राजस्थान में तकरीबन हर सीट पर भाजपा बगावत और भितरघात में बुरी तरह से उलझी हुई है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति अलवर जिले में है, जहां सत्ता विरोधी लहर का असर खत्म करने के लिए भाजपा ने अपने 9 मौजूदा विधायकों में से 7 के टिकट काट दिए।
पार्टी की सोच यह थी कि उम्मीदवार बदल देने से जनता का गुस्सा कम हो जाएगा, लेकिन ये दांव उलटा पड़ गया लगता है। जिन विधायकों के टिकट कटे हैं, वे अब अपनी ही पार्टी को हराने में जुट गए हैं। पार्टी ने बाकी 2 सीटों पर भी उम्मीदवार बदल दिए हैं, इस कारण वहां भी स्थिति ऐसी ही है।
अलवर लोकसभा सीट पर 2014 में बड़ी सफलता पाने के बाद जब इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, तो भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। तभी से भाजपा के रणनीतिकार सचेत हो गए थे, लेकिन कोई कारगर उपाय वे नहीं तलाश पाए।
अलवर जिले में किशनगढ़बास विधानसभा सीट के विधायक रामहेत सिंह यादव ही इस बार विधानसभा चुनाव में अपना टिकट बचा पाने में सफल रहे।
इस बार पार्टी ने मंत्री हेमसिंह भडाणा का टिकट भी काट दिया है, लेकिन अब उनसे अपेक्षित सहयोग पार्टी उम्मीदवारों को नहीं मिल पा रहा है। इसके साथ ही अलवर शहर के विधायक बनवारीलाल सिंघल और बेहूदा बयानों के लिए चर्चित ज्ञानदेव आहूजा का भी टिकट काटना पार्टी को महंगा पड़ रहा है।
अलवर ग्रामीण विधायक जयराम जाटव, कठूमर विधायक मंगलराम कोली, तिजारा में विधायक मामनसिंह यादव का टिकट भी कट चुका है और ये सब आहत नेता अपने साथ हुए बर्ताव का बदला लेने की राह देख रहे हैं।
पार्टी के स्तर पर इन असंतुष्टों को मनाने की कोशिश की जा रही है। कुछ जगह नाम मात्र की सफलता मिली भी है, लेकिन व्यवहार में इसका फर्क केवल यह देखने को मिला है कि कुछ बड़े उम्मीदवार खुलकर पार्टी उम्मीदवारों का विरोध नहीं कर रहे हैं। हालांकि उनके समर्थक या तो चुप बैठ गए हैं या फिर दबे-छिपे ढंग से पार्टी का विरोध कर रहे हैं।
पार्टी की सोच यह थी कि उम्मीदवार बदल देने से जनता का गुस्सा कम हो जाएगा, लेकिन ये दांव उलटा पड़ गया लगता है। जिन विधायकों के टिकट कटे हैं, वे अब अपनी ही पार्टी को हराने में जुट गए हैं। पार्टी ने बाकी 2 सीटों पर भी उम्मीदवार बदल दिए हैं, इस कारण वहां भी स्थिति ऐसी ही है।
अलवर लोकसभा सीट पर 2014 में बड़ी सफलता पाने के बाद जब इस सीट पर उपचुनाव हुआ था, तो भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। तभी से भाजपा के रणनीतिकार सचेत हो गए थे, लेकिन कोई कारगर उपाय वे नहीं तलाश पाए।
अलवर जिले में किशनगढ़बास विधानसभा सीट के विधायक रामहेत सिंह यादव ही इस बार विधानसभा चुनाव में अपना टिकट बचा पाने में सफल रहे।
इस बार पार्टी ने मंत्री हेमसिंह भडाणा का टिकट भी काट दिया है, लेकिन अब उनसे अपेक्षित सहयोग पार्टी उम्मीदवारों को नहीं मिल पा रहा है। इसके साथ ही अलवर शहर के विधायक बनवारीलाल सिंघल और बेहूदा बयानों के लिए चर्चित ज्ञानदेव आहूजा का भी टिकट काटना पार्टी को महंगा पड़ रहा है।
अलवर ग्रामीण विधायक जयराम जाटव, कठूमर विधायक मंगलराम कोली, तिजारा में विधायक मामनसिंह यादव का टिकट भी कट चुका है और ये सब आहत नेता अपने साथ हुए बर्ताव का बदला लेने की राह देख रहे हैं।
पार्टी के स्तर पर इन असंतुष्टों को मनाने की कोशिश की जा रही है। कुछ जगह नाम मात्र की सफलता मिली भी है, लेकिन व्यवहार में इसका फर्क केवल यह देखने को मिला है कि कुछ बड़े उम्मीदवार खुलकर पार्टी उम्मीदवारों का विरोध नहीं कर रहे हैं। हालांकि उनके समर्थक या तो चुप बैठ गए हैं या फिर दबे-छिपे ढंग से पार्टी का विरोध कर रहे हैं।