सिर्फ दो लोगों के कहने पर जांच समिति ने रोहित वेमुला को साबित कर दिया ओबीसी

Published on: February 22, 2017
नई दिल्ली। हैदराबाद यूनिवर्सिटी के स्कॉलर रोहित वेमुला की जाति को लेकर प्रशासन और सरकार बहुत दुविधा में रहे। उनकी मां और साथी सहित बहुत सारे लोग कह चुके हैं वो दलित थे लेकिन सरकार मानने को तैयार नहीं हुई। इसके बाद नई जांच समिति बिठाई गई। इसकी रिपोर्ट में कहा गया कि रोहित वेमुला दलित नहीं ओबीसी थे। अब इस रिपोर्ट पर सवाल खड़े हो रहे हैं। 

सिर्फ दो लोगों के कहने पर जांच समिति ने रोहित वेमुला को साबित कर दिया ओबीसी

दरअसल इस रिपोर्ट के बारे में खबर आ रही है कि जांच समिति ने सात लोगों से रोहित वेमुला के बारे में बात की। इनमें से दो लोगों ने कहा कि रोहित वेमुला दलित नहीं थे जबकि पांच लोगों ने कहा कि वे दलित थे। इस मामले में जांच समिति को दो लोगों की बात पसंद आई और रोहित वेमुला के ओबीसी साबित होने की रिपोर्ट दे दी।
 
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक रोहित के भाई राजा वेमुला ने आरोप लगाते हुए कहा कि इस रिपोर्ट को बीजेपी और नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के दबाव में बनाया गया है। केस के वकील जय भीमराव ने कहा कि एक बार अगर साबित हो गया कि रोहित दलित नहीं थे, तो उसे कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने वालों पर कड़े अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा नहीं चलाया जाएगा। यह सीधा-सीधा आरोपियों को बचाने का खेल है।
 
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक गुंटूर जिले के जिलाधिकारी की अगुआई वाली जांच समिति ने 7 लोगों से पूछताछ की थी। 5 लोगों ने कहा था कि रोहित दलित थे, जबकि दो लोगों ने कहा कि वह ओबीसी जाति से थे। लेकिन तब भी जांच समिति ने उन 2 लोगों के बयानों को मान लिया। रोहित का लालन-पालन उनकी मां राधिका ने किया था, जो माला जाति से आती हैं। बाद में राधिका को अंजनी देवी ने गोद ले लिया था, जो ओबीसी जाति से थीं और गुंटूर के सरकारी स्कूल में प्रिंसिपल थीं।

इतना ही नहीं रोहित के दादा वेंकटेश्वरुल्लू ने भी उसके दलित होने का समर्थन किया। राधिका और उसके दो बच्चों ने भी यही बयान दिया, लेकिन अंजनी देवी ने नहीं। उन्होंने कमिशन को बताया कि उन्होंने रोहित की मां को एक अनुसूचित जाति की महिला से गोद लिया था। राधिका के वकील ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि गोद लेने से उस शख्स की जाति नहीं बदल जाती। नए जांच आयोग ने रोहित के पिता और उनकी दादी की बात मानी। इन दोनों दावा किया था कि रोहित वडेरा जाति (ओबीसी) से थे ।
 

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