राजस्थान में किसानों की दीवाली सूनी होने जा रही है। सरकारी खरीद में बदइंतजामी के कारण पहले लहसुन, उड़द और सोयाबीन की फसल उगाने वाले किसान परेशान हुए, और अब प्याज के किसान रो रहे हैं।
किसानों के साथ धोखा हो गया। पिछले साल प्याज के अच्छे दाम मिले थे और सरकारी खरीद भी हुई थी। इस बात से प्रभावित होकर किसानों ने प्याज काफी मात्रा में बोया था। उसके बाद नई फसल अच्छी हुई, और थोक मंडी में नए प्याज की आवक बढ़ गई, लेकिन मांग काफी कम हो गई। अब किसानों को प्याज के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं और वे अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
पत्रिका के अनुसार, कोटा जिले की भवानी मंडी में शुक्रवार को थोक भाव में प्याज एक रुपए प्रति किलो के दाम पर बिका। जो प्याज बहुत अच्छी क्वालिटी का था, उसके भी दाम 5 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं बिके।
जब किसानों की लागत भी नहीं निकली तो परेशान कई किसानों ने मंडी में प्याज बेचने के बजाय, 6-7 क्विंटल प्याज जानवरों के हवाले करके अपने घरों को लौट गए।
किसानों की ये बदहाली ऐसे मौके पर हो रही है, जब राजनीतिक सरगर्मियां पूरे जोरों पर हैं। पूरी सरकार इस समय अपने चुनाव प्रचार में लगी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हर जगह जाकर अपने को किसानों की हितैषी साबित कर रही हैं और बता रही हैं कि उनके शासन में किसान खुशहाल हुआ है।
वसुंधरा राजे के प्रचार से अलग, भारतीय जनता पार्टी के जमीनी नेताओं की हालत किसानों के गुस्से के कारण खराब हो रही है। चुनाव प्रचार के लिए जाते समय नेताओं और भाजपा उम्मीदवारों के पास कुछ कहने को नहीं हैं, जबकि मुख्यमंत्री बड़े मंच पर आकर हजार तमाम दावे करके चली जाती हैं।
किसानों के साथ धोखा हो गया। पिछले साल प्याज के अच्छे दाम मिले थे और सरकारी खरीद भी हुई थी। इस बात से प्रभावित होकर किसानों ने प्याज काफी मात्रा में बोया था। उसके बाद नई फसल अच्छी हुई, और थोक मंडी में नए प्याज की आवक बढ़ गई, लेकिन मांग काफी कम हो गई। अब किसानों को प्याज के सही दाम नहीं मिल पा रहे हैं और वे अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
पत्रिका के अनुसार, कोटा जिले की भवानी मंडी में शुक्रवार को थोक भाव में प्याज एक रुपए प्रति किलो के दाम पर बिका। जो प्याज बहुत अच्छी क्वालिटी का था, उसके भी दाम 5 रुपए प्रति किलोग्राम से अधिक नहीं बिके।
जब किसानों की लागत भी नहीं निकली तो परेशान कई किसानों ने मंडी में प्याज बेचने के बजाय, 6-7 क्विंटल प्याज जानवरों के हवाले करके अपने घरों को लौट गए।
किसानों की ये बदहाली ऐसे मौके पर हो रही है, जब राजनीतिक सरगर्मियां पूरे जोरों पर हैं। पूरी सरकार इस समय अपने चुनाव प्रचार में लगी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हर जगह जाकर अपने को किसानों की हितैषी साबित कर रही हैं और बता रही हैं कि उनके शासन में किसान खुशहाल हुआ है।
वसुंधरा राजे के प्रचार से अलग, भारतीय जनता पार्टी के जमीनी नेताओं की हालत किसानों के गुस्से के कारण खराब हो रही है। चुनाव प्रचार के लिए जाते समय नेताओं और भाजपा उम्मीदवारों के पास कुछ कहने को नहीं हैं, जबकि मुख्यमंत्री बड़े मंच पर आकर हजार तमाम दावे करके चली जाती हैं।