखते हुए कहा था कि इस पर तभी सुनवाई होगी जब ‘‘नागरिकता अधिनियम संशोधन विधेयक इसके पास अंतिम रूप में पहुंचेगा, जो कि राज्यसभा में लंबित है।’’ विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है और अब इसे संसद के ऊपरी सदन में पेश किया जाएगा।