हमने दूध के दाम बढ़ाने का आह्वान नहीं किया, सोशल मीडिया पर चल रही अफवाह- संयुक्त किसान मोर्चा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 1, 2021
नई दिल्ली। केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। इस बीच, संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उसने किसानों से एक से पांच मार्च के बीच दूध नहीं बेचने और दाम बढ़ाने जैसा कोई आह्वान नहीं किया है।



जारी बयान में संयुक्त किसान मोर्चा ने रविवार को कहा कि उनकी तरफ से दूध न बेचने या 100 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से इसकी कीमत बढ़ाने का कोई आह्वान नहीं किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि उनके नाम पर सोशल मीडिया पर गलत वीडियो, मैसेज वायरल हो रहा है जिसमें दूध का दाम बढ़ाने की बात कही गई है।

किसानों ने लोगों से आग्रह किया है कि सोशल मीडिया पर संयुक्त किसान मोर्चा के नाम पर वायरल हो रहे ऐसे मैसेज और वीडियो की अनदेखी करें। किसान मोर्चा की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर मोर्चा के नाम से एक मैसेज वायरल हो रहा है जिसके जवाब में यह स्पष्टीकरण दिया गया है। किसान मोर्चा ने कहा कि किसानों को ऐसी अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए।    
असल में, सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा था जिसमें कहा जा रहा था कि जब पेट्रोल के दाम 100 रुपये लीटर पहुंच सकते हैं तो दूध के दाम 100 रुपये लीटर क्यों नहीं हो सकता? मैसेज में दावा किया गया था कि कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने दूध के दाम को बढ़ाने का फैसला किया है। फिलहाल, संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर वायरल मैसेज को महज अफवाह करार दिया है।

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य दर्शनपाल ने कहा कि सोशल मीडिया से उनको पता चला है कि एक से पांच मार्च तक दूध को गांव में रखने के लिए कहा गया है। कहा जा रहा है कि दूध को शहर में नहीं भेजना है। इसके अलावा 6 मार्च से दूध को 100 रुपये में बेचने की बात कही जा रही है। दर्शनपाल ने कहा कि इससे संयुक्त किसान मोर्चा का कोई मतलब नहीं है।  

भाकियू अंबाला के उपप्रधान गुलाब सिंह ने शंभू बार्डर से एलान किया है कि अंबाला का कोई भी किसान दूध के दाम नहीं बढ़ाएगा। गुलाब सिंह ने कहा कि किसानों से दूध कोई 50 रुपये मूल्य पर भी नहीं लेता है। ऐसे में अगर किसानों ने दूध के दाम को बढ़ा दिया तो उससे न केवल किसानों को बल्कि जनता को भी नुकसान होगा। इससे किसानों को लेकर गलत छवि बन जाएगी। अगर किसान मोर्चा की ओर से बाद में आदेश जारी होते हैं तो उसके बाद आगे का निर्णय लिया जाएगा।

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