नई दिल्ली। कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित खेड़ा बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन में किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। राजस्थान के नागौर से सांसद हनुमान बेनीवाल सैकड़ों किसानों के साथ 26 दिसंबर को दिल्ली कूच करने की घोषणा के बाद जिला प्रशासन चौकन्ना हो गया है। बॉर्डर पर पहले से ज्यादा फोर्स बढ़ाई जा रही है।
वहीं दूसरी तरफ आठ दिन से बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों ने 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का ताली और थाली बजाकर विरोध करेंगे। वहीं सोमवार से क्रमिक अनशन भी शुरू हो चुका है। हर दिन 11 किसान धरना स्थल पर ही अनशन पर बैठेंगे। वहीं बाकी आंदोलनकारी हर दिन एक समय का ही भोजन करेंगे। वहीं हाईवे पर ही बनीपुर चौक पर दिए जा रहे धरना स्थल पर भी सोमवार को क्रमिक अनशन रखा गया है। क्रमिक अनशन पर बैठने वालों में मंगल सिंह यादव सीकर, कालू थोरी श्रीगंगानगर, रामेश्वर बगड़िया सीकर, मोती लाल शर्मा नागौर, भगत सिंह चूरू, भीम सिंह मित्तड हनुमानगढ़, भगवानाराम जाखड़ चूरू, दयाभाई गजरा गुजरात, बलविंदर सिंह श्रीगंगानगर, बेगाराम प्रजापति चूरू शामिल थे।
खेड़ा बार्डर पर किसान नेता राजेंद्र साहू, डॉ. माधव, राजू कोटा, पेमाराम ने जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर रोजाना की तरह प्रेसवार्ता कर कहा कि केन्द्र सरकार जिद छोड़कर किसानों की मांग को माने। किसान भीख नहीं, बल्कि अपना हक मांग रहे है। सरकार किसानों पर जबरन काले कानून थोपना बंद करें। उन्होंने कहा कि 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के दिन आंदोलनकारी किसान धरना स्थल पर ही ताली और थाली बजाकर विरोध करेंगे। इसके साथ ही क्रमिक अनशन पर हर दिन 11 किसान बैठेंगे। साथ ही बाकी आंदोलनकारी किसान दिन में एक समय का भोजन नहीं करेगा।
यहां उपस्थित किसान नेताओं ने बताया कि दिल्ली में चल रहे धरने में शहीद हुए 40 किसानों की श्रद्धांजलि सभा रविवार को देश भर में मनाई गयी। 22 राज्यों में, 90 हजार विरोध सभाओं में, 50 लाख से ज्यादा लोगों ने इनमें भाग लिया।
किसान नेताओं ने खेती में विदेशी व कारपोरेट निवेश का पिछलग्गू बताते हुए मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि 70 करोड़ लोग खेती पर जिंदा रहते हैं। इन कानूनों से उनकी जीविका दांव पर लग गयी है। खेती के 3 कानून खेती के बाजार से सरकारी नियंत्रण हटा देंगे, कम्पनियों व बड़े व्यवसायियों द्वारा खाने का मुक्त भण्डारण शुरू करा देंगे और किसानों को उनके साथ अनुबंध में फंसा देंगे। इससे किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा और गरीबों की कमजोर खाद्यान्न सुरक्षा और कमजोर हो जाएगी।
किसान आंदोलन को ओर तेज करने की घोषणा करते हुए किसान नेताओं ने ऐलान किया कि-
- 23- दिसंबर को आंदोलित किसानों ने एक वक्त का भोजन त्याग करने की घोषणा की है। साथ ही देशवासियों से अपील की है कि वे भी किसानों के समर्थन में 23 तारीख को एक वक्त का अन्न त्याग करें।
