चीन से निपटना, चुनाव पर निशाना और हवा हवाई

Written by Sanjay Kumar Singh | Published on: July 1, 2020
यह समझना मुश्किल नहीं है कि मंगलवार, 30 जून 2020 (30+06+20+20=76→13 → 4) को चार बजे 16 मिनट का भाषण, चीन के लिए नहीं, बिहार चुनाव के लिए था। 80 करोड़ (यह 80 करोड़ ही क्यों, मैं नहीं जानता) लोगों के लिए नवंबर अंत तक यानी छठ के बाद तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जारी रखने की घोषणा का एक मतलब यह भी है। वरना इसे साल के अंत तक या अक्तूबर के अंत तक या चार महीने के लिए भी रखा जा सकता था। आज लगभग सभी अखबारों में यह खबर पहले पन्ने पर है। बिहार चुनाव के लिए एक लाख 25 हजार करोड़ के पैकेज की पिछली घोषणा याद हो तो इस बार नाटक अलग तरह का रहा। हालांकि, अभी उसके लिए काफी समय है। लेकिन ऐसे मौके छोड़े भी तो नहीं जा सकते।



80 हजार लोगों के लिए पैकेज का मतलब हुआ कि देश की आबादी अगर 160 करोड़ होती (130-135 के बीच ही होगी) तो हर दूसरे आदमी को फ्री का यह राशन मिलता। अगर आप घर में पांच लोग हैं तो कम से दो और संभवतः तीन लोगों को भी। लेकिन आप पता करने की कोशिश कीजिए, मुमकिन है आपके जानने वाले किसी परिवार को यह पैकेज नहीं मिले। यही है मोदी का नामुमकिन को मुमकिन करना। इसी तरह, इस पैकेज के लिए 90,000 करोड़ रुपए के अतिरिक्त लागत की बात कही गई है। 80 करोड़ लोगों के लिए 90 हजार करोड़ रुपए का मतलब हुआ हर व्यक्ति को 1125 रुपए का राशन।

अगर इस अतिरिक्त राशि को जुलाई से नवंबर के पांच महीनों के लिए मानें 225 रुपए प्रति व्यक्ति प्रति माह हुआ। राजीव गांधी ने कहा था कि केंद्र एक रुपया भेजता है तो 15 पैसे ही पहुंचते हैं। अब भ्रष्टाचार खत्म हो चुका है। केंद्र 80 करोड़ लोगों के लिए राशन भेजता है वह हर दूसरे आदमी को मिलना चाहिए पर दिखता नहीं है। सीधे पेट में जाता है और 225 रुपए में जनता को जो राशन मिलगा वह 500 रुपए का हो ही जाएगा। क्योंकि अब ईमानदारी बहाल हो गई है। अब भ्रष्टाचारियों की नहीं प्रचारकों की सरकार है।

इसपर बाकी अखबारों का शीर्षक आपने देखा, टेलीग्राफ का देखिए। इसके अलावा, जो खबरें हैं उनके शीर्षक की हिन्दी होगी - राष्ट्र के नाम संबोधन में पीआईबी की विज्ञप्ति डिलीवर हुई और ऐप्प पर हंगामे में पूरी कहानी रह गई। इस खबर में बताया गया है कि प्रतिबंध की सरकारी घोषणा के बाद अब 59 ऐप्प बनाने वाली कंपनियों को अब यह मौका मिलेगा कि इसके लिए खास तौर से बनाई जाने वाली कमेटी के समक्ष अपनी बात रखें और भारत में परिचालन जारी रखने के पक्ष में अपने तर्क दें। सरकार ने यह प्रबंध आपात स्थितियों से निपटने के लिए मिले अधिकारों का उपयोग करते हुए लगाया है।

कल मैंने लिखा था कि इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन ने प्रतिबंध को गलत बताया है और इस संबंध में किसी आदेश का हवाला नहीं है। सिर्फ प्रेस विज्ञप्ति है। आपात स्थिति के अधिकारों का उपयोग किए जाने के कारण संबंधित पक्षों को सुनवाई का मौका नहीं दिया गया। पर अब सरकार का दायित्व है कि वह एक कमेटी बनाए जो प्रभावित कंपनियों की बातें सुनकर निर्णय करेगी। चीन ने कहा है कि भारत का निर्णय भेदभावपूर्ण है और संबवतः डब्ल्यूटीओ नियमों का उल्लंघन भी। इस संबंध में द टेलीग्राफ ने बिजनेस पेज पर एक विस्तृत खबर छापी है, चीनी ऐप्प पर प्रतिबंध एक अंतरिम कदम।

इसके अलावा, तीसरी खबर का शीर्षक है, बंदरगाह बंद होने का उल्टा असर हुआ; सरकार को मेडिकल एसओएस। इस खबर में बताया गया है कि दवा बनाने वाली कंपनियां भारी मुश्किलों का सामना कर रही हैं क्योंकि भिन्न बंदरगाहों पर आयातित कच्चा माल अटका हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इनमें ज्यादातर सामान चीन से आया है। इनमें कोविड-19 का पता लगाने वाले महत्वपूर्ण डायगनोस्टिक उपकरण भी हैं।

यह दिलचस्प है कि राहुल गांधी के एक ट्वीट पर कई मंत्री मैदान में उतार देने वाली सरकार ने चीन के खिलाफ महत्वपूर्ण बताई जाने वाली इस कार्रवाई में किसी मंत्री को नहीं लगाया है। प्रधानमंत्री ने भी कल के भाषण में भारत-चीन सीमा की स्थिति को संबोधित नहीं किया। कांग्रेस ने इसके लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की है। बाकी सरकारी अखबारों में देखिए चीन कैसे रो रहा है। चीनी ऐप्प पर प्रतिबंध भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने लगाया है। इसमें गृह मंत्रालय की सिफारिश का भी हवाला है।

क्या आप जानते हैं कि इस विभाग का मंत्री कौन है? अगर वाकई नहीं जानते हों तो जानकर आश्चर्य होगा कि रविशंकर प्रसाद इस विभाग के मंत्री हैं जो राहुल गांधी से अक्सर सवाल पूछते हैं।

हिन्दुस्तान टाइम्स में आज एक खबर इस प्रकार है, टिकटॉक को दोनों ऐप्प स्टोर से हटा दिया गया है। यह जानकारी इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दी। उन्होंने कहा कि साइबर सेल (शायद सरकार का) यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि दूसरे ऐप्प भी ऐप्प स्टोर से हटा दिए जाएं। अखबार ने लिखा है, मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि बैन लागू हो चुका है। अमूमन ऐसी खबरें उपयोगकर्ताओं के अनुभव से छपती थीं पर अब अनाम प्रवक्ताओं के हवाले से छप रही हैं।

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