- 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ शुरू करें, सभी देशवासी अपने-अपने घरों में थाली बजाना शुरू करें, जब तक वे बोलते रहें तब तक थाली बजाते रहें।
- 25-27 दिसंबर को किसान अपने-अपने क्षेत्रों में सभी वाहनों के लिए टोल फ्री करेंगे।
वहीं दूसरी तरफ आठ दिन से बॉर्डर पर धरने पर बैठे किसानों ने 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम का ताली और थाली बजाकर विरोध करेंगे। वहीं सोमवार से क्रमिक अनशन भी शुरू हो चुका है। हर दिन 11 किसान धरना स्थल पर ही अनशन पर बैठेंगे। वहीं बाकी आंदोलनकारी हर दिन एक समय का ही भोजन करेंगे। वहीं हाईवे पर ही बनीपुर चौक पर दिए जा रहे धरना स्थल पर भी सोमवार को क्रमिक अनशन रखा गया है। क्रमिक अनशन पर बैठने वालों में मंगल सिंह यादव सीकर, कालू थोरी श्रीगंगानगर, रामेश्वर बगड़िया सीकर, मोती लाल शर्मा नागौर, भगत सिंह चूरू, भीम सिंह मित्तड हनुमानगढ़, भगवानाराम जाखड़ चूरू, दयाभाई गजरा गुजरात, बलविंदर सिंह श्रीगंगानगर, बेगाराम प्रजापति चूरू शामिल थे।
खेड़ा बार्डर पर किसान नेता राजेंद्र साहू, डॉ. माधव, राजू कोटा, पेमाराम ने जयसिंहपुर खेड़ा बॉर्डर पर रोजाना की तरह प्रेसवार्ता कर कहा कि केन्द्र सरकार जिद छोड़कर किसानों की मांग को माने। किसान भीख नहीं, बल्कि अपना हक मांग रहे है। सरकार किसानों पर जबरन काले कानून थोपना बंद करें। उन्होंने कहा कि 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री के मन की बात कार्यक्रम के दिन आंदोलनकारी किसान धरना स्थल पर ही ताली और थाली बजाकर विरोध करेंगे। इसके साथ ही क्रमिक अनशन पर हर दिन 11 किसान बैठेंगे। साथ ही बाकी आंदोलनकारी किसान दिन में एक समय का भोजन नहीं करेगा।
यहां उपस्थित किसान नेताओं ने बताया कि दिल्ली में चल रहे धरने में शहीद हुए 40 किसानों की श्रद्धांजलि सभा रविवार को देश भर में मनाई गयी। 22 राज्यों में, 90 हजार विरोध सभाओं में, 50 लाख से ज्यादा लोगों ने इनमें भाग लिया।
किसान नेताओं ने खेती में विदेशी व कारपोरेट निवेश का पिछलग्गू बताते हुए मोदी सरकार की आलोचना की और कहा कि 70 करोड़ लोग खेती पर जिंदा रहते हैं। इन कानूनों से उनकी जीविका दांव पर लग गयी है। खेती के 3 कानून खेती के बाजार से सरकारी नियंत्रण हटा देंगे, कम्पनियों व बड़े व्यवसायियों द्वारा खाने का मुक्त भण्डारण शुरू करा देंगे और किसानों को उनके साथ अनुबंध में फंसा देंगे। इससे किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ेगा और गरीबों की कमजोर खाद्यान्न सुरक्षा और कमजोर हो जाएगी।
किसान आंदोलन को ओर तेज करने की घोषणा करते हुए किसान नेताओं ने ऐलान किया कि-
- 23- दिसंबर को आंदोलित किसानों ने एक वक्त का भोजन त्याग करने की घोषणा की है। साथ ही देशवासियों से अपील की है कि वे भी किसानों के समर्थन में 23 तारीख को एक वक्त का अन्न त्याग करें।
- 27 दिसंबर को जब प्रधानमंत्री मोदी ‘मन की बात’ शुरू करें, सभी देशवासी अपने-अपने घरों में थाली बजाना शुरू करें, जब तक वे बोलते रहें तब तक थाली बजाते रहें।
- 25-27 दिसंबर को किसान अपने-अपने क्षेत्रों में सभी वाहनों के लिए टोल फ्री करेंगे